Friday, 22 September 2017

खंडन, वैश्या_के_यहां_की_मिट्टी_का_माँ_दुर्गा_की_मूर्ति_बनाने_में_प्रयोग

#खण्डन ---
- #वैश्या_के_यहां_की_मिट्टी_का_माँ_दुर्गा_की_मूर्ति_बनाने_में_प्रयोग -

कई दिनों से एक अमर्यादित पोस्ट देखने को मिल रही थी जिसमे माँ को एक अपशब्द से सम्बोधित किया जा रहा है और महिषासुर को राजा , इन विधर्मियो द्वारा ये तर्क दिया जा रहा है कि वैश्या के यहाँ की मिट्टी का प्रयोग मूर्ति बनाने में प्रयोग किया जाना इस बात का सबूत है कि माँ दुर्गा एक ...... थी , और बड़े आश्चर्य की बात मुझे ये लगी कि कोई भी इसका खंडन करने नही आया कि सत्य क्या है , आज चलिए इसका खंडन करते है कि सत्य क्या है ---

#तथ्य -
वैसे तो भारत में दुर्गा मां की प्रतिमाओं का निर्माण पूरे भारत मे होता है लेकिन सबसे ज्यादा उत्तरी कोलकत्ता के कुमरटली इलाके में होता है. ये जगह मूर्ति बनाने वाले कारीगरों के लिए पूरे भारत में मशहूर है. मां लक्ष्मी, मां सरस्वति और अन्य पूजाओं में प्रयोग होने वाली मूर्तियों का निर्माण यहीं होता है.यहां मूर्तियां बनाने के लिए मिट्टी गंगा के किनारों से आती है, गोबर, गौमूत्र और थोड़ी सी मिट्टी निषिद्धो पाली से ली जाती है. और क्या आप जानते हैं कि निषिद्धो पाली क्या है? एक वेश्यालय . जी हां एक वैश्यालय ।
वर्जित क्षेत्र से पुण्य माटी लाने की यह परंपरा कब व कैसे शुरू हुई कोई नहीं जानता। पर चूँकि यह परंपरा चली आ रही है तो पुजारी खुद सम्मानपूर्वक सेक्स वर्कर के पास मिट्टी मांगने जाते हैं। जब मिट्टी मिल जाती है तो वे कुछ मंत्रो का उच्चारण करते हैं।

#जो_आपको_बताया_जाता_है -

लोगों का कहना है कि "मां ने अपने इन भक्तों को सामाजिक तिरस्कार से बचाने के लिए आंगन की मिट्टी से अपनी मूर्ति स्थापित करवाने की परंपरा शुरू करवाई"
इसके अलावा एक मान्यता ये भी है कि जब एक महिला सोनागाछी के द्वार पर खड़ी होती है तो सारी पवित्रता को वहीं छोड़कर इस दुनिया में प्रवेश करती है, इसी कारण यहां की मिट्टी पवित्र मानी जाती है।
कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह परंपरा इस तबके को जो कि गिरा हुआ, चरित्रहीन, पापी माना जाता है। उसे समाज में सम्मिलित करने की एक कोशिश की है।

#सत्यता_जो_छुपायी_जाती_है --

एक मूर्ति के सेट में माता दुर्गा, शेर, भैंसा और राक्षस एक प्लेटफॉर्म पर तैयार किए जाते हैं , जहाँ माँ की मूर्ति में नदी की मिट्टी , पंचगव्यों और गंगाजल और अन्य शुद्ध मिट्टी को मिला कर किया जाता है , वही वैश्यालय की मिट्टी को मिलाकर राक्षस और भैंसे का निर्माण किया जाता चूंकि सभी मूर्तिया एक ही प्लेटफार्म पे बनकर तैयार होती है तो ऐसा बार बार बोला जाता है कि माँ की मूर्ति बनाने में वैश्यालय की मिट्टी का प्रयोग होता है और बड़ी सफाई से ये बात छुपा ली जाती है कि इसका वास्तविक प्रयोग कहा होता है , क्योंकि इससे ही तो उनकी रोजी रोटी चलती है ।।

#विशेष - 
दुर्गा पूजा को अकालबोधन , शरदियो पुजो  शरोदोत्सब , महापूजो और मायेरपुजो भी कहा जाता है। पूर्वी बंगाल (बांग्लादेश) में, दुर्गा पूजा को भगवती पूजा के रूप में भी मनाया जाता है। इसे पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, ओडिशा, दिल्ली और मध्य प्रदेश में दुर्गा पूजा  कहा जाता है।
#वही इस पूजा को गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब, केरल और महाराष्ट्र में नवरात्रि के रूप में और कुल्लू घाटी, हिमाचल प्रदेश में कुल्लू दशहरा , मैसूर, कर्नाटक में मैसूर दशहरा, तमिलनाडु में बोमाई गोलू और आन्ध्र प्रदेश में बोमाला कोलुवू के रूप में भी मनाया जाता है।

या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभि-धीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते॥

Courtesy: अजेष्ठ त्रिपाठी, https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=309764209489991&id=100013692425716

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