वीर भोग्य वसुंधरा
न ही लक्ष्मी कुलक्रमज्जता, न ही भूषणों उल्लेखितोपि वा ।
खड्गेन आक्रम्य भुंजीतः , वीर भोग्या वसुंधरा ।।
अर्ताथ
ना ही लक्ष्मी निश्चित कुल से क्रमानुसार चलती है और ना ही आभूषणों पर उसके स्वामी का चित्र अंकित होता है ।
तलवार के दम पर पुरुषार्थ करने वाले ही विजेता होकर इस रत्नों को धारण करने वाली धरती को भोगते है ।
अर्जुन को गीता का ज्ञान देते समय स्वयं भगवन श्री कृष्ण शस्त्र त्यागकर ज्ञान प्रदान करते हुए ब्राह्मण अवतार में ही थे ।
क्षत्रियो को उनके धर्म का ज्ञान करने का कार्य ब्राह्मण ही कर सकता है ।भगवान कृष्ण ने भी तब यही किया ।युद्ध से पूर्व शस्त्र त्यागने का निर्णय भगवान ने इसी लिये किया था ।
जब भी योग्य ब्राह्मण क्षत्रियो को उचित धर्मबोध करवाएंगे तो अर्जुन के गांडीव से प्रलय बरसेगा और शत्रुओ का नाश होकर रहेगा ।
#पुरोहित_जी_कहिंन
श्री गोविन्द जी पुरोहित
साभार
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=226546701141888&id=100013596791837
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