Saturday, 2 December 2017

The divine manifestation of Maharudradeva as Agni at Arunachalagiri

Uma once closed the eyes of her husband Maharudradeva in a playful mood. She came from behind and not only closed his physical two eyes but also his Third Eye, the Ajna Chakra. Although it was only for a few minutes, the entire universe was submerged in darkness for years. This was a wonderful way for Maharudradeva to make his consort in particular and everyone of us in general understand that everything that is inside him is also outside, and everything that is outside is also inside him. Uma realising that a small fun she played with Paramaguru had left the whole universe without light. She requested him to restore light. Then Shiva appeared as a AGNISTAMBHA (column of fire) with neither the base not the plinth. The column was so vast that none knew where it started and where it was going to end. Just a huge column of fire appeared at a place called Thiruvannamalai. The column of fire brightened the universe.

Maharudradeva had manifested as Agni. Agni Tattva is one of the five elements. The fire element is the storehouse of illusions relating to name and fame, issues related to power, authority and control over others, wealth and longevity vs poverty and death. Agni is the one and only element of all the five elements (Earth, Ether, Water, Air and Fire) that cannot be adulterated. Agni will burn anything which is put into it in an intention to pollute or adulterate it. We can pollute or adulterate anything but not fire.

The manifestation of Maharudradeva as Agni Tattva is commemorate even today at Arunachalagiri. On Karthika Pournami a huge lamp is lit on the top of the hill.
Arunachaleswara is Tejo Linga. When the light on the top of the Tiruvannamalai is unveiled on the Karthika Pournami day people pray to Shiva in the form of fire.

The esoteric symbolism behind lighting the lamp on the hill is to have the vision of the light of lights that is burning eternally in the chambers of ones heart through constantly remembering the Paramaguru and be ready to receive his guidance.

The light if lights annihilates the three impurities - egoism, selfish action and delusion. The eternal light in the cave of the heart burns the mind, senses and the desires. To attain full illumination and behold the light of lights is real Kartikha Deepotsava.

May the light of lights illumine all of us from within! May Lord Shiva bless us with abundant light! May we all merge in this supreme light and attain the eternal abode of bliss and immortality!

Courtesy: Sreeram Manoj Kumar, https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1772925299393289&id=100000275079859

Friday, 1 December 2017

स्यूडो-सेकुलर एजेंडे का बीज

स्यूडो-सेकुलर एजेंडे का बीज

   लगातार हार से कांग्रेस वाकई बौखला गई है,उसके अधिकतर नेता मानसिक-नियंत्रण भी खो बैठे है।कभी कोई राहल को जनेऊ धारी हिन्दू कहता है तो कभी कोई मोदी को ही नकली हिन्दू कहने लगता है।वही लोग जो कुछ दिन पहले मोदी को हिन्दू कट्टरपंथी साम्प्रदायिक,खूनी मौत का सौदागर बोलते थे,हत्यारा,दंगाई और संघी बोलते थे आज खुद को असली हिन्दू साबित करने की होड़ लगा रहे हैं।उनके अनुसार राहुल गाँधी असली और पक्के हिन्दू है, पक्के पंडित है, चारों वेदों के ज्ञाता हैऔर नरेंद्र मोदी नकली हिन्दू है।नरेंद्र मोदी धर्मांतरित है, और हिन्दू है ही नही।जी हां ये बात कही है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और देश के पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल ने।कॉन्ग्रेसी कितना हिंदू-विरोधी होता है कि गैर-धर्मी राहुल को हिन्दू साबित करने के लिए 'जनेऊधारी कह रहा है।मतलब हिन्दुओ में ऊंचा-नीचा स्टैब्लिश करने के स्वभाव से मुक्त नही हो पा रहा।सोच देखिये यहां भी जातीयता को ही बढ़ावा देने में लगा है।सत्तर सालो में पेट नही भरा तो अब यह नया पैंतरा है।

   कपिल सिब्बल ने आज बीजेपी और नरेंद्र मोदी के खिलाफ निशाना साधा और नरेंद्र मोदी को ही नकली हिन्दू करार दे दिया।सिब्बल ने कहा की नरेंद्र मोदी हिन्दू नहीं है, मोदी नकली हिन्दू है, मोदी का हिन्दू धर्म से कुछ भी लेना देना नहीं है।आपकी जानकारी के लिए बता दें की राहुल गाँधी और मोदी में क्या फर्क है।राहुल गाँधी की माता का असली नाम है एंटोनिया मियानो जो इटली की रोमन कैथोलिक ईसाई है।राहुल गाँधी के पिता का नाम था राजीव गाँधी, जिनके अब्बू का नाम फीरोज खान।वहीँ नरेंद्र मोदी के पिता का नाम - दामोदर मोदी और माता का नाम - हीराबेन, मोदी के दादा का नाम था मूलचंद मोदी।पर कांग्रेस के अनुसार नरेंद्र मोदी नकली हिन्दू है और राहुल गाँधी असली महान हिन्दू चारों वेदों के ज्ञाता है, साक्षात् पंडित हैं।

   खैर!अब आपको हम इस कपिल सिब्बल के बारे में बताते है, जो लोगों को हिन्दू होने और न होने का सर्टिफिकेट बाँट रहा है।कपिल सिब्बल वही वकील है जो सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की।मुस्लिम तरफ से केस लड़ रहा है, और राम मंदिर का विरोध कर अयोध्या में बाबरी मस्जिद बनवाने की वकालत कर रहा है, जी हां कपिल सिब्बल ही मुस्लिम पक्ष का वकील है।ये वही शख्स है जो कोर्ट में कहता है की अयोध्या में राम मंदिर नहीं बल्कि बाबरी मस्जिद बननी चाहिए।साथ ही इस शख्स पर कई अन्य आरोप भी है, जिसमे कत्लखाना चलाने का भी रिपोर्ट है।ये शख्स साथ ही तीन तलाक का भी वकील था।अब ऐसा शख्स जो राम मंदिर के विरोध में खड़ा है वो दूसरों को हिन्दू है या नहीं उसका सर्टिफिकेट देता है, तो ये अपने आप में बेहद शर्मनाक है।आज राज बब्बर ने अमित शाह को कहा वह तो हिन्दू नही है जैनी हैं। हिंदू समाज को बांटते-बांटते छोटा करते,विभिन्न टुकड़ों में विभाजित करते, अपमानित करते काँग्रेसियो को लगातार अभ्यास हो गया है।वह यह भूल गया की जैन,बौद्ध,सिख आदि भारत से निकली हुये समस्त संप्रदाय हिंदू कहलाते हैं। हिंदू एक विशिष्ट जीवन पद्धति का नाम है। वह हिंदू है और हिंदू की तरह व्यवहार करते हैं, जीते हैं,खाते हैं,पहनते हैं,बोलते हैं,सोचते हैं,समझते हैं और सहिष्णुता लचीलापन दूसरे के पूजा पद्धतियों का सम्मान करते हैं।लेकिन कांग्रेसी को यह बिल्कुल नहीं पचता कि हिंदू एक हो जाएं।वे जातियो में बांटते हैं, क्षेत्र,पंथ,विचार, मत,समुदाय, समूह, संप्रदाय,भाषावाद जितने भी तरह से हो सकता है बांटकर हिंदू समाज को छोटा करते हैं।

  बचपन से ही मै कभी-कभी अन्य देशो की धर्मनिरपेक्षता और अपने देश की हिन्दू-विरोधी स्यूडो-सेकुलरिज्म को देखता तो मन में बड़ा गहरा प्रश्न उठने लगता।कोई प्रशासकीय-विचारधारा ऐसा कैसे हो सकता है की रोजा-इफ्तार खोले तो सेकुलर और नवरात्रि व्रत सांप्रदायिक?मस्जिद जाना,टोपी पहनना  सेकुलर और मदिर जाना,धोती पहनना साम्प्रदायिक।वे हिन्दुओ के तरफ से की जाने वाली हर बात को सांप्रदायिक,संकीर्ण,पिछड़ा,दकियानूस प्रूव करने में लगा जाते।ऐसे ह्जारो उदाहारण हैं लिस्ट लगाउंगा तो 5 सौ पेज भर जायेंगे।जिस ढंग से हिन्दुओ को कांग्रेसी जातियों में बांटने की शासकीय कोशिस करते रहे है वह केवल धर्म-निरपेक्षता का मामला नही लगता था।हिन्दू तो स्वत: पंथनिरपेक्ष पैदा होता है।सनातनी अवधारणाओ जिसकी प्रशंसक सम्पूर्ण दुनिया के सहज-तठस्थ लोग है उसके प्रति कांग्रेसी-नेताओं की घृणा छिपाए नही छिपती।उनके नफरत को महसूस किया जा सकता है।मेरे बाल मन को यह बात कचोटती की यह राजकीय कारण तो नही हो सकते।निश्चित ही इसका बीज कहीं और था।मूल में ही यही था।वंश कई पीढियों से सनातनी था ही नही तो उसका लगाव क्यों रहेगा?वे जुट गए समापन पर।दुश्मन कई प्रकार के होते है, एक जो सामने से हमला करता है, और एक जो पीठ पीछे हमला करता है।ये जो पीठ पीछे हमला करे, जो बहरूपिया हो, वह ज्यादा खतरनाक होता है।आप जैसे नाम,रूप,रंग अपनाकर आपको ज्यादा घात पहुंचाया जा सकता है।क्यूंकि वो आपका विश्वास जीतता है और उसके बाद आपके ऊपर वार करता है।ये दूसरे टाइप के दुश्मन ज्यादा खतरनाक होते है।असल में उसके किसी भी आघात को पह्चानना आसान नही होता।

   मतलब की यह सेकुलरिया एजेंडा था ही धूर्तता-पूर्ण।जब मुख्य घराना ही मुस्लिम था तो हिन्दुओ की हर चीज से नफरत स्वाभाविक चीज है पूजा-पद्धतिया,सोच,जीवन-शैली तो दूर की बात रही।वे ऐबक से लेकर खिलजी,मुगल और अब्दालियों की तरह ही हिन्दुओ के प्रति धर्मांध थे बस प्रेजेंटेशन का तरीका बदल गया था।उसी नफ़रत के प्रकटीकरण का नाम कांग्रेसियों ने धर्मनिरपेक्षता रखा था।चूँकि वह खुले तौर भारत के शासक थे इसलिए धीरे-धीरे करके सनातनी परम्पराओ तथा हिन्दुओ को मिटाना था।एक तरफ तो सेकुलरिज्म के बढावे के साथ सुनिश्चित ओजना के तहत हिन्दुओ को नीचा दिखाना शुरू कर दिया।दूसरी तरफ धर्मान्तरण,जनसंख्या का का बढना-हिन्दुओ का घटना,बांग्लादेशी घुसपैठ,भारत में जमीन खाली करवाना,नार्थ-ईस्ट का जबरदस्त मतान्तरण,पाठ्यक्रमो,मीडिया,सिनेमा,लेखन,एनजीओ आदि द्वारा हिन्दुओ को जबर्दस्त हतोत्साहन कर कुंठा देने का प्रयास,विभिन्न प्रकार से दिमाग पर अपने बाप-दादों की थाती के प्रति निष्क्रियता का भाव इम्पोज करते जा रहे थे।यही इस घराने का मूल एजेंडा था।वे छूपे तौर हिन्दुओ को भारत से समाप्त करने की यह सौ-साल की रणनीति बनाकर चल रहे थे।इसलिए वे हर-सम्भव प्रयास करके सनातनी समाज के मानबिन्दुओ को नष्ट कर रहे थे,हर जगह कन्फ्यूजन पैदा कर रहे थे,और नकली-जीवन शैली जो निहायत ही सेमेटिक थी उसे विभिन्न माध्यमो से इम्पोज कर रहे थे।

Courtesy: पवन त्रिपाठी, https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10155794737806768&id=705621767

Pazhassi Raja, the only man who defeated Arthur Wellesley, the vanquisher of Napoleon in Waterloo

Kerala Simham (Lion) Veera Pazhassi Raja (a Brahmin)  was one of the earliest Indian freedom fighters. Pazhassi Raja was the only man who defeated Arthur Wellesley, the vanquisher of Napoleon in Waterloo! After being wounded in a war against the British by prototypical Indian betrayal , he breathed his last on Nov 30,1805

"He used Guerrilla war fare technicals from jungle and created massive loss to british army.

Britain gave alcohol and tobacco to the local chieftain of the tribe and he helped to raid Pazhassi rajas jungle location... Thus exposing him to open field and he valiantly fought to death" (Vinu Raj R)

What a tragedy that a people who under Marthanda Verma created History by being the sole Native Nation in History to have defeated an Industrialized European Naval Power (the Dutch - Battle of Colachel) should now be ruled by riff-raff

Courtesy: S Suchindranath Aiyer, https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10156876643498082&id=683703081

Thursday, 30 November 2017

How the much maligned, "caste system" actually made Hinduism's existence possible, after the deadly onslaught of Islam

I had for long wished to write a lengthy post on how the much maligned, "caste system" actually made Hinduism's existence possible, after the deadly onslaught of Islam when on the other hand, Islam had vanquished Egypt, Syria (Eastern Roman Byzantine Empire), Persia, South East Asia (Indonesia, Malaysia) but Islam's confrontation with India and Hindus, even after more than thousand years is still a stalemate...........  Bharat Swami (भरत स्वामी) ji reminded me about "Spain, Sicily, Greece, Romania, Bulgaria, Russia, Armenia and many other eastern European countries were under islamic rule for centuries but they survived too."................. In reply to it, I have the following to submit, that Spain reversed Moorish culture first by militarily reconquering territory and then forcibly reconverting those who had taken to Islam.....Historically military and political pressure of neighbouring Christian powers  ensured survival of satellite christian population which fell under Islamic yoke, besides Christians of Eastern Europe were 'people of the book', they could be tolerated in Islamic state but not idolators.... Nowhere "pagans" have survived under Islamic rule unless they took to remote and secluded places. To which Bharat ji had to say that " ottomons/moors/tatars were as ruthless to christians as the turks/khilajis/mughals were to Hindus. Point is there are many examples where a native culture has survived and fought back the barbaric muslim rule. And most of them didn't have caste syatem.We should be proud that we also lived to tell our story, even after having as degrading a social practice as caste system.".....................But My understanding of "caste system", certainly is not that of it being a degraded system..... This is the whole point about survival of Hindus....comparison and similarity with above native examples ends there....Christian survival under Islam is not same as Hindu survival under Islam....Egypt, Syria, Lybia etc were Christian majority at the time of Islamic conquest and even in Mesopotamian Iraq, Ethiopoia, and in Arabian penisula Christians were present before Islam and survived in small pockets to this date.....but Hindus without a strong political, military and religiouslly organised Church power, survived in not only in some small pockets but throughout the geographical cultural enclave called India and despite the fact that converted Hindus had no history of not getting re-Hinduized or relieved on mass scale, unlike in the case of Eastern Europe, Sicily, Andalusia etc.....that means despite loss of political power Hindus had robust social system which withstood Islam and the case of Hindus could be contrasted with equally strong Buddhist influence at the advent of Islam in Central Asia, Afghanistan, regions of Sindh, Kashmir, Bihar, Bengal etc where we find Buddhist population was majorly converted in to Islam.....'caste system' as an open source social architecture with Varna classification, combined with, kula (clan n family origin), regional identity, and guild loyalty all rolled into one single system of "Caste", which was de-centralised and diffused enough, for Islam to not be able to co-opt social elites completely as they varied from place to place and even varied from time to time....so the socio cultural collapse was not sudden and catastrophic in case of Hindus under Islamic attack n occupation........... And it would be interesting to understand that why did Mixed Buddhist n animist tribals like Turks, Mongols, Afghans etc became vanguards of Islamic expansion after the initial energy and religious and imperialist expansionist zeal of Arabs (the original first Islamists) got extinguished?  Arabs could never penetrate India deep and same is true for Eastern Europe....it was Turks n Mongol Tartars that were Islam's vanguards.....both Turk n Mongols initially had mix Buddhist n Animist beliefs.... On the eastern front Ahoms were like Mongol Tribe, got Hinduized, Gorkhas too were Hinduized from Tibbetan Buddhist influence....they became Hindu vanguards but if they would had been Buddhist, I bet Assam and Nepal would had met Bangladesh like fate....here is my two pence of forecast....as the rate of conversion into Christianity among Buddhist influenced mixed Hindus of Eastern Nepal, Sikkim is much faster than solidly Hindu western Nepal.....We will see Christian Eastern Nepal and Sikkim within 3 decades............... I am using "caste" and "caste system" in a specialised sense, while I concede Varna as an idealist classification and "Jaat" as practical social reality are not same but "Caste" as we understand it now, (if it's meaning could be divorced for the time being from European usage of Caste with racial connotation, as in modern coinage it originated from 'castus' implying race),  'caste' serves as a fuse to socio-political stress on Hindu society....its strength is subverted as its weakness by looking at it through tinted cognitive filters of Western Colonial understanding (tainted with Abrahmic Universalism) which Indians have internalised,..... It's because of this that the seemingly paradoxical and amusing dilemma of modern India could be resolved, that either the champions of destruction of caste as an ideology are also surprisingly the greatest champions of caste based politics of patronage.... Or on the other hand, guilt trapped colonised minds of Hindus in their one sided pursuit and wish for unity of Hindus also decry caste system...... Feeling ashamed of 'caste' is a colonial legacy and is the extension of colonised social consciousness, and this assertion is supported by eminent social scientist Prakash Shah too. (This post is a compilation of my answers to a discussion on Faizan Shehzade brother's post, hence here is not a systematic exposition with academic refrences given to rigourously substantiate my assertions).

Courtesy: Ravindra Singh Basera Dev, https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10214504708068574&id=1146345539

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