Friday, 1 December 2017

स्यूडो-सेकुलर एजेंडे का बीज

स्यूडो-सेकुलर एजेंडे का बीज

   लगातार हार से कांग्रेस वाकई बौखला गई है,उसके अधिकतर नेता मानसिक-नियंत्रण भी खो बैठे है।कभी कोई राहल को जनेऊ धारी हिन्दू कहता है तो कभी कोई मोदी को ही नकली हिन्दू कहने लगता है।वही लोग जो कुछ दिन पहले मोदी को हिन्दू कट्टरपंथी साम्प्रदायिक,खूनी मौत का सौदागर बोलते थे,हत्यारा,दंगाई और संघी बोलते थे आज खुद को असली हिन्दू साबित करने की होड़ लगा रहे हैं।उनके अनुसार राहुल गाँधी असली और पक्के हिन्दू है, पक्के पंडित है, चारों वेदों के ज्ञाता हैऔर नरेंद्र मोदी नकली हिन्दू है।नरेंद्र मोदी धर्मांतरित है, और हिन्दू है ही नही।जी हां ये बात कही है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और देश के पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल ने।कॉन्ग्रेसी कितना हिंदू-विरोधी होता है कि गैर-धर्मी राहुल को हिन्दू साबित करने के लिए 'जनेऊधारी कह रहा है।मतलब हिन्दुओ में ऊंचा-नीचा स्टैब्लिश करने के स्वभाव से मुक्त नही हो पा रहा।सोच देखिये यहां भी जातीयता को ही बढ़ावा देने में लगा है।सत्तर सालो में पेट नही भरा तो अब यह नया पैंतरा है।

   कपिल सिब्बल ने आज बीजेपी और नरेंद्र मोदी के खिलाफ निशाना साधा और नरेंद्र मोदी को ही नकली हिन्दू करार दे दिया।सिब्बल ने कहा की नरेंद्र मोदी हिन्दू नहीं है, मोदी नकली हिन्दू है, मोदी का हिन्दू धर्म से कुछ भी लेना देना नहीं है।आपकी जानकारी के लिए बता दें की राहुल गाँधी और मोदी में क्या फर्क है।राहुल गाँधी की माता का असली नाम है एंटोनिया मियानो जो इटली की रोमन कैथोलिक ईसाई है।राहुल गाँधी के पिता का नाम था राजीव गाँधी, जिनके अब्बू का नाम फीरोज खान।वहीँ नरेंद्र मोदी के पिता का नाम - दामोदर मोदी और माता का नाम - हीराबेन, मोदी के दादा का नाम था मूलचंद मोदी।पर कांग्रेस के अनुसार नरेंद्र मोदी नकली हिन्दू है और राहुल गाँधी असली महान हिन्दू चारों वेदों के ज्ञाता है, साक्षात् पंडित हैं।

   खैर!अब आपको हम इस कपिल सिब्बल के बारे में बताते है, जो लोगों को हिन्दू होने और न होने का सर्टिफिकेट बाँट रहा है।कपिल सिब्बल वही वकील है जो सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की।मुस्लिम तरफ से केस लड़ रहा है, और राम मंदिर का विरोध कर अयोध्या में बाबरी मस्जिद बनवाने की वकालत कर रहा है, जी हां कपिल सिब्बल ही मुस्लिम पक्ष का वकील है।ये वही शख्स है जो कोर्ट में कहता है की अयोध्या में राम मंदिर नहीं बल्कि बाबरी मस्जिद बननी चाहिए।साथ ही इस शख्स पर कई अन्य आरोप भी है, जिसमे कत्लखाना चलाने का भी रिपोर्ट है।ये शख्स साथ ही तीन तलाक का भी वकील था।अब ऐसा शख्स जो राम मंदिर के विरोध में खड़ा है वो दूसरों को हिन्दू है या नहीं उसका सर्टिफिकेट देता है, तो ये अपने आप में बेहद शर्मनाक है।आज राज बब्बर ने अमित शाह को कहा वह तो हिन्दू नही है जैनी हैं। हिंदू समाज को बांटते-बांटते छोटा करते,विभिन्न टुकड़ों में विभाजित करते, अपमानित करते काँग्रेसियो को लगातार अभ्यास हो गया है।वह यह भूल गया की जैन,बौद्ध,सिख आदि भारत से निकली हुये समस्त संप्रदाय हिंदू कहलाते हैं। हिंदू एक विशिष्ट जीवन पद्धति का नाम है। वह हिंदू है और हिंदू की तरह व्यवहार करते हैं, जीते हैं,खाते हैं,पहनते हैं,बोलते हैं,सोचते हैं,समझते हैं और सहिष्णुता लचीलापन दूसरे के पूजा पद्धतियों का सम्मान करते हैं।लेकिन कांग्रेसी को यह बिल्कुल नहीं पचता कि हिंदू एक हो जाएं।वे जातियो में बांटते हैं, क्षेत्र,पंथ,विचार, मत,समुदाय, समूह, संप्रदाय,भाषावाद जितने भी तरह से हो सकता है बांटकर हिंदू समाज को छोटा करते हैं।

  बचपन से ही मै कभी-कभी अन्य देशो की धर्मनिरपेक्षता और अपने देश की हिन्दू-विरोधी स्यूडो-सेकुलरिज्म को देखता तो मन में बड़ा गहरा प्रश्न उठने लगता।कोई प्रशासकीय-विचारधारा ऐसा कैसे हो सकता है की रोजा-इफ्तार खोले तो सेकुलर और नवरात्रि व्रत सांप्रदायिक?मस्जिद जाना,टोपी पहनना  सेकुलर और मदिर जाना,धोती पहनना साम्प्रदायिक।वे हिन्दुओ के तरफ से की जाने वाली हर बात को सांप्रदायिक,संकीर्ण,पिछड़ा,दकियानूस प्रूव करने में लगा जाते।ऐसे ह्जारो उदाहारण हैं लिस्ट लगाउंगा तो 5 सौ पेज भर जायेंगे।जिस ढंग से हिन्दुओ को कांग्रेसी जातियों में बांटने की शासकीय कोशिस करते रहे है वह केवल धर्म-निरपेक्षता का मामला नही लगता था।हिन्दू तो स्वत: पंथनिरपेक्ष पैदा होता है।सनातनी अवधारणाओ जिसकी प्रशंसक सम्पूर्ण दुनिया के सहज-तठस्थ लोग है उसके प्रति कांग्रेसी-नेताओं की घृणा छिपाए नही छिपती।उनके नफरत को महसूस किया जा सकता है।मेरे बाल मन को यह बात कचोटती की यह राजकीय कारण तो नही हो सकते।निश्चित ही इसका बीज कहीं और था।मूल में ही यही था।वंश कई पीढियों से सनातनी था ही नही तो उसका लगाव क्यों रहेगा?वे जुट गए समापन पर।दुश्मन कई प्रकार के होते है, एक जो सामने से हमला करता है, और एक जो पीठ पीछे हमला करता है।ये जो पीठ पीछे हमला करे, जो बहरूपिया हो, वह ज्यादा खतरनाक होता है।आप जैसे नाम,रूप,रंग अपनाकर आपको ज्यादा घात पहुंचाया जा सकता है।क्यूंकि वो आपका विश्वास जीतता है और उसके बाद आपके ऊपर वार करता है।ये दूसरे टाइप के दुश्मन ज्यादा खतरनाक होते है।असल में उसके किसी भी आघात को पह्चानना आसान नही होता।

   मतलब की यह सेकुलरिया एजेंडा था ही धूर्तता-पूर्ण।जब मुख्य घराना ही मुस्लिम था तो हिन्दुओ की हर चीज से नफरत स्वाभाविक चीज है पूजा-पद्धतिया,सोच,जीवन-शैली तो दूर की बात रही।वे ऐबक से लेकर खिलजी,मुगल और अब्दालियों की तरह ही हिन्दुओ के प्रति धर्मांध थे बस प्रेजेंटेशन का तरीका बदल गया था।उसी नफ़रत के प्रकटीकरण का नाम कांग्रेसियों ने धर्मनिरपेक्षता रखा था।चूँकि वह खुले तौर भारत के शासक थे इसलिए धीरे-धीरे करके सनातनी परम्पराओ तथा हिन्दुओ को मिटाना था।एक तरफ तो सेकुलरिज्म के बढावे के साथ सुनिश्चित ओजना के तहत हिन्दुओ को नीचा दिखाना शुरू कर दिया।दूसरी तरफ धर्मान्तरण,जनसंख्या का का बढना-हिन्दुओ का घटना,बांग्लादेशी घुसपैठ,भारत में जमीन खाली करवाना,नार्थ-ईस्ट का जबरदस्त मतान्तरण,पाठ्यक्रमो,मीडिया,सिनेमा,लेखन,एनजीओ आदि द्वारा हिन्दुओ को जबर्दस्त हतोत्साहन कर कुंठा देने का प्रयास,विभिन्न प्रकार से दिमाग पर अपने बाप-दादों की थाती के प्रति निष्क्रियता का भाव इम्पोज करते जा रहे थे।यही इस घराने का मूल एजेंडा था।वे छूपे तौर हिन्दुओ को भारत से समाप्त करने की यह सौ-साल की रणनीति बनाकर चल रहे थे।इसलिए वे हर-सम्भव प्रयास करके सनातनी समाज के मानबिन्दुओ को नष्ट कर रहे थे,हर जगह कन्फ्यूजन पैदा कर रहे थे,और नकली-जीवन शैली जो निहायत ही सेमेटिक थी उसे विभिन्न माध्यमो से इम्पोज कर रहे थे।

Courtesy: पवन त्रिपाठी, https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10155794737806768&id=705621767

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