Friday, 6 October 2017

"ये क्रिप्टो-क्रिस्चियन क्या है?

संजय मिश्रा जी ने मेरी बात को बहुत साफ साफ लोगों को "छद्म-ईसाई" से सावधान करने हेतु लिख दी है।
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"ये क्रिप्टो-क्रिस्चियन क्या है?

ग्रीक भाषा मे क्रिप्टो शब्द का अर्थ हुआ छुपा हुआ या गुप्त; क्रिप्टो-क्रिस्चियन का अर्थ हुआ गुप्त-ईसाई। इसमें महत्वपूर्ण बात ये है कि क्रिप्टो-क्रिस्चियन कोई गाली या नकारात्मक शब्द नहीं हैं। क्रिप्टो-क्रिस्चियानिटी ईसाई धर्म की एक संस्थागत प्रैक्टिस है। क्रिप्टो-क्रिस्चियनिटी के मूल सिद्धांत के अंर्तगत क्रिस्चियन जिस देश मे रहतें है वहाँ वे दिखावे के तौर पर तो उस देश के ईश्वर की पूजा करते है, वहाँ का धर्म मानतें हैं जो कि उनका छद्मावरण होता है, पर वास्तव में अंदर से वे ईसाई होते हैं और निरंतर ईसाई धर्म का प्रचार करते रहतें है।

क्रिप्टो-क्रिस्चियन का सबसे पहला उदाहरण रोमन सामाज्य में मिलता है जब ईसाईयत ने शुरुवाती दौर में रोम में अपने पैर रखे थे। तत्काल  महान रोमन सम्राट ट्रॉजन ने ईसाईयत को रोमन संस्कृति के लिए खतरा समझा और जितने रोमन ईसाई बने थे उनके सामने प्रस्ताव रखा कि या तो वे ईसाईयत छोड़ें या मृत्यु-दंड भुगतें। रोमन ईसाईयों ने मृत्यु-दंड से बचने के लिए ईसाई धर्म छोड़ने का नाटक किया और उसके बाद ऊपर से वे रोमन देवी देवताओं की पूजा करते रहे, पर अंदर से ईसाईयत को मानते थे। जिस तरह मुसलमान 5-10 प्रतिशत होते हैं होतें है तब उस देश के कानून को मनातें है पर जब 20-30 प्रतिशत होतें हैं तब शरीअत की मांग शुरू होती है, दंगे होतें है। आबादी और अधिके बढ़ने पर गैर-मुसलमानों की ethnic cleansing शुरू हो जाती है।
पर, क्रिप्टो-क्रिस्चियन, मुसलमानों जैसी हिंसा नहीं करते। जब क्रिप्टो-क्रिस्चियन 1 प्रतिशत से कम होते है तब वह उस देश के ईश्वर को अपना कर अपना काम करते रहतें है जैसा कि और जब अधिक संख्या में हो जातें तो उन्ही देवी-देवताओं का अपमान करने लगतें हैं। Hollywood की मशहूर फिल्म Agora(2009) हर हिन्दू को देखनी चाहिए। इसमें दिखाया है कि जब क्रिप्टो-क्रिस्चियन रोम में संख्या में अधिक हुए तब उन्होंने रोमन देवी-देवताओं का अपमान करना शुरू कर दिया। वर्तमान में भारत मे भी क्रिप्टो-क्रिस्चियन ने पकड़ बनानी शुरू की तो यहाँ भी हिन्दू देवी-देवताओं, ब्राह्मणों को गाली देने का काम शुरू कर दिया। मतलब, जो काम यूरोप में 2000 साल पहले हुआ वह भारत मे आज हो रहा है। हाल में प्रोफेसर केदार मंडल द्वारा देवी दुर्गा को वेश्या कहा जो कि दूसरी सदी के रोम की याद दिलाता है।

क्रिप्टो-क्रिस्चियन के बहुत से उदाहरण हैं पर सबसे रोचक उदाहरण जापान से है। मिशनिरियों का तथाकथित-संत ज़ेवियर जो भारत आया था वह 1550 में धर्मान्तरण के लिए जापान गया और उसने कई बौद्धों को ईसाई बनाया। 1643 में जापान के राष्ट्रवादी राजा शोगुन(Shogun) ने ईसाई धर्म का प्रचार जापान की सामाजिक एकता के लिए खतरा समझा। शोगुन ने बल का प्रयोग किया और कई चर्चो को तोड़ा गया; जीसस-मैरी की मूर्तियां जब्त करके तोड़ दी गईं; बाईबल समेत ईसाई धर्म की कई किताबें खुलेआम जलायीं गईं। जितने जापानियों ने ईसाई धर्म अपना लिया था उनको प्रताड़ित किया गया, उनकी बलपूर्वक बुद्ध धर्म मे घर वापसी कराई गई। जिन्होंने मना किया, उनके सर काट दिए गए। कई ईसाईयों ने बौद्ध धर्म मे घर वापसी का नाटक किया और क्रिप्टो-क्रिस्चियन बने रहे। जापान में इन क्रिप्टो-क्रिस्चियन को "काकूरे-क्रिस्चियन" कहा गया।

काकूरे-क्रिस्चियन ने बौद्धों के डर से ईसाई धर्म से संबधित कोई भी किताब रखनी बन्द कर दी। जीसस और मैरी की पूजा करने के लिए इन्होंने प्रार्थना बनायी जो सुनने में बौद्ध मंत्र लगती पर इसमें बाइबल के शब्द होते थे। ये ईसाई प्रार्थनाएँ काकूरे-क्रिस्चियनों ने एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी मौखिक रूप से हस्तांतरित करनी शुरू कर दी। 1550 से ले कर अगले 400 सालों तक काकूरे-क्रिस्चियन बुद्ध धर्म के छद्मावरण में रहे। 20वी शताब्दी में जब जापान औद्योगिकीकरण की तरफ बढ़ा और बौद्धों के धार्मिक कट्टरवाद में कमी आई तो इन काकूरे-क्रिस्चियन बौद्ध धर्म के मुखौटे से बाहर निकल अपनी ईसाई पहचान उजागर की।

भारत मे ऐसे बहुत से काकूरे-क्रिस्चियन हैं जो सेक्युलरवाद, वामपंथ और बौद्ध धर्म का मुखौटा पहन कर हमारे बीच हैं। भारत मे ईसाई आबादी आधिकारिक रूप से 2 करोड़ है और अचंभे की बात नहीं होगी अगर भारत मे 10 करोड़ ईसाई निकलें। अकेले पंजाब में अनुमानित ईसाई आबादी 10 प्रतिशत से ऊपर है। पंजाब के कई ईसाई, सिख धर्म के छद्मावरण में है, पगड़ी पहनतें है, दाड़ी, कृपाण, कड़ा भी पहनतें हैं पर सिख धर्म को मानते हैं पर ये सभी गुप्त-ईसाई हैं।

बहुत से क्रिप्टो-क्रिस्चियन आरक्षण लेने के लिए हिन्दू नाम रखे हैं। इनमें कइयों के नाम राम, कृष्ण, शिव, दुर्गा आदि भगवानों पर होतें है जिन्हें संघ के लोग भी सपने में गैर-हिन्दू नहीं समझ सकते जैसे कि पूर्व राष्ट्रपति के आर नारायणन जिंदगी भर दलित बन के मलाई खाता रहा और जब मरने पर ईसाई धर्म के अनुसार दफनाने की प्रक्रिया देखी तो समझ मे आया कि ये क्रिप्टो-क्रिस्चियन है।
देश मे ऐसे बहुत से क्रिप्टो-क्रिस्चियन हैं जो हिन्दू नामों में हिन्दू धर्म पर हमला करके सिर्फ वेटिकन का एजेंडा बढ़ा रहें हैं।

हम रोजमर्रा की ज़िंदगी मे हर दिन क्रिप्टो-क्रिस्चियनों को देखते हैं पर उन्हें समझ नहीं पाते क्योंकि वे हिन्दू नामों के छद्मावरण में छुपे रहतें हैं। जैसे कि...

राम को काल्पनिक बताने वाली कांग्रेसी नेता अम्बिका सोनी क्रिप्टो-क्रिस्चियन है।

NDTV का अधिकतर स्टाफ क्रिप्टो-क्रिस्चियन है।

हिन्दू नामों वाले नक्सली जिन्होंने स्वामी लक्ष्मणानन्द को मारा, वे क्रिप्टो-क्रिस्चियन हैं।

गौरी लंकेश, जो ब्राह्मणों को केरला से बाहर उठा कर फेंकने का चित्र अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर लगाये थी, क्रिप्टो-क्रिस्चियन थी।

JNU में भारत के टुकड़े करने के नारे लगाने वाले और फिर उनके ऊपर भारत सरकार द्वारा कार्यवाही को ब्राह्मणवादी अत्याचार बताने वाले वामी नहीं, क्रिप्टो-क्रिस्चियन हैं।

फेसबुक पर ब्राह्मणों को गाली देने वाले, हनुमान को बंदर, गणेश को हाथी बताने वाले खालिस्तानी सिख, क्रिप्टो-क्रिस्चियन हैं।

तमिलनाडु में द्रविड़ियन पहचान में छुप कर उत्तर भारतीयों पर हमला करने वाले क्रिप्टो-क्रिस्चियन हैं।

जिस राज्य ने सबसे अधिक हिंदी गायक दिए उस राज्य बंगाल में हिंदी का विरोध करने वाले क्रिप्टो-क्रिस्चियन हैं।

अंधश्रद्धा के नाम हिन्दू त्योहारों के खिलाफ एजेंडे चलाने वाला और बकरीद पर निर्दोष जानवरों की बलि और ईस्टर के दिन मरा हुआ आदमी जीसस जिंदा होने को अंधश्रध्दा न बोलने वाला दाभोलकर, क्रिप्टो-क्रिस्चियन था।

देवी दुर्गा के वेश्या बोलने वाला केदार मंडल और रात दिन फेसबुक पर ब्राह्मणों के खिलाफ बोलने वाले दिलीप मंडल, वामन मेश्राम क्रिप्टो-क्रिस्चियन।

महिषासुर को अपना पूर्वज बताने वाले जितेंद्र यादव और सुनील जनार्दन यादव जैसे कई यादव सरनेम में छुपे क्रिप्टो-क्रिस्चियन हैं।

जब किसी के लिवर में समस्या होती है तो उसकी त्वचा में खुजली, जी मचलाना और आंखों पीलापन आ जाता है पर ये सब सिर्फ symptoms हैं इनकी दवा करने से मूल समस्या हल नहीं होगी। अगर लिवर की समस्या को हल कर लिया तो ये symptoms अपने आप गायब हो जाएंगे।

बिना विश्लेषण के देखेंगे तो हिंदुओं के लिए तमाम समस्याएं दिखेंगी वामी, कांग्रेस, खालिस्तानी, नक्सली, दलित आंदोलन, JNU इत्यादि है, पर ये सब समस्याएं symptoms मात्र हैं जिसका मूल है क्रिप्टो-क्रिस्चियन।
(फोटो में बौद्ध रूप में मदर मेरी, काकूरे क्रिस्चियन बौद्धों को इस प्रकार मूर्ख बनाते रहे)
-- Sanjay Mishra

Courtesy: https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10214041375405547&id=1146345539

साइबर_अपराध - भाग - 5

#साइबर_अपराध - भाग - 5

झारखंड के हजारीबाग में रहने वाली किरण कुमारी, काफी साधारण परिवार से हैं. दो कमरों के मकान में रहने वाली किरण को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब उन्हें बताया गया कि उन्होंने 37 करोड़ रुपए का लेनदेन किया है. हालांकि, जांच में पता चला कि उनके पैन कार्ड का गलत इस्तेमाल कर कोलकाता की एक फर्म ने ऐसा काम किया था.उनके नाम पर एक्सिस बैंक में एक अकाउंट भी खोल लिया गया था. इस अकाउंट में सन 2010 से सन 2013 तक कुल 37 करोड़ रुपयों का लेनदेन हुआ था. लेकिन, किरण को इस बारे में भनक तक नहीं थी. आश्चर्य की बात यह है कि नाम और पूरी जानकारी तो किरण की थी लेकिन, बैंक अकाउंट पर उनकी तस्वीर नहीं थी , ऐसी ही सायबर अपराध की जानकारी आपको कल की पोस्ट में मैंने दि अब इसके आगे जानते है साइबर क्राइम के कुछ और प्रकार उनके बचाव और उनके लिए कानूनी मदद --

7- #स्पैम (Spam)

स्पैम माने अनचाही ई-मेल। यह भी साइबर अपराध  है। हिन्दी मेलिंग में, यह काफी है। अक्सर मेल में आपको अपनी चिट्ठी भेज कर उनकी चिट्ठियों को पढ़ने के लिये कहते हैं। यह गलत है। आप इस तरह का ईमेल तभी किसी व्यक्ति को भेजें जब उस व्यक्ति से आप उस चिट्ठी में कुछ करने के लिये कहते हैं या उसके बारे में लिखते हैं। यह न केवल इंटरनेट शिष्टाचार के विरुद्ध है पर साइबर अपराध भी है।स्पैम उस प्रकार के ईमेल को कहते है जो थोक में भेजा जाता है, बिना मांगे या बुलाये आ जा ता है, जिसमे प्राय विज्ञापन भरे होते है जब से ईमेल का विकास हुआ है स्पैम एक समस्या बनी रही है, ख़ास तौर पर 1990 के दशक से ये ईमेल प्रयोगकरता को परेशान करती है, उसका समय तथा धन बरबाद करती है, अप्रैल 2008 के एक अध्ययन से पता चलता है कि हर रोज कम से कम १०० अरब स्पैम भेजी जाती हाल ही में बेहतर फिल्टर सेवा ख़ास तौर पर जी मेल पे के चलते ये कम आने लगी है स्पैम भेजने के लिए पते चैटरूम से, वेब साईट से या वायरस के प्रयोग से एकत्र किए जाते है।

डेफिनिशन के अनुसार, स्पैम ईमेल वह होता हैं, जो इन तीन मानदंडों को पूरा करता है:
गुमनामी: सेन्‍डर का ईमेल एड्रेस और आइडेंटिटी छुपी रहती हैं|
मास मेलिंग: यह ईमेल लोगों के बड़े समूहों के लिए भेजा जाता हैं|
अनचाही: इन ईमेल को प्राप्तकर्ताओं द्वारा अनुरोध नहीं किया गया होता|

8 - #स्पिम (Spim)

यदि स्पैम अनचाहे ई-मेल है तो स्पिम अन्तरजाल के बातों के दौरान अनचाही बातें। स्पैम शब्द कई वर्षों से कंप्यूटर की दुनिया में प्रचलित है और इस का अर्थ भी किसी से ढका छिपा नहीं है... यानी ईमेल के ज़रिए आने वाले अनचाहे संदेश. यह प्रायः ऐसे विज्ञापन या विज्ञापन वाली साइट्स होती हैं जो हम पर बिना हमारी इच्छा के थोप दी जाती हैं. लेकिन अब इस से एक क़दम आगे आइए तो 2005 में एक और शब्द बहुत ही तेज़ी से प्रचलित हुआ है और वह शब्द है ‘स्पिम’ (Spim)

यह ऐसे विज्ञापन वाले प्रोग्राम हैं जो ‘तुरंत संवाद’ के रूप में हमारे पीसी में घुस आते हैं. इसी संदर्भ में एक साप्ताहिक पत्रिका से यह अंश प्रस्तुत किया जा रहा है.

Researchers warn that SPIM is growing at about three times the rate of spam, as spammers adapt their toolkit to exploit a rapidly rising number of the new instant messaging (I.M) users.

यानी ‘तुरंत संवाद’ का प्रयोग करने वाले कंप्यूटर बुरी तरह इस रोग से ग्रस्त हैं जिसे ‘स्पिम’ का नाम दिया जा रहा है.

9 - #इंटरनेट_पर_पीछा_करना (Cyber Stalking)

पीछा करना, तंग करना, इस हद तक घूरना कि दूसरा खीज जाये, डर जाय। यही काम जब इंटरनेट पर हो तो साइबर स्टॉकिंग कहलाता है।साइबर क्राइम का ही एक चेहरा है साइबर स्टॉकिंग, जिसमें कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह किसी दूसरे व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह का इंटरनेट के जरिए पीछा करता है और उसे हर तरह से नुकसान पहुंचाने और प्रताडि़त करने की कोशिश करता है।
इसमें इंटरनेट के जरिए किसी की गतिविधियों पर नजर रखना, उस पर झूठे इल्जाम लगाना, उसे धमकी देना, उसकी पहचान चुरा लेना, उसके डेटा या उपकरण के साथ छेड़छाड़ करना और उन्हें नुकसान पहुंचाना, एब्यूजिंग, सेक्सुअल हरासमेंट, अग्रेशन आदि शामिल है। इन हथकंडों का इस्तेमाल करते हुए इंटरनेट के जरिए किसी को नुकसान पहुंचाना ही 'साइबर स्टॉकिंग' कहलाता है। ऐसे अपराधों के लिए इंटरनेट के साथ-साथ मोबाइल फोन का इस्तेमाल भी 'स्टॉकिंग' ही कहलाता है।

10 - #अश्लीलता(pornography)

अश्लील ईमेल, अशलील चित्र, चित्रों को बदल कर किसी अन्य का चित्र लगा देना, यह सब अशलीलता के अन्दर आता है। इस तरह के साइबर अपराध सबसे अधिक हैं। इंटरनेट के माध्यम से अश्लीलता का व्यापार भी खूब फलफूल रहा है. ऐसे में पोर्नोग्राफी एक बड़ा कारोबार बन गई है. जिसके दायरे में ऐसे फोटो, विडियो, टेक्स्ट, ऑडियो और सामग्री आती है, जो यौन, यौन कृत्यों और नग्नता पर आधारित हो. ऐसी सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक ढंग से प्रकाशित करने, किसी को भेजने या किसी और के जरिए प्रकाशित करवाने या भिजवाने पर पोर्नोग्राफी निरोधक कानून लागू होता है. दूसरों के नग्न या अश्लील वीडियो तैयार करने वाले या ऐसा एमएमएस बनाने वाले या इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से इन्हे दूसरों तक पहुंचाने वाले और किसी को उसकी मर्जी के खिलाफ अश्लील संदेश भेजने वाले लोग इसी कानून के दायरे में आते हैं. पोर्नोग्राफी प्रकाशित करना और इलेक्ट्रॉनिक जरियों से दूसरों तक पहुंचाना अवैध है, लेकिन उसे देखना, पढ़ना या सुनना अवैध नहीं माना जाता. जबकि चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना भी अवैध माना जाता है।
इसमे एक विशेष क्लासिफिकेशन है वो है -

#चाइल्ड_पोर्नोग्राफी - 
बच्चों के साथ पेश आने वाले मामलों पर कानून और भी ज्यादा सख्त है. बच्चों को सेक्सुअल एक्ट में शामिल करना या नग्न दिखाना या इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में कोई सामग्री प्रकाशित करना या दूसरों को भेजना भी इसी कानून के तहत आता है. बल्कि भारतीय कानून के मुताबिक जो लोग बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री तैयार करते हैं, इकट्ठी करते हैं, ढूंढते हैं, देखते हैं, डाउनलोड करते हैं, विज्ञापन देते हैं, प्रमोट करते हैं, दूसरों के साथ लेनदेन करते हैं या बांटते हैं तो वह भी गैरकानूनी माना जाता है. बच्चों को बहला-फुसलाकर ऑनलाइन संबंधों के लिए तैयार करना, फिर उनके साथ यौन संबंध बनाना या बच्चों से जुड़ी यौन गतिविधियों को रेकॉर्ड करना, एमएमएस बनाना, दूसरों को भेजना आदि भी इसी के तहत आते हैं. इस कानून में 18 साल से कम उम्र के लोगों को बच्चों की श्रेणी में माना जाता है

#बचाव --

1 - कभी भी किसी भी स्पैम का जवाब न दें| अधिकांश स्पैमर्स प्राप्ति की पुष्टि और लॉग को वेरीफाई करते हैं| आप जितना अधिक जवाब देंगे, उतने अधिक स्‍पैम मैसेज आपको प्राप्‍त होने की संभावना होगी|

2 - इससे पहले कि आप ‘unsubscribe’ पर क्लिक करें, दो बार सोचे| ई-मेल एड्रेस इकट्ठा करने की कोशिश में स्पैमर्स नकली unsubscribe लेटर्स भेजते हैं| अगर आप इनकी unsubscribe लिंक पर क्लिक करेंगे तो आपका ई-मेल एड्रेस सच में होने कि उनको पुष्‍टी मिलेगी और भविष्‍य में आपको और अधिक स्‍पैम मैसेज मिलेंगे| अज्ञात सोर्स से आए ईमेल कि unsubscribe लिंक पर क्लिक न करें।

3- अपने ब्राउज़र को साफ़ करें। अपने ब्राउज़र के कैश (cache), हिस्ट्री के साथ साथ गूगल सर्च हिस्ट्री को क्लियर करें। अगर आपके कंप्यूटर को याद है कि आपने कोई पोर्न साइट विजिट की है (भले ही दुर्घटनावश), तो कंप्यूटर सोचेगा कि आपको और ज्यादा पोर्न चाहिए और यह पोर्नोग्राफी और असुरक्षित वेबसाइटों के और ज्यादा एडवरटाइजमेंट दिखाने लगेगा।

4 -  प्रभावी एंटीवायरस और एंटीमैलवेयर सॉफ्टवेयर का प्रयोग करें।

#कानूनी_मदद --

©स्पैम या स्पिम भेजना --
आईटी कानून 2000 की धारा 77 बी
- आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 66 डी
- आईपीसी की धारा 417, 419, 420 और 465।
सजा-  तीन साल तक की जेल और/या जुर्माना।

©इंटरनेट_पर_पीछा_करना (Cyber Stalking) --
- आईटी (संशोधन) कानून 2009 की धारा 66 (ए)
सजा: तीन साल तक की जेल और/या जुर्माना
मामले के दूसरे पहलुओं को ध्यान में रखते हुए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराएं ऊपर से भी लग सकती है

©अश्लीलता(pornography) --
आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 67 (ए)
- आईपीसी की धारा 292, 293, 294, 500, 506 और 509
सजा: जुर्म की गंभीरता के लिहाज से पहली गलती पर पांच साल तक की जेल और/या दस लाख रुपये तक जुर्माना। दूसरी बार गलती करने पर जेल की सजा सात साल हो जाती है।

©चाइल्ड पोर्नोग्राफी -
आईटी (संशोधन) कानून 2009 की धारा 67 (बी), आईपीसी की धाराएं 292, 293, 294, 500, 506 और 509
सजा: पहले अपराध पर पांच साल की जेल और/या दस लाख रुपये तक जुर्माना। दूसरे अपराध पर सात साल तक की जेल और/या दस लाख रुपये तक जुर्माना।

#विशेष - महिला मित्र ध्यान दें --
बच्चों और महिलाओं को तंग करना --
आज के दौर में सोशल नेटवर्किंग साइट्स खूब चलन में हैं. ऐसे में सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों, ई-मेल, चैट वगैरह के जरिए बच्चों या महिलाओं को तंग करने के मामले अक्सर सामने आते हैं. इन आधुनिक तरीकों से किसी को अश्लील या धमकाने वाले संदेश भेजना या किसी भी रूप में परेशान करना साइबर अपराध के दायरे में ही आता है. किसी के खिलाफ दुर्भावना से अफवाहें फैलाना, नफरत फैलाना या बदनाम करना भी इसी श्रेणी का अपराध है. इस तरह के केस में आईटी (संशोधन) कानून 2009 की धारा 66 (ए) के तहत सजा का प्रावधान है. दोष साबित होने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना हो सकता है।।

साभार: अजेष्ठ त्रिपाठी, https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=314814035651675&id=100013692425716

साइबर_अपराध भाग -4

#साइबर_अपराध भाग -4  -

आज कि पोस्ट ध्यान से पढ़े क्योंकि कही ऐसा न हो कि आप भी इसके शिकार बन जाये

पिछले पोस्टो में हमने इंटरनेट पर किए जाने वाले उन कामों की चर्चा की थी, जो साइबर क्राइम के तहत आते हैं। ऐसे अपराध करने वालों को कानून में सजा का प्रावधान है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में २००८ में संशोधन किया गया और कम्यूनिकेशन कंर्वजेन्स बिल के कई प्रावधानों को,  संशोधन के द्वारा इसमे सम्मिलित कर लिया गया है। हांलाकि इस संशोधन के बाद भी, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम सारी कमियां दूर नहीं हुई है। बहुत कुछ करना बाकी है। देखिय वह कब तक हो पाता है।

उनमे से शेष की जानकारी --

बहुत से साइबर अपराध, कंप्यूटर का प्रयोग करके किये जाते हैं पर उनका लक्षय कंप्यूटर या सर्वर नहीं होता है। इस तरह के अपराधों को निम्न श्रेणी में बांटा जा सकता है शेष आगे  --

4 - #साइबर_धोखाधड़ी (Cyber Fraud) --

अक्सर ई-मेल ,एसएमएस मिलते है कि भेजने वाली विधवा है जिसके पति का बहुत सारा पैसा फंसा हुआ है और वह  पैसा निकालने में आपकी सहायता चाहती है। इस तरह के भी ईमेल या एसएमएस आते हैं कि आपके  ई-मेल या फोन नम्बर ने करोड़ों की लॉटरी जीत ली है, जिसे पाने के लिए सम्पर्क करें। यह सब फर्जी होता है। यह धोखाधडी  कर, आपको फसाना चाहते हैं। यह साइबर अपराध है और इस पर कभी भी अमल नहीं करना चाहिए।प्रीपेड मोबाइल सर्विस टेलिनोर की इस साल की रिपोर्ट में बताया गया है कि 36 फीसदी लोग कभी-न-कभी ऑनलाइन चीटिंग का शिकार होते हैं। ऑनलाइन बिल पेमेंट करने पर, किसी ई-कॉमर्स साइट से गैजेट खरीदने पर, एटीएम से कैश निकालने पर, यानी आप कभी भी और कहीं भी चीटिंग का शिकार हो सकते हैं। आरबीआई डेटा के मुताबिक, 2015-16 में बैंकों ने एटीएम, क्रेडिट और डेबिट कार्ड्स से संबंधित फ्रॉड के 11,997 मामले दर्ज कराए। ये उन 49,455 मामलों से अलग हैं, जो फिशिंग, स्कैनिंग, हैकिंग आदि से जुड़े हैं। यही नहीं, ऐसे मामलों की संख्या कई गुना ज्यादा है, जिन्हें रिपोर्ट ही नहीं किया जाता।

5 - #साइबर_जासूसी (Cyber Espionage) --

इसे एडवेयर (Adware) या स्पाईवेयर (Spyware) भी कहा जाता है। आपके कंप्यूटर में कभी आपकी अनुमति से कभी बिना अनुमति के स्थापित हो जाते हैं। यह आपकी गतिविधियों की आपकी व्यक्तिगत सूचना एकत्र कर, अन्य को देतें है। जिसके द्वारा वे स्थापित किये जाते हैं। यह हमेशा आपके कंप्यूटर को धीमा भी कर देते हैं।
वाशिंगटन पोस्ट अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक 'नेशनल इंटेलीजेंस एस्टीमेट' का मानना है कि चीन सबसे आक्रामक तरीके से अमेरिका के व्यापारिक संस्थानों के कंप्यूटरों में सेंध लगाने की कोशिश कर रहा है ताकि इनमें मौजूद डाटा तक उसकी पहुंच हो सके। इसका प्रयोग वह आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए करना चाहता है। रिपोर्ट के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले से अखबार ने कहा है कि इसे लेकर अमेरिका की खुफिया एजेंसियां एकमत हैं। इसमें कहा गया है कि पिछले पांच वर्षो से अमेरिका के ऊर्जा, वित्त, सूचना, प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष के क्षेत्र में कंप्यूटरों को हैक करने का प्रयास किया जा रहा है। इससे होने वाले वित्तीय नुकसान का तो आकलन अभी नहीं किया जा सका है, लेकिन विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह अबरों डॉलर का हो सकता है। साइबर जासूसी को पहले मुख्यत: अमेरिका के खुफिया तंत्र और सेना के लिए चिंता का विषय माना जाता था। अब इसे देश के आर्थिक हितों के लिए प्रत्यक्ष खतरे के रूप में देखा जा रहा है।

6 - #पहचान_की_चोरी (Identify Theft)---

किसी व्यक्ति द्वारा किसी व्यक्ति की पहचान चोरी करना या उसका इलेक्ट्रानिक हस्ताक्षर को हैक करना या किसी अन्य के नाम से फर्जी काम करना ,पहचान की चोरी कहलाता है। अपने पास वर्ड में नम्बर तथा तथा वर्णमाल दोनो का प्रयोग करें। उसे बदलते रहें। किसी को न बतायें।
जैसा की नाम से जाहिर है, पहचान चोरी का सीधा मतलब आपकी निजी जानकारियों से है. जिसका इस्तेमाल बैंक अकाउंट खोलने, पैन कार्ड बनाने और इसके जरिए कालाधन, सफेद किए जाने की कोशिश होती है. इससे चोरी करने वाला तो पीछे होता है लेकिन, जिस आदमी का नाम इस्तेमाल हुआ है वह फंस जाता है. यह शब्द सन 1964 से चलन में है.

#कैसे_होती_है 'पहचान चोरी' --
फेसबुक के  महारथियों ध्यान दो
पहचान चोरी के लिए शातिर अपराधी आपकी निजी जानकारियां चुरा लेते हैं. इसमें आपके नाम से साथ ही आपका पैन नंबर, आधार नंबर, पासपोर्ट की जानकारी, बैंक अकाउंट की जानकारी, वोटर आईडी कार्ड, कार्य़ालय का आईडी कार्ड या आपकी अन्य जानकारियों को चुरा लेता है. इसके लिए सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

'#पहचान चोरी' के खतरे : इस चोरी के जरिए कोई भी आपके नाम पर बैंक अकाउंट खोल सकता है, नया पैन कार्ड बनवा सकता है. आपका नाम और किसी अन्य की तस्वीर लगाकर कोई भी अपराध अंजाम दिया जा सकता है. कालाधन वाले आपके नाम पर पैसा जमाकर निकाल सकते हैं. ऐसे में फंसने वाले को पता भी नहीं लगेगा औऱ उसके नाम पर करोड़ों की हेराफेरी हो चुकी होगी ।

#बचाव -
अपनी किसी भी जानकारी को अनजान लोगों को न दें - पैन/आधार/वोटर आईडी किसी भी प्रकार की फोटो कॉपी सावधानी के साथ इस्तेमाल करें - किसी भी तरह का पहचान पत्र चोरी होने पर पुलिस को सूचना दें - जानकारी मांगने वाले फर्जी फोन कॉल्स से सावधान रहें - बिना जानकारी बैंक से एटीएम या अन्य कागज आए तो सावधान - इंटरनेट पर पासवर्ड आदि का इस्तेमाल सही से करें - अपने लिए आने वाली चिट्ठियों आदि पर भी नजर/ध्यान रखें - कोई आपकी जानकारी मांगे तो शक होने पर पुलिस को बताएं - बैंक या अन्य स्थानों पर काउंटर पर जाकर ही जानकारी सौंपे - कागजातों की फोटो कॉपी इस्तेमाल में न हों तो नष्ट कर दें - किसी भी तरह के अनजान ट्रांजेक्शन पर अलर्ट हो जाएं - किसी भी तरह के लालच में न आएं, लालच देने वाले का नाम पुलिस को बताएं 'अक्सर पहचान चुराने वाले लालच देकर आपकी जानकारी आपसे ही निकाल लेते हैं. ऐसे में लालच में न आएं. इसके साथ ही अपने कागजातों को संभाल कर रखें. किसी भी तरह का शक होने पर पुलिस को सूचना दें ।

सोशल मीडिया जैसे कि फेसबुक, माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर, चैटिंग साइट्स, ऑनलाइन कंस्यूमर कंप्लेंट, चैरिटी और क्राउडफंडिंग वेबसाइटस ने धोखेबाजों की एक नई फौज खड़ी कर दी है। ये लोग इन साइट्स पर मौजूद लोगों की पर्सनल जानकारी का फायदा उठाते हैं।
यहां अपने दोस्तों के दोस्तों से भी सावधान रहें। हो सकता है कि कोई आपके दोस्त का अकाउंट हैक कर उसके नाम से एक डुप्लिकेट अकाउंट बना ले और फिर उसकी फ्रेंड लिस्ट में शामिल लोगों से मदद के नाम पर पैसा मांगे। ऐसे में कई बार लोग दोस्त समझ कर पैसा दे देते हैं, जबकि कोई ठग दोस्त के नाम पर फर्जी अकाउंट से पैसा वसूल रहा होता है।

सोशल मीडिया पर अनजान शख्स से दोस्ती न करें।
- सोशल मीडिया साइट्स पर पर्सनल फाइनैंशल डिटेल्स की जानकारी न दें।
- अपने दोस्त के दोस्त (जिसे आप जानते न हों) को बिना अपने दोस्त से पूछे पैसा न दें।
- कंप्लेंट साइट्स पर बैंक डिटेल्स या दूसरी अहम जानकारी शेयर न करें।
- सोशल साइट पर मदद मांगने वाले किसी की भी मदद दूसरे मददगार लोगों से जानें बगैर न करें।I

#कानूनी_मदद --

पहचान_की_चोरी (Identify Theft)---
- आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43, 66 (सी)
- आईपीसी की धारा 419 का इस्तेमाल मुमकिन
सजा: तीन साल तक की जेल और/या एक लाख रुपये तक जुर्माना।

साइबर_धोखाधड़ी (Cyber Fraud) --
- आईटी कानून 2000 की धारा 77 बी
- आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 66 डी
- आईपीसी की धारा 417, 419, 420 और 465।
सजा: तीन साल तक की जेल और/या जुर्माना।

साइबर_जासूसी (Cyber Espionage) --
- आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 43 (बी), धारा 66 (ई), 67 (सी)
- आईपीसी की धारा 379, 405, 420
- कॉपीराइट कानून
सजा: अपराध की गंभीरता के हिसाब से तीन साल तक की जेल और/या दो लाख रुपये तक जुर्माना।

#अंतरराष्ट्रीय मामले में --
- आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43 (सी), धारा 66
- आईपीसी की धारा 268
- देश की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने के लिए फैलाए गए वायरसों पर साइबर आतंकवाद से जुड़ी धारा 66 (एफ) भी लागू (गैर-जमानती)।
सजा : साइबर-वॉर और साइबर आतंकवाद से जुड़े मामलों में उम्र कैद। दूसरे मामलों में तीन साल तक की जेल और/या जुर्माना।

साभार: अजेष्ठ त्रिपाठी, https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=314540729012339&id=100013692425716

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