Friday, 6 October 2017

साइबर_अपराध भाग -4

#साइबर_अपराध भाग -4  -

आज कि पोस्ट ध्यान से पढ़े क्योंकि कही ऐसा न हो कि आप भी इसके शिकार बन जाये

पिछले पोस्टो में हमने इंटरनेट पर किए जाने वाले उन कामों की चर्चा की थी, जो साइबर क्राइम के तहत आते हैं। ऐसे अपराध करने वालों को कानून में सजा का प्रावधान है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में २००८ में संशोधन किया गया और कम्यूनिकेशन कंर्वजेन्स बिल के कई प्रावधानों को,  संशोधन के द्वारा इसमे सम्मिलित कर लिया गया है। हांलाकि इस संशोधन के बाद भी, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम सारी कमियां दूर नहीं हुई है। बहुत कुछ करना बाकी है। देखिय वह कब तक हो पाता है।

उनमे से शेष की जानकारी --

बहुत से साइबर अपराध, कंप्यूटर का प्रयोग करके किये जाते हैं पर उनका लक्षय कंप्यूटर या सर्वर नहीं होता है। इस तरह के अपराधों को निम्न श्रेणी में बांटा जा सकता है शेष आगे  --

4 - #साइबर_धोखाधड़ी (Cyber Fraud) --

अक्सर ई-मेल ,एसएमएस मिलते है कि भेजने वाली विधवा है जिसके पति का बहुत सारा पैसा फंसा हुआ है और वह  पैसा निकालने में आपकी सहायता चाहती है। इस तरह के भी ईमेल या एसएमएस आते हैं कि आपके  ई-मेल या फोन नम्बर ने करोड़ों की लॉटरी जीत ली है, जिसे पाने के लिए सम्पर्क करें। यह सब फर्जी होता है। यह धोखाधडी  कर, आपको फसाना चाहते हैं। यह साइबर अपराध है और इस पर कभी भी अमल नहीं करना चाहिए।प्रीपेड मोबाइल सर्विस टेलिनोर की इस साल की रिपोर्ट में बताया गया है कि 36 फीसदी लोग कभी-न-कभी ऑनलाइन चीटिंग का शिकार होते हैं। ऑनलाइन बिल पेमेंट करने पर, किसी ई-कॉमर्स साइट से गैजेट खरीदने पर, एटीएम से कैश निकालने पर, यानी आप कभी भी और कहीं भी चीटिंग का शिकार हो सकते हैं। आरबीआई डेटा के मुताबिक, 2015-16 में बैंकों ने एटीएम, क्रेडिट और डेबिट कार्ड्स से संबंधित फ्रॉड के 11,997 मामले दर्ज कराए। ये उन 49,455 मामलों से अलग हैं, जो फिशिंग, स्कैनिंग, हैकिंग आदि से जुड़े हैं। यही नहीं, ऐसे मामलों की संख्या कई गुना ज्यादा है, जिन्हें रिपोर्ट ही नहीं किया जाता।

5 - #साइबर_जासूसी (Cyber Espionage) --

इसे एडवेयर (Adware) या स्पाईवेयर (Spyware) भी कहा जाता है। आपके कंप्यूटर में कभी आपकी अनुमति से कभी बिना अनुमति के स्थापित हो जाते हैं। यह आपकी गतिविधियों की आपकी व्यक्तिगत सूचना एकत्र कर, अन्य को देतें है। जिसके द्वारा वे स्थापित किये जाते हैं। यह हमेशा आपके कंप्यूटर को धीमा भी कर देते हैं।
वाशिंगटन पोस्ट अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक 'नेशनल इंटेलीजेंस एस्टीमेट' का मानना है कि चीन सबसे आक्रामक तरीके से अमेरिका के व्यापारिक संस्थानों के कंप्यूटरों में सेंध लगाने की कोशिश कर रहा है ताकि इनमें मौजूद डाटा तक उसकी पहुंच हो सके। इसका प्रयोग वह आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए करना चाहता है। रिपोर्ट के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले से अखबार ने कहा है कि इसे लेकर अमेरिका की खुफिया एजेंसियां एकमत हैं। इसमें कहा गया है कि पिछले पांच वर्षो से अमेरिका के ऊर्जा, वित्त, सूचना, प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष के क्षेत्र में कंप्यूटरों को हैक करने का प्रयास किया जा रहा है। इससे होने वाले वित्तीय नुकसान का तो आकलन अभी नहीं किया जा सका है, लेकिन विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह अबरों डॉलर का हो सकता है। साइबर जासूसी को पहले मुख्यत: अमेरिका के खुफिया तंत्र और सेना के लिए चिंता का विषय माना जाता था। अब इसे देश के आर्थिक हितों के लिए प्रत्यक्ष खतरे के रूप में देखा जा रहा है।

6 - #पहचान_की_चोरी (Identify Theft)---

किसी व्यक्ति द्वारा किसी व्यक्ति की पहचान चोरी करना या उसका इलेक्ट्रानिक हस्ताक्षर को हैक करना या किसी अन्य के नाम से फर्जी काम करना ,पहचान की चोरी कहलाता है। अपने पास वर्ड में नम्बर तथा तथा वर्णमाल दोनो का प्रयोग करें। उसे बदलते रहें। किसी को न बतायें।
जैसा की नाम से जाहिर है, पहचान चोरी का सीधा मतलब आपकी निजी जानकारियों से है. जिसका इस्तेमाल बैंक अकाउंट खोलने, पैन कार्ड बनाने और इसके जरिए कालाधन, सफेद किए जाने की कोशिश होती है. इससे चोरी करने वाला तो पीछे होता है लेकिन, जिस आदमी का नाम इस्तेमाल हुआ है वह फंस जाता है. यह शब्द सन 1964 से चलन में है.

#कैसे_होती_है 'पहचान चोरी' --
फेसबुक के  महारथियों ध्यान दो
पहचान चोरी के लिए शातिर अपराधी आपकी निजी जानकारियां चुरा लेते हैं. इसमें आपके नाम से साथ ही आपका पैन नंबर, आधार नंबर, पासपोर्ट की जानकारी, बैंक अकाउंट की जानकारी, वोटर आईडी कार्ड, कार्य़ालय का आईडी कार्ड या आपकी अन्य जानकारियों को चुरा लेता है. इसके लिए सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

'#पहचान चोरी' के खतरे : इस चोरी के जरिए कोई भी आपके नाम पर बैंक अकाउंट खोल सकता है, नया पैन कार्ड बनवा सकता है. आपका नाम और किसी अन्य की तस्वीर लगाकर कोई भी अपराध अंजाम दिया जा सकता है. कालाधन वाले आपके नाम पर पैसा जमाकर निकाल सकते हैं. ऐसे में फंसने वाले को पता भी नहीं लगेगा औऱ उसके नाम पर करोड़ों की हेराफेरी हो चुकी होगी ।

#बचाव -
अपनी किसी भी जानकारी को अनजान लोगों को न दें - पैन/आधार/वोटर आईडी किसी भी प्रकार की फोटो कॉपी सावधानी के साथ इस्तेमाल करें - किसी भी तरह का पहचान पत्र चोरी होने पर पुलिस को सूचना दें - जानकारी मांगने वाले फर्जी फोन कॉल्स से सावधान रहें - बिना जानकारी बैंक से एटीएम या अन्य कागज आए तो सावधान - इंटरनेट पर पासवर्ड आदि का इस्तेमाल सही से करें - अपने लिए आने वाली चिट्ठियों आदि पर भी नजर/ध्यान रखें - कोई आपकी जानकारी मांगे तो शक होने पर पुलिस को बताएं - बैंक या अन्य स्थानों पर काउंटर पर जाकर ही जानकारी सौंपे - कागजातों की फोटो कॉपी इस्तेमाल में न हों तो नष्ट कर दें - किसी भी तरह के अनजान ट्रांजेक्शन पर अलर्ट हो जाएं - किसी भी तरह के लालच में न आएं, लालच देने वाले का नाम पुलिस को बताएं 'अक्सर पहचान चुराने वाले लालच देकर आपकी जानकारी आपसे ही निकाल लेते हैं. ऐसे में लालच में न आएं. इसके साथ ही अपने कागजातों को संभाल कर रखें. किसी भी तरह का शक होने पर पुलिस को सूचना दें ।

सोशल मीडिया जैसे कि फेसबुक, माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर, चैटिंग साइट्स, ऑनलाइन कंस्यूमर कंप्लेंट, चैरिटी और क्राउडफंडिंग वेबसाइटस ने धोखेबाजों की एक नई फौज खड़ी कर दी है। ये लोग इन साइट्स पर मौजूद लोगों की पर्सनल जानकारी का फायदा उठाते हैं।
यहां अपने दोस्तों के दोस्तों से भी सावधान रहें। हो सकता है कि कोई आपके दोस्त का अकाउंट हैक कर उसके नाम से एक डुप्लिकेट अकाउंट बना ले और फिर उसकी फ्रेंड लिस्ट में शामिल लोगों से मदद के नाम पर पैसा मांगे। ऐसे में कई बार लोग दोस्त समझ कर पैसा दे देते हैं, जबकि कोई ठग दोस्त के नाम पर फर्जी अकाउंट से पैसा वसूल रहा होता है।

सोशल मीडिया पर अनजान शख्स से दोस्ती न करें।
- सोशल मीडिया साइट्स पर पर्सनल फाइनैंशल डिटेल्स की जानकारी न दें।
- अपने दोस्त के दोस्त (जिसे आप जानते न हों) को बिना अपने दोस्त से पूछे पैसा न दें।
- कंप्लेंट साइट्स पर बैंक डिटेल्स या दूसरी अहम जानकारी शेयर न करें।
- सोशल साइट पर मदद मांगने वाले किसी की भी मदद दूसरे मददगार लोगों से जानें बगैर न करें।I

#कानूनी_मदद --

पहचान_की_चोरी (Identify Theft)---
- आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43, 66 (सी)
- आईपीसी की धारा 419 का इस्तेमाल मुमकिन
सजा: तीन साल तक की जेल और/या एक लाख रुपये तक जुर्माना।

साइबर_धोखाधड़ी (Cyber Fraud) --
- आईटी कानून 2000 की धारा 77 बी
- आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 66 डी
- आईपीसी की धारा 417, 419, 420 और 465।
सजा: तीन साल तक की जेल और/या जुर्माना।

साइबर_जासूसी (Cyber Espionage) --
- आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 43 (बी), धारा 66 (ई), 67 (सी)
- आईपीसी की धारा 379, 405, 420
- कॉपीराइट कानून
सजा: अपराध की गंभीरता के हिसाब से तीन साल तक की जेल और/या दो लाख रुपये तक जुर्माना।

#अंतरराष्ट्रीय मामले में --
- आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43 (सी), धारा 66
- आईपीसी की धारा 268
- देश की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने के लिए फैलाए गए वायरसों पर साइबर आतंकवाद से जुड़ी धारा 66 (एफ) भी लागू (गैर-जमानती)।
सजा : साइबर-वॉर और साइबर आतंकवाद से जुड़े मामलों में उम्र कैद। दूसरे मामलों में तीन साल तक की जेल और/या जुर्माना।

साभार: अजेष्ठ त्रिपाठी, https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=314540729012339&id=100013692425716

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