'मीम,भीम की असलियत
हिन्दू समाज को बांटकर कमजोर कर खत्म कर देने की साजिश कोई आज से नही चल रही।यह खुलेआम आजादी से पहले ही काम कर रही है।दलित-मुस्लिम गठजोड़ और जय भीम-जय मीम का नारा देने वाले आपको कभी जोगेंद्र नाथ मंडल का नाम लेते नहीं दिखेंगे।मीडिया,लेखन,फिल्म डाकूमेंटरी.या गूगल आप को जोगेन्द्रनाथ मंडल का नाम गायब मिलेगा या फिर जो भी मिलेगा एक स्पेशल फैब्रिकेशन के साथ मिलेगा जिससे हिन्दू समाज में विभाजन हो,वे प्राय: क्रेप्तो-इस्लामिक हैं जो इतने अनुभवों के बाद भी दलित समाज में जानकारियाँ नही होने देना चाहते।जबकी आजादी से पहले दलितों के सबसे बड़े नेता कहे जाते थे।बाबासाहेब से भी बड़े दलित नेता इसीलिए कहा... क्योंकि 1945-46 जब संविधान-निर्माण समिति के लिए चुनाव हुए तो बाबासाहेब बंबई से चुनाव हार गए, ऐसे मे वे जोगेंद्र नाथ मंडल ही थे जिन्होने बाबा साहेब को बंगाल के कोटे से जितवाया।मंडल के नाम का गायब होना-आप वामियो-सामियो और कांग्रेसियों का सबसे बड़ा प्रमाण मानिए क्योंकि यह एक नाम इस बेमेल गठजोड़ के पीछे की खतरनाक शाजिश की धज्जियाँ उड़ा देगा।आपने कल भारत का बजट देखा भारत में दलितों को 52,000 करोड़ रुपया बजट में मिला है।आरक्षण प्राप्त है।दुनिया भर में किसी भी देश से ज्यादा सुविधाए और अनुकूलता प्राप्त है जबकि वहीं पाकिस्तान में इस्लामिक दलितों के साथ-साथ दलितों को बाबा जी का ठुल्लू दिया जाता है।जबकि भारत से कई गुना ज्यादा मुस्लिम दलित और गरीब वर्ग वहां है ;लेकिन इस्लाम वाद के नाम पर उनकी आवाज उठाने वाला कोई नही है।स्पेशिली कम्युनिष्टो की इस्लामिक-गैर-बराबरीवाद पर जान सूखी जाती है।उनके अज्काफ.अज्गाफ,अशराफ वर्ग पर कभी वामी बुद्धिजीवी लिखने की हिम्मत नही जुटाते।
अगर आप ये सोच रहे हैं कि पाकिस्तान तो मुसलमानों के लिए बना था फिर वह दलितों को बजट और आरक्षण क्यों देगा? तो मैं कहूंगा आप नवजात शिशु हैं,समझ और सूचनाये आपको बिलकुल नही।पाकिस्तान बनने से पहले दलितों को ऐसा ही प्र्लोभन दिया गया था|1947 से पहले अम्बेडकर जी की पार्टी के एक नेता जोगेन्द्रनाथ मंडल ने SCF और मुस्लिम लीग ने समझौता किया हमें भारत विखंडित करके एक राष्ट्र बनाना है।दलितों और मुसलमानों के लिए,जिसका नाम होगा पाकिस्तान।भारत-पाक बंटवारे के विषय को लेकर दोनों नेताओं में विवाद था।बाद में अपनी पुस्तक 'थाट्स ऑन पाकिस्तान, में डॉक्टर बीआर अंबेडकर लिखते हैं कि ' 'हजारों साल का दुश्मन है जो तब तक लड़ता रहेगा जब तक हिंदू नहीं समाप्त हो जाता, इसलिए भारत वर्ष से एक-एक मुसलमानों को निकाल कर पाकिस्तान भेज देना चाहिए,। क्योंकि दुश्मनों का साथ रहना उचित नहीं है। डॉ अम्बेडकर इस बात के कड़े समर्थक थे कि हिंदुस्तान-पाकिस्तान का अगर बंटवारा अगर मजहबी आधार पर हो रहा है तो कोई भी मुसलमान भारत में ना रहे।नही तो समस्याये बरकार रहेंगी।जोगेंद्र नाथ मंडल ने भारत विभाजन के वक्त अपने दलित अनुयायियों को पाकिस्तान के पक्ष मे वोट करने का आदेश दिया था।अविभाजित भारत के पूर्वी बंगाल और सिलहट (आधुनिक बांग्लादेश) में करीब 40 प्रतिशत आबादी हिंदुओं की थी, जिन्होने पाकिस्तान के पक्ष मे वोट किया और मुस्लिम लीग मण्डल के सहयोग से भारत का एक बड़ा हिस्सा हासिल करने मे सफल हुआ।
अंत में बाबा साहब ने जोगेन्द्रनाथ मंडल से किनारा कर लिया।वह भारत के कानून मंत्री बने।मंडल एक बड़ी संख्या लेकर पाकिस्तान गए।जोगेंद्र नाथ मंडल पाकिस्तान का पहला कानून मंत्री बने।जोगेंद्र नाथ मंडल ने सोचा अब पाकिस्तान बन गया है, दलितों के मज़े होंगे।पर हुआ उल्टा।संगठित आक्रामक समाज दलितों के धर्मांतरण पर तुल गया।दलितों को मिलने वाला सभी प्रकार का भत्ता बंद कर दिया।दलितों के मुसलमान किरायेदारों ने दलितों को किराया देना बंद कर दिया।दलितों की लड़कियां मुसलमान आये दिन उठा के ले जाते।आये दिन दंगे होने लगे।अब मुस्लिम लीग को वैसे भी दलित-मुस्लिम दोस्ती का ढोंग करने की जरूरत नहीं रह गयी थी।उनके लिए हर गैर-मुस्लिम काफिर है।पूर्वी पाकिस्तान मे मण्डल की अहमियत धीरे-धीरे खत्म हो चुकी थी।दलित हिंदुओं पर अत्याचार शुरू हो चुके थे।30% दलित हिन्दू आबादी की जान-माल-इज्जत खतरे मे थी।पाकिस्तान में सिर्फ एक दिन 20 फरवरी 1950 को 10,000 से ऊपर दलित मारे गए।ये सब बातें किसी संघी किताब में नहीं बल्कि खुद जोगेंद्र नाथ मंडल ने अपने इस्तीफे में लिखी हैं।मंडल ने हिंदुओं के संग होने वाले बरताव के बारे में जिन्ना को पत्र लिखा, "मुस्लिम, हिंदू वकीलों, डॉक्टरों, दुकानदारों और कारोबारियों का बहिष्कार करने लगे, जिसकी वजह से इन लोगों को जीविका की तलाश में पश्चिम बंगाल जाने के लिए मजबूर होना पड़ा." । गैर-मुस्लिमों के संग नौकरियों में अक्सर भेदभाव होता है।लोग हिंदुओं के साथ खान-पान भी पसंद नहीं करतेपूर्वी बंगाल के हिंदुओं (दलित-सवर्ण सभी ) के घरों को आधिकारिक प्रक्रिया पूरा किए बगैर कब्जा कर लिया गया और हिंदू मकान मालिकों को मुस्लिम किरायेदारों ने किराया देना काफी पहले बंद कर दिया था।
जोगेन्द्र नाथ ने कार्यवाही हेतु बार- बार चिट्ठीयां लिखी, पर इस्लामिक सरकार को न तो कुछ करना था, न किया।आखिर उसे समझ में आ गया कि उसने किसपर भरोसा करने की मूर्खता कर दी है।मंडल को खुद लगा कि अब उसकी जान पाकिस्तान में सुरक्षित नहीं है और वह अपने दलितों को पाकिस्तान में छोड़ के भाग निकले और पश्चिमी बंगाल में आ कर गुमनामी की जिंदगी में मरे।जोगेंद्र नाथ मंडल का इस्तीफा किसी भी दलित के लिए हॉरर मूवी से कम नहीं।1950 में बेइज्जत होकर जोगेंद्र नाथ मंडल भारत लौट आये।भारत के पश्चिम बंगाल के बनगांव में वो गुमनामी की जिन्दगी जीते रहे।अपने किये पर 18 साल पछताते हुए आखिर 5 अक्टूबर 1968 को उसने गुमनामी में ही आखरी साँसे ली।एक तरफ दलित-मुस्लिम गठजोड़ के जनक मण्डल का शर्मनाक अंत हुआ और दूसरी तरफ बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को हैदराबाद निजाम और इस्लामिक संस्थानों ने मुसलमान बन जाने के लिए अरबों रुपयों तथा तमाम तरह के पदों का लालच दिया लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया।उनका कहना था कि हम इसी भारतीय भूमि से निकली हुई सनातन चेतना से जुड़ें रहेंगे।राष्ट्र को काटने-तोड़ने का काम बिल्कुल नहीं करेंगे।बाद में ईसाई मिशनरियों ने भी उनसे संपर्क किया और चाहते थे कि डॉक्टर अंबेडकर किसी भी तरह अनुयायियों के साथ ईसाई हो जाएं और उनका बेस मजबूत हो जाए।उन्होंने बड़ी कठोरता के साथ मिशनरियों को मना किया।प्रखर राष्ट्रवादी, इस्लाम-कम्युनिस्ट-मिशनरी बिरोधी सच्चे दलित नेता भारत रत्न बन इतिहास मे अमर हो गए।
मंडल की वजह से बंगाल का बड़ा हिस्सा बांग्लादेश तैयार हो गया।उस समय वहां पर मुस्लिम केवल 27% था। वह हिस्सा पूर्वी-पाकिस्तान के रूप में पाकिस्तान बन जाने की वजह से हिंदू घटने लगा।72.1 प्रतिशत से घटकर 48 परसेंट हुआ।1971 आते-आते 28 परसेंट हुआ और आज वहां केवल 6.3 परसेंट हिंदू बचा है।सभी दलितों को मार-मूर कर मुसलमान बना लिया या भगा दिया।नॉर्मली आज पूरे पाकिस्तान में केवल दलित जातियां ही बची है।उनके साथ हो रहे व्यवहार से भीम-मीम की असलियत का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।पाकिस्तान गये दलितों की दुर्दशा का पूरा आरोप जोगेंद्र नाथ मंडल डाला गया। देश के गद्दारों ने SCF पार्टी का नाम बदल दिया और इसी SCF को आज RPI नाम से जानतें हैं।एक बार फिर से वही रणनीति और हिन्दुओ को कई हिस्से में विभाजित करने की चाल चली गई है।देश भर में कई राजनीतिक पार्टियां इस पर खुलकर खेल रही हैं। इसलिए जब भी किसी मूर्ख हिन्दू के सर पर भीम-मीम गंठबंधन का भूत सवार होता दिखे तो उस भूत को उतारने के लिए एक बंगाली चप्पल सुँघा दें जिसका नाम है जोगेंद्र नाथ मंडल।
नोट-थोड़ी समझ रखने वाले के लिए कमेंट आवश्यक है।जिनकी कमजोर है वे रहने दे।
भरपूर नींद लें दिमाग को खुराक मिलेगा,थोड़ी सोचने-समझने की क्षमता भी आ जायेगी।
साभार: पवन त्रिपाठी, https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10155965704921768&id=705621767