Friday, 3 March 2017

क्या है सत्य इतिहास?

ज्ञान की किसी विधा में  - शाखा में जनता को इतनी लंबी अवधि तक नहीं और अवनरत रूप से नहीं ठगा गया है, जितना भारतीय इतिहास की विधा में ।

     एतिहासिक स्थलों की यात्रा करने वाले विधार्थियो , सरकारी कर्मचारियों, और पर्यटको की पीढ़ियों को इतिहास के नाम पर मनगढ़न्त साहित्य दिया जाता है, इन मिथ्या बातो को जनता में प्रचारित करने वाले वाही व्यक्ति है जिनको जनता " इतिहास - लेखकों " के रूप में अबाध प्रेम करती रही है, उनपर अटूट विश्वाश करती रही है। कुछ लोगो ने कपट और कृत्य जानकर किया है और कुछ ने अनजाने किया है, और कुछ लोगो ने कायरतावश किया है, उनमे लोगो के सामने यह बताने की हिम्मत ही नहीं थी की उन सब को इतिहास के नाम पर धोखा दिया जा रहा है ।।

उदारहण के लिए दिल्ली में कुतुबमीनार के नाम से पुकारे जाने वाले २३५ फुट ऊँचे स्तम्भ का मामला ले लजिये, इसके मुलोद्गम के बारे में  सभी तथाकथित इतिहास लेखक और सामान्य जनता समान रूप से अनिश्चित है,  फिर भी जानता के सामने जो इतिहास ग्रन्थ प्रस्तुत किये जाते है, उनमे नितांत झूठी बातो को सत्य कथन के रूप में साग्रह प्रस्तुत किया जाता है ।। कुछ लोगोंका कहना है कि कुतुबुदिन में जो दिल्ली पर सन 1206 से लेकर 1210 ई तक शाशन करने वाला गुलाम सुल्तान था , उसने यह बनवाया है ।।  अन्य लोग कहते है कि ऐबक के दामाद और  उत्तराधिकारी अलत्तमश ने इसे बनाया था, अन्य विचार है कि अलाउदीन खिलजी ने इसे अथवा कम से कम इसके कुछ भाग को तो अवश्य बनवाया था । चौथा मत यह है कि फिरोजशाह तुगलक ने इसके कुछ भाग को बनवाया होगा, पांचवा मत यह है कि उपरोक्त चार शासनों में मिल जुलकर यह बना था, यह आधा आधा सबने बनाया होगा ।।

सबसे आश्चर्यजनक यह है कि कोई भी इतिहास ग्रन्थ अत्यंत निष्ठापूर्वक सत्यता से समस्त मामला स्पष्ठ नहीं करेगा,  और जनता को विश्वाश में लेकर साफ़ साफ़ शब्दो में यह नहीं कहेगा , की इस बात का कोई आधार नहीं है कि  कुतुबमीनार को कुतुबुदिन अथवा इलतमश या अन्य किसी ने बनाया ताज क्यू की जिन चार शाशको को हमारे दो कौड़ी के इतिहासकार श्रेय देना चाहते है, उनमे से किसी ने भी मौखिक या लिखित दावा नहीं किया है कि कुतुबमीनार उनसे बनाया, बस यह इतिहासकार ही उन्हें इसका श्रेय देने में जोर जबरदस्ती लगे हुए है ।।  #पुरोहितवाणी

चाहे ताजमहल हो या अन्य इमारते, सभी का यही हाल है, मल्लेचो का यहाँ कुछ नहीं बनाया हुआ,  अगर हमारे गलती ना करने वाले इतिहासकारो ने विनम्र और आधारहीन कथन प्रस्तुत ना किये होते, और प्रत्येक मामले में सभी तथ्यों के सावधानीपूर्वक जनता के सामने रखा होता , तो नागरिकों को यह ज्ञात हो जाता की इतिहास के नाम पर मध्यकालीन एतिहासिक इमारतों  नगरियों के सम्बन्ध में भयंकर धोखा दिया जा रहा है ।।  इसे पृथभृष्ट किया गया है,  और इसे करने वाला कोई और नहीं, यह गांधी परिवार, और ईसाइयों और मुसलमानो की मिलीभगत की पार्टी कांग्रेस ही है।। रही सही कसर वामपंथियों ने पूरी कर दी, कांग्रेस और वामपंथ ने मिलकर न जाने कितने ही सालो से हिन्दू जनता को धोखा दिया है ।। ठगा है ।।

#purohitwani

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