राजपुतो की वीरता और क्षत्रिय धर्मं परायणता की एक ओर सच्ची कहानी.......
उज्जैन के राजा जसवंत सिंह पँवार ही नहीं उनके सेनिक भी शूरवीर योद्धा राजपूत थे । एक बार एक खबर आई कि मुसलमान सेना भारत मे खुसने वाली हैं। तभी राजपुती सेना तैयार हो गई ओर निकल पडी देश ओर धर्म कि रक्षा करने के लिए । मुसलमान सेना जानती थी की अगर क्षत्रिय राजपुतों से टकराए को बहुत कुछ खोना पडेगा , इसलिए मुल्लो ने एक तरीका निकाला जिससे युद्ध हो लेकिन सेना से नहीं ,। शहादत खान ने राजा जसवंत सिहं से कहा कि एक वीर राजपूत सेना की तरफ से लडेगा और दूसरा हमारी तरफ से जो जीतेगा उसकी बात रहेगी ।
राजा जसवंत सिंह ने हा कर दी और कहा पहले अपनी तरफ से वीर भेजो , खान ने सेना के सबसे ताकतवर 8 फिट लंबे योद्धा को भेजा , तव राजा जसवंत सिंह ने कुछ देर तक अपनी सेना कि तरफ देखा , तो खान बोला '' क्या हुआ डर गए क्या? '
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तब राजा जसवंत सिंह ने जवाव दिया कि '' मै किस वीर को चुनू मेरी सेना मे सारे क्षत्रिय राजपूत वीर ही हैं '' अगर किसी 1 को चुना तो सेना मे लडाई बज जाएगी , कि मुझे क्यों नही चुना ।
राजा ने खान से कहा- कि तु अपने आप चुनले किसी को भी , तो उस कायर मुसलमान ने 1 बुढढा राजपूत को चुना , जभी वो बुढढा राजपूत सीना चौडा करके आगे लडने आता हैं ।
लडाई शुरु हुई देखते - देखते उस मुसलमान ने राजपूत के पेट को भाले से चीर दिया और उपर उठा दिया , सब देखकर दंग रहा गए कि ये क्या हुआ , तभी राजा ने आदेश दिया की '' काट दो इस सेनिक को , तभी उस भाले पर लटके राजपूत ने तलवार निकाली ओर झट से उस मुल्ले का सिर काट डाला और भाले सहित सेना मे आ खडा हुआ ।
सब उस राजपूत की वीरता तो देखकर दंग रहा गए , ओर मुसलमान सैनिको को वापस लोटना पडा ।
जय क्षत्रिय धर्मं ..
जय क्षत्रिय राजपूत एकता
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