#ताजमहल_हम_हिंदुओं_का_ही_है_भाग_3
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गतांक से आगे
31-ताजमहल का अष्टकोणि आकार हम हिन्दुओ की दस दिशाएं बोध कराता है यह भी हिन्दू परम्परा का हिस्सा है।
आपको जानकर हैरत होगी कि जामा मस्द्विज भी इसी प्रकार अष्टकोणि आकार में है अतः यह भी एक हिन्दू मंदिर ही था पहले।
32-ताजमहल के गुम्बद पर जो अष्टधातु का कलश है वह त्रिशूल के आकार का पूर्ण कुम्भ है।उसके मध्य दंड के शिखर और नारियल की आकृति बनी हुई है। यह कलश सिर्फ हिन्दू या बौद्ध मंदिरों के ऊपर दिखाई देते हैं। गौर से देखना कभी ताजमहल के गुम्बद पर।
33-कलश पर ऊपर से इस्लामी नाम अल्लाह आदि गाढ़ दिया गया है जो वह गौर से देखने पर अलग ही प्रतीत होता है ऐसा लगता है किसी ने फेरबदल के उद्देश्यसे ही ऐसा किया होगा।
34-संगमर्मरी ताजमहल के पूर्व तथा पश्चिम में एक जैसे दो भवन है जिन में से एक को शाहजहां काल से मुसलमान मस्द्विज कहते आये हैं पर दूसरी को नही बल्कि आकार प्रकार दोनों इमारतों का एक सा ही है।पर प्रयोग अलग क्यों। वास्तव में दोनों भवन तेजोमहालय की धर्मशाला ही हैं।
35-पश्चिम में तथाकथित मस्द्विज से 50 गज की दुरी पर एक नक्कारखाना( जैसा मंदिरों में होता है जिसमे वाद्ययंत्र रखे एवं बजाए जाते है) है, यदि ताजमहल कब्र होती तो उसमें नक्कारखाने का क्या काम ??
36- केंद्रीय अष्टकोणि कक्ष जहाँ मुमताज की नकली कब्र है वहां जाकर आप पाएंगे क़ि वहां शिवलिंग जैसा कुछ था और आस पास की दीवारों और ॐ आकार के पुष्प की डिजाइन है।
37-कब्र के स्थान पर कभी शिवलिंग था जिसके पञ्च परिक्रमा मार्ग हैं
1-संगमर्मरी जाली के अंदर से
2-जाली के बाहर से
3-उसी कक्ष के बाहर से
4-संगमर्मरी चबूतरे से
5-लाल पत्थर के आंगन से
38- शिवलिंग के चारों ओर पहले सोने के खम्बे थे जिसका उल्लेख पीटरमन्दि ने अपनी संस्मरन में किया पर अब वह नही है तथा उस जगह से खम्बे हटवाकर सुराख़ भरवाने के निशान भी साफ़ दिखाई पड़ते हैं।
40-कब्र के ऊपर गुम्बद के मध्य एक अष्टधातु की जंजीर लटक रही है इसका मकबरे में क्या काम ,, शिवलिंग का जल सींचने वाला स्वर्ण कलश इसी जंजीर से लटक रहा था। पर जब स्वर्ण कलश को शाहजहां ने हटा दिया तो यह जंजीर भद्दी दिखने लगी जिसकारण इस पर लार्ड कर्जन ने एक दीप लटकवा दिया।
41-शिवलिंग पर जो कलश द्वारा पानी टपकता था वह कलश हड़पने के बाद बन्द हो गया पर बूंद टपकने की बात लोगों में बनी रही अतः समय बीतते बीतते शाजहाँ का आसूं टपकने की बात अनजाने में चल पड़ी।
42-पता नही लोग इस बात पर विश्वास भी कैसे मान लेते हैं शाजहाँ कोई साधु , महांपुरुस तो नही था जिस कारण उसकी आत्मा भटकेगी। वह तो एक क्रूर और अत्याचारी शाशक था और रंगीले मिजाज का भी 😁
43-एक और चुतियापा यह फैलाया जाता है कि ताजमहल बनाने के बाद शाहजहां ने सब कारीगरों के हाथ काट दिए थे, यह बताइये जब कोई कारीगर इतनी खूबसूरत रचना बनायेगा तो उसका सम्मान होगा या हाथ काट दिए जाएंगे।बल्कि सच तो यह है कि शाहजहां इतना कंजूस था कि वह ताजमहल में अपना एक कौड़ी तक खर्च नही करना चाहता था।पहले पत्रों के बारे में बता ही चूका हूँ
शाहजहां के सैनिक आगरा में घूम रहे गरीब नागरीको को तेजोमहालय में लाकर पटक देते थे ,उनसे मुफ्त में काम करवाया जाता था बस दाल रोटी दी जाती थी।
44-मजदूरों को फि जाने वाली दाल रोटी भी अधिकारियों द्वारा हड़प ली जाती थी जैसे आजकल हर सरकारी विभाग में होता है 😂
जिस कारण मजदूर भाग भी जाते थे इसलिए ताजमहल का काम 22 वर्ष तक धीरे धीरे चला।फिर बंद कर दिया गया।
45-ताजमहल के आंगन में एक शिला को हटवाकर देखा गया जो कि खोखली सी लग रही थी वहां शिला हटाने पर पुरातत्ववेता आर के वर्मा जी को एक जीना दिखा जिस से सैंकड़ो कमरों के लिए रास्ता जा रहा था पर वहां एक नाग नागिन का जोड़ा फन उठाकर बैठा था जिस कारण वर्माजी लौट आये।
46-मस्द्विज कहलाने वाली इमारत के साथ जो सात मंजिला कुँआ है उसमे जलस्तर वाली मंजिल में खजाना रखा जाता था। यह वैदिक छत्रिय परम्परा थी।
47- यदि शाहजहां ने सच में मुमताज के लिए यह बनवाया होता तो उसके अभिलेखों में बनवाने , दफनाने की तारीख अवश्य होती क्योंकि ताजमहल इतना विशाल बना तो दफनाया भी राजसी ठाट बाट द्वारा गया होगा।
48-शाहजहां के जनान खाने में मुमताज की औकात 5000/1 इससे ज़्यादा नही थी। अगर शाजहाँ ने सच में बनवाया होता तो ऐसे बहुत से ताजमहल होने चाहिए।
48- मुताज्महल को अगर शाहजहां की बीवी माँने तो वह चौदहवी बीवी थी। मुमताज के मरने के बाद शाहजहां ने उसकी बेटी को रखैल बना लिया।
49-अगर शाहजहां को मुमताज से सच्चा प्रेम था तो उसकी कोई कथा अवश्य होगी जैसे तुलसीदास की पत्नी विरह , कालिदास की ज्ञान प्राप्ति आदि।
बाकि फैक्ट्स अगली पोस्ट पर
साभार
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