आक्रमण के हथियार बदल रहे हैं - भाग 11.
व्यावसायिक आक्रमण । इन 20 सालो में भारत पर व्यापारिक / आर्थिक / व्यावसायिक आक्रमण जोरों पर चल रहा है।बहुत से सारे छोटे -पारंपरिक काम हाथ से निकल रहे हैं।बहुत सारे धंधे पर वो कब्ज़ा जमा चुके हैं, वे भी देशद्रोही वामपंथियों की सक्रीय सहायता से । मैं कुछ धंधों की गिनती करवाता हूँ। कुछ छूट जाएँ तो आप उन्हें जोड़ लेना मित्रों ।
सब से अधिक आक्रामक हैं आप पहचान सकते है । देखते हैं कौनसे धंधे हैं जिनपर उन्होने कब्जा किया है । जिन्हें हम कानूनन वैध धंधे कह सकते हैं वे ये हैं : 1.फलों का व्यापार- जूस दुकान 2.इत्र के कच्चे माल का व्यापार। 3.सिलाई का काम। 4.कच्चे मांस का व्यापार। 5.कच्चे चमड़े का व्यापार। 6.जानवरों की चर्बी का व्यापार। 7.कबाड़ी का व्यापार। 8.कूड़ा उठाने का व्यापार। 9.मोटर मेकेनिक का काम। 10.बाइक रिपेयरिंग का कारबार। 11.प्लम्बर, इलेक्ट्रीशियन का कारबार। 12.बड़े शहरों में सैलून, ब्यूटीशियन, हेयर कटिंग का कारबार। 13.महिलाओं के अंडर गारमेंट्स का कारबार। 14.श्रंगार प्रसाधनों का कारबार। 15.चूड़ियों का कारबार। 16.सेक्स की दवाओं का कारबार। 17.इत्र का कारबार। 18 .बेकरी का धंधा। 19 .बारूद, पटाखे का कारबार 20 Tour & Travel agencies 21 . शादी विवाह में फोटोग्राफी इनके अलावा माफियागीरी एक मुनाफे का धंधा बन चुका है।
एक हुनरमंद समाज,हाथ के हुनर से कमाकर खाने में मानता है । यह अपने आप में एक बहुत पॉज़िटिव गुण है । लेकिन ऊपरी धंधे हिन्दुओंसे कैसे छीने गए यह एक रोंगटे खड़े कर देनेवाला षडयंत्र है, और इसके दोषी कौन हैं यह भी देखते जाइएगा ।
अगर आप ऊपर दिये कामों की सूची देखेंगे तो पाएंगे कि इनमें बहुत सारे काम हैं जो हिन्दू किया करते थे । मांस, चमड़ा आदि काम तो करोड़ों के कारोबार हैं । इनमें से हिंदुओं को कैसे बाहर किया गया ?
यही वामपंथ का षडयंत्र है । उन्होने इन धंधों को करनेवालों को यही समझाया और वह भी भड़कीले, भड़काऊ अंदाज में – atrocity literature के निर्माण से – कि ये काम नीच हैं, इन्हें छोड़ दो । कभी भी यह न समझाया कि सरकारी योजनाओं का लाभ लो, खटीक से मीट प्रोसेसर, मीट एक्स्पोर्टर बन जाओ, चर्मकार से लेदर इंडस्ट्री बन जाओ, सरकारी, सहकारी योजनाओं का लाभ उठाओ, क्योंकि इन व्यवसायों की निरंतर मांग है, ये कभी नहीं बंद होनेवाले और न इनकी कमाई कम होनेवाली । नहीं, वामियों ने आज तक यह नहीं बताया और आज भी नीले चोले को ओढ़े, बाबा का नाम लेते लेते बाबा के बेटों को सीख देकर बड़े नहीं कर रहे है, बस अपने संघर्ष के लिए संघटित कर रहे हैं, ताकि देश का सुचारु रूप से चलना मुश्किल हो जाये । आज भी जब इस समाज से पुनरुज्जीवन की बात होती है, कोई न कोई वामपंथी सियार , भले ही नीला चोला पहना हो, अंदाज थोड़ी ही बदल सकता है – हुआं हुआं शुरू कर देता है और तुरंत बाकी सब लाल सियार, हरे भेड़िये और इटालिए मामला आगे न बढ़ाने देने में जुट जाते हैं ।
हिन्दू समाजों से ये पारंपरिक व्यवसाय उन्हें शर्मिंदा कर के छुड़वाए और उनके हाथों सुपूर्त किए । वे तैयार ही बैठे थे, लपक लिए । बाद में उनसे उन व्यवसाय हिंदुओं को वापस दिलाने में काँग्रेस को कभी रुचि थी ही नहीं, वोटबैंक जो थे । कभी हिंदुओं ने छुट पुट कोशिश की तो भायलोग से हिंसा का वास्तविक भय और कॉंग्रेस सरकारों की पक्षपाती अकर्मण्यता ने उनके हौसले पस्त कर दिये । हिन्दू व्यापारियों का भी दोष रहा है, इन व्यवसायों में हिन्दू को पार्टनर बनाने के बजाय मुसलमान पार्टनर बनाए हैं । तात्कालिक लाभ के पीछे ये न समझे कि जो उनके साथ सोया, आज नहीं तो कल जरूर रोया । दुर्भाग्य यह है कि वामी, व्यापारी और कॉंग्रेस के ये सभी लोग जन्मना हिन्दू ही हैं । अवतार तो सब आ कर चले जाते हैं, चिरंजीवी तो बिभीषण ही रहा है ।
ऊपर दिये वैध धंधों के अलावा अवैध धंधों में भी कौन हावी हैं?? वहाँ तो उनका संचार यूं सहज है जैसे बत्तख का जल में । जैसे कि .वेश्यावृति का धंधा, लड़कियों की तश्करी का धंधा, .ड्रग्स और नशीले पदार्थों की तश्करी, .हथियारों और गोला बारूद की तश्करी, .नकली नोटों की तश्करी, .चोरी, चेन स्नैचिंग, पाकेटमारी, मटका, जुआ इत्यादि। गायों की तश्करी । अगर आप कहें कि सभी संबन्धित हैं तो एक ही crime क्यों नहीं लिखा तो जवाब यह दूँगा कि सभी स्पेशलायाजेशन हैं अपने आप में, एक दूसरे में हस्तक्षेप नहीं करता । खून खराबा हो जाता है । हाँ, बाकी सरकार या कॉमन शत्रु के विरोध में वयं पंचाधिकम शतम – हम 100 वि पाँच नहीं, हम सौ धन पाँच = एक सौ पाँच हैं वाली युधिष्ठिर की सलाह का पालन करते मिलेंगे ।
मिशनरियां हमारे वंचित-वर्ग को लालच के सहारे धर्मांतरण करवाकर नौकरियों में घुसा रहे हैं ।कभी मित्रों से पूछकर देखिये, एचआर में कितने मिलेंगे । बहुत सायलेंट काम हो रहा है, और हिन्दू को सायलेंस भी किया जा रहा है ।उन्होंने पूरी योजनापूर्वक 100 साल पहले प्राइमरी/स्कूली शिक्षा क्षेत्र पर कब्जा जमा लिया।उनके सहारे वे मोटी रकम निकालते है।बल्कि इस फील्ड का पूरा रोजगार ही उनके कब्जे में आ चुका है। इस से संबन्धित और इससे निष्पादित व्यवसाय और नौकरियों में कब्जाए/जमे जा रहे हैं।एजुकेशन के सहारे वे वनवासी/वंचितों में घुस कर मतांतरण करते है और टोटली सनातन समाज से काट देते है।
बाकी हम क्या कर रहे हैं इसकी चर्चा न करके हम क्या कर सकते हैं इसपर फोकस करना सही होगा । जो हम से गरीब हैं उनका ख्याल रखें, अपने साथ जोड़ें । उनके यहाँ हिन्दू को क्या काम मिलता है जरा देखें, अपने यहाँ लोगों को काम पर रखने की नीति निर्धारित करें ।अलिखित हो तो भी उसपर अमल करें ।
इन शश्त्रो को पहचान ले यह आपका घनघोर नुक्सान कर रहे है।
नोट- मेरे कंटेंट और आग्रह पर श्री Anand Rajadhyaksha जी ने पोस्ट लिखी है।
(आगे पढ़िए भाग-12)
साभार https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10154911528206768&id=705621767
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.