Wednesday 1 March 2017

ताजमहल_हिन्दूओ_का_ही_है_भाग-२

#ताजमहल_हिन्दूओ_का_ही_है_भाग_2

19- द लायट नाम का एक अफसर शाहजहां के गद्दी पर बैठने से पूर्व भारत आया उसने उल्लेख किया है कि आगरा के लाल किले से लगभग एक मील की दुरी पर मानसिंह भवन था।

20-तत्कालीन फ्रेंच पर्यटक बनिये ने लिखा कि ताजमहल के तहखाने में चकाचोंध करने वाला दृश्य था परन्तु उस कक्ष में मुसलमानों के अतिरिक्त सब का प्रवेश वर्जित था उसे भी वहांसे भगा दिया गया। इससे साफ स्पष्ट होता है कि वहां कुछ तो ऐसी वस्तु आदि होंगी जो अगर सार्वजनिक की गयी तो ताजमहल का रहस्य खुल जायेगा।
बनिये ने वहां पर मयूर सिंहासन, सोने के शेर, चांदी के बर्तन आदि देखे और ऊपर अष्टकोण कक्ष में शिवलिंग पर पानी टपकने वाला सुवर्ण षट और संगमरमरी जालियों में जवाहरात थे। इतनी सारी सम्पति हड़पने के लिए ही तो शाहजहां ने मुमताज को दफनाने की दुष्टता की।

21- जे ए मंडेलसलो नामक पर्यटक मुमताज की मृत्यु के 7 वर्ष बाद आगरा आया उसने खुद का एक संस्मरण भी लिखा, पर उसमे ताजमहल का कोई जिक्र भी नही था। अगर ताजमहल का निर्माण सच में 22 साल में 20 हज़ार मजदूरों द्वारा हुआ था तो इस पर्यटक ने अपने संस्मरन voyages and travels into east indies में इतने विशाल निर्माण के बारे क्यों कुछ नही लिखा।

22-ताजमहल के हिन्दू मंदिर होने का साक्ष्य देने वाला काले पत्थर पर उत्कीर्ण एक संस्कृत शिलालेख लखनऊ के वास्तु संग्रहालय में उपरली मंदिर पर रखा हुआ है जो कि सन 1155 का है। जिसमे राजा परमादिरदेव के मंत्री सलक्षण द्वारा यह कहा गया है कि स्फटिक जैसा शुभ्र इंद्रमोलेश्वर(शंकर) का मंदिर बनाया गया है वह इतना सुंदर है कि शिव को कैलाश लौटने की इच्छा नही हो रही
वह मंदिर आश्विन शुक्ल पंचमी रविवार को बनकर तैयार हुआ है। एक ऐतेहासिक शिलालेख में यह भी उल्लेख है कि काले पत्थरों का मंडप इस मंदिर में था। और ऊपर वाला शिलालेख भी इसी मंडप में विधमान रहा होगा।

23- शाहजहां की हेरा फेरी के बारे में सन 1874 में प्रकाशित हुई पुस्तक पुरातत्व खाते (आर्कियोलॉजिक सर्वे ऑफ इंडिया) में चौथे खण्ड के 216-217 पेज पर लिखा है कि आगरा के वास्तु संग्रहालय में जो चोखुटा काले रंग का स्तम्भ खड़ा है उसी की जोड़ी का दूसरा स्तम्भ ताजमहल के उद्यान में शिखर तथा चबूतरे सहित विद्धमान थे। इससे स्पष्ट होता है कि जो शिलालेख लखनउ में है वह भी इसी उद्यान में रहा होगा।

24- ताजमहल प्रांगण में जहाँ टिकट निकाली जाती हैं उस बड़े चौक को हाथी चौक कहा जाता है, शायद चौक के दोनों ओर वहां गज प्रतिमाएं रही होंगी जो शाहजहां या बाद के किसी शाशक ने नष्ट करा दी।

25-थॉमस ट्विनिंग नामक लेखक की पुस्तक travels in india a hundred years ago नामक पुस्तक में पेज 169 में उल्लेख है कि 1794 में ट्विंनिग पालकी से उतरा प्रांगण में और वहां से थोडागे चलने पर हाथी की प्रतिमा वाला चौक था।

26-ताजमहल के गुम्बद के ऊपर कलश की आकृति है जो हिन्दू मंदिरों के भवन के ऊपर हमेशा होती है यह किसी मकबरे के ऊपर होना नामुमकिन है।

27- संगमर्मर पर जो आयते जड़ी हुई है उन्हें गौर से देखने और साफ़ पता चलता है कि इन्हें इन पत्थरोंपर बाद में जड़ा गया है।

28-एक वैज्ञानिक मर्विन मिल्स जिसने कार्बन-14 विधि से ताजमहल की आयु की जांच कराई न्यूयॉर्क में जिससे  यह सिद्ध हुआ कि यह इमारत शाजहाँ के जन्म से सैंकड़ो वर्ष पूर्व बनायी हुई है।

29-ताजमहल के शिखर पर चार छत्र वीच में गुम्बद यह हिन्दू पंचरत्न की कल्पना है जो हिन्दू मंदिर में ही होती है।

30-ताजमहल के चारों तरफ खड़े स्तम्भ रात में प्रकाश स्तम्भ तथा दिन में मन्दिर की पहरेदारी के काम आते थे।
बाकि कल की पोस्ट पर जुड़े रहिये

साभार - प्रथम चतुर्वेदी जी

साभार https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=229209040875654&id=100013596791837

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