#चुनाव_आपका_है
जयबीम नाम से जो बाबा भक्ति के नाम पर आसुरी संप्रदाय उदित हुआ है ये भावी रक्तपात और गृहयुद्ध की पूर्व भूमिका है।
हम अंबेडकर के लिए अपमानजनक टिप्पणी से बचते हैं क्योंकि इससे हमारे ही एक वर्ग के हृदय को ठेस लगती है, ऐसा हमें लगता है।
किंतु बाबा भक्तों के आसुरी कृत्य और मनोदशा को देखते हुए लगता नहीं कि ये एकतरफा प्यार आगे बढ़ सकेगा।
पिछले दिनों कुछ घृणित सूचनाएं प्राप्त हुईं। वनवासी बंधुओं के मन में ब्राह्मण के लिए इतना विष है कि ये लोग आपसी बातचीत में एक दूसरे से पूछते हैं कि "तुमने अबतक किसी ब्राह्मण कन्या का कौमार्य भंग किया कि नहीं???"
अगर किया है तो वो लड़का भाग्यशाली है।
शिवलिंग पर पेशाब करने और हनुमान प्रतिमा पर जूता रखने की घटनाएं विदित ही हैं।
दुर्गा को वैश्या और महिषासुर को भगवान मानने का आरंभ हो गया है। अब वनवासी समाज में पैठ बना रहे वामी खलकामी इनके दिमाग में भर रहे हैं कि ," तुम कोई हिन्दू नहीं हो। तुम मूलनिवासी हो। तुमको बहुत सताया गया है और अब समय आ गया है कि मुसलमान को साथ लेकर तुम इन विदेशी आर्यों को इस देश से उखाड़ फेंको।"
छत्तीसगढ़ के बैगा आदिवासियों और गोंड आदिवासियों से लगाकर गुजरात के भील आदिवासियों तक पूरी बेल्ट इस नीले ज़हर के नशे में आत्मघात के लिए तैयार है।
अभी कुछ दिनों पहले रतलाम से उदयपुर के बीच बांसवाड़ा डूंगरपुर में भील लोगों के बीच ये शिगूफा छोड़ा गया कि,"तुम राम कृष्ण शिव आदि के नाम से अभिवादन क्यों करते हो??? उन्होंने क्या किया तुम्हारे लिए??? वो हिंदुओं और ब्राह्मणों के देवता हैं। तुम्हारे लिए जो भी किया है वो बाबा साहेब ने किया है। इसलिए राम राम छोड़कर जय भीम कहो।"
अब इन लोगों को कौन समझाए कि ये साक्षात् भगवान महादेव और पार्वती के गणों के वंशज हैं।
किरात अवतार कौन सा ब्राह्मण था ????
इनका रक्त भी आर्य संस्कृति से ही है। महाभारत के युद्ध में ये लड़ चुके हैं।
लोक संस्कृति में भैरव उपासना का तांत्रिक विधान इनकी धरोहर है जो वामी खलकामी बौद्धिक वैश्याओं के अनुसरण में इनसे छिन जाएगा और फिर आध्यात्मिक पथ के अभाव में ये प्रकृति के सामुहिक नरसंहार की भेंट चढ़ जाएंगे। कम्यूनिस्ट लोग #NWO की इलूमिनाटी विंग के बौद्धिक आतंकवादी हैं। इनका उद्देश्य मात्र सांस्कृतिक विनाश है। रशिया और चीन में लेनिन, स्टालिन और माओ के शासनकाल में ६ करोड़ नागरिकों की हत्या की गई थी और उनमें से अधिकांश किसान और मजदूर ही थे।
प्रकृति का नियम लागू है। व्यापक स्तर पर सफाई की गोपनीय प्रक्रिया चल रही है। इसमें जिनका विनाश होना तय है उनके लक्षण में सबसे प्रमुख है #सामुहिक_बुद्धिनाश।
आज सरकार और संगठन इन लोगों के लिए कितना कुछ कर रहा है किन्तु ये लोग राष्ट्रवादी चिंतन को और हिंदू धर्म को नष्ट करने में ही ऊर्जा का अपव्यय कर रहे हैं।
हिंदुत्व सनातन धर्म है और ब्राह्मण किसी के टुकड़े पर नहीं पलता है। प्रचंड बौद्धिक शक्ति होते हुए भी हमने भिक्षापात्र हाथ में लेकर समाज के लिए उत्सर्ग किया था और आज भी कर सकते हैं किन्तु जो हमारे नाश के सपने देख रहे थे उनका आज इतिहास में भी निशान नहीं बचा है।
चुनाव आपका है, युद्ध हुआ तो भारी शिकारी पड़ेगा जानवर नहीं।
#जय_महाकाल
#अज्ञेय
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