©Copyright क्षत्राणी मनीषा सिंह की कलम से- #मलेच्छ_आक्रमणकारी_और_राठौड़_वंश_का_शौर्य
भारत माता की एक कोख में से एक से बढ़कर एक महान सपूत पैदा हुए हैं जिन्होंने भारतमाता की रक्षा के लिए अपने सर्वस्व सुखों का त्याग कर अपनी मातृभूमि की पूरे मनोयोग के साथ सुरक्षा की । ऐसे ही महान सपूतों की श्रेणी में नाम आता है राव रणमल का
राव रणमल महाराजा जिनका शासनकाल १३९९-१४३७ ईस्वी तक था रणबांका राठौड़ों का साम्राज्य मारवाड़ से लेकर गुजरात के इडर क्षेत्र तक फैला हुआ था और मुस्लिम सल्तनत उस वक़्त रणबंका राठौड़ों के घोड़ो की टापुओं की आवाज़ से अपना सैन्य शिविरों में सब छोड़ कर सिर्फ प्राण बचा कर भागते थे ।
मुस्लिम शासको का आक्रमण का केंद्र बन चूका था इडर क्षेत्र में सन १४०४ ईस्वी में मुजफ्फर शाह प्रथम का सुपुत्र मुहम्मद शाह प्रथम ने मुगालियाँ फ़ौज के बलबूते पर राव रणमल पर आक्रमण किया परन्तु मुहम्मद शाह प्रथम की शाही फ़ौज की संख्या 1,28,067 की थी परन्तु राव रणमल के लिए “समझौता कर के गुलामी करने से बेहतर समझते थे युद्ध कर के वीरगति को प्राप्त होना” राव रणमल की सैन्य संख्या १६,००० पैदल सैनिक एवं १५०० घुड़सवार थे अपने से तीन गुणा ज्यादा विशाल शाही फ़ौज के साथ युद्ध कर मुहम्मद शाह प्रथम की शीश महाकाल के चरणों में अर्पित कर दिया गया एवं शाही मलेच्छों की फ़ौज में केवल घोड़े और हाथी बचे थे मलेच्छ सैनिको के लाशों के मेले लगा दिए थे वीर राव रणमल ने श्रीधर व्यासने राव रणमल के युद्ध का वर्णन ‘रणमल छंद’ मे किया है | इस युद्ध में मुजफ्फर शाह के पुत्र मुहम्मद शाह का संहार होता हैं राव रणमल के हाथों जिस कारण मुजफ्फर शाह अपने पुत्र का मृत्यु का बदला लेने सन १४११ गुजरात के खेड़ा राज्य को रौंदते हुए आगे बढ़ रहा था । मुजफ्फर शाह एक लूटेरा था वो भारत को कब्जा कर साम्राज्य विस्तार के लिए नही आया था अपितु अहमद शाह अब्दाली की तरह एक कुख्यात लूटेरा था जिसकी नजर भारत की धन संपदाओं पर थी मुजफ्फर शाह के साथ लाखों की सेना तो थी परन्तु युद्ध में सेना का संख्या बल से ज्यादा महत्वपूर्ण होता हैं योजना बल और बाहुबल ये दोनों राव रणमल के पास था राव रणमल ने अपने से कई गुना ताकतवर सुल्तान मुजफ्फर शाह को बुरी तरह हराकर उसका घमण्ड तोडा । इडर में राठौड़ो ने सैकड़ो साल तक अपने बगल में स्थित कही ज्यादा ताकतवर मुस्लिम सुल्तानों से लड़ते होने के बावजूद अपना अस्तित्व बनाए रखा और मुफ्फरशाह द्वारा तोड़े गए मंदिरों वापिस मन्दिर बनाते रहे।
जय एकलिंगजी
जय क्षात्र धर्म
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साभार:
क्षत्राणी मनीषा सिंह, https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1889598194695354&id=100009355754237
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