Sunday, 24 September 2017

मानवता और दयाभाव एक अभिशाप । संदर्भ: रोहिंग्या शरणार्थी

मेरे इस लेख का शीर्षक हैं मानवता और दयाभाव एक अभिशाप !! -:
रोहिंग्या शरणार्थी ५६ इस्लामिक राष्ट्र में शरण ना लेकर भारत में ही शरण लेना क्यों चाह रहे हैं ?????? और ये ५६ इस्लामिक राष्ट्र अपने राष्ट्र में इन रोहिंग्या मुसलमानों को शरण क्यों नही दे रहे हैं ??? ये एक षड़यंत्र हैं सारे मुस्लिम देशों की भारत को पूर्णरूप से मुस्लिम बाहुल्य देश बना कर इस्लामिक राष्ट्र घोषित करने की ।
अराकान नामक बौद्ध राष्ट्र के राजा महा ताईंग सदा का शासनकाल ७८८-८१० ईस्वी (788-810 A.D) इन्होने अपने शासनकाल के अंतिम क्षणों में एक बड़ी गलती कर दिया जिसके बाद म्यांमार का दो टुकड़ो में हिस्सा होगया मुस्लमान शरणार्थियों के साथ मानवता एवं दयाभाव दिखाने का फल ये हुआ अराकान बौद्ध से इस्लामिक राष्ट्र में परिवर्तित होगया आइये जानते है कैसे ????
अराकान की इतिहास-: अराकान द्वीप के पास रामरी नामक एक छोटा सा द्वीप उपस्थित था जहा अरब के समुद्री लूटेरो का जहाज डूब गया था । उस जहाज में उपस्थित अधिकतर समुद्री लूटेरों की मृत्यु होजाती हैं, एवं कुछ लूटेरे जो बच गए वो अराकान द्वीप में जाकर शरण लेते हैं। बौद्ध राजा के सैनिको ने उन समुंद्री लूटेरों को बंदी बनाकर राज दरबार में उपस्थित करता हैं समुंद्री लूटेरे राजा को अपनी दुखभरी कहानी सुनाते हैं परन्तु झूठी अपने आप को समुंद्री लूटेरा ना बताकर उन समुंद्री लूटेरों ने अपना परिचय व्यापारी का दिया एवं कहा की उनका जहाज़ रामरी द्वीप में डूब जाने के कारन उनके कई साथी की मृत्यु होगयी है एवं उनके पास अब खाना खरीद के खाने तक का धन नहीं हैं ये सुनते ही राजा को दया आगया और उन लूटेरो को अराकान में रहने की अनुमति दे दिया एवं उन लूटेरों को अराकान द्वीप की स्थायी वासिन्दा घोषित कर देता हैं, और फिर आगे चल कर ये मुट्ठीभर मुसलमान शरणार्थी वहां के नागरिक बनते ही स्थानीय बौद्ध महिलाओं के साथ विवाह कर के वहा की मुस्लिम जनसँख्या आबादी को जन्म देने लगता हैं । जिसका फलस्वरूप पंद्रहवीं शताब्दी तक अराकान पूर्णरूप से मुस्लिम राष्ट्र में बदलने लग गया धीरे धीरे बौद्धों पर बलात्कार,आगजानी, लूटपाट धर्मपरिवर्तन जैसे अत्त्याचार होने आरंभ होगया था । मुस्लमान जनसँख्या की मांग पर अराकान द्वीप के राजा अपना बौद्ध नाम को त्याग कर मुस्लमान नाम को अपनाने पर मजबूर होगया १४३० ईस्वी में अराकान द्वीप के लिंगायत वंश का आखरी राजा मिंसुरम को जबरन इस्लाम में परिवर्तित होने पर मजबूर कर देता हैं मौलवी एवं अराकान द्वीप के मुसलमानों की आबादी राजा मिंसुरम अपना नाम बदलकर सुलेमान शाह रख लेता हैं और लेप्रो नदी के तट पर वृहत्तम मस्जिद का निर्माण किया जिसका नाम रखा गया सान्दिका मस्जिद (Santikan Mosque) ।
अंततः भारत सरकार से निवेदन हैं इतिहास से कुछ सिख ले और भारत को धर्मशाला घोषित ना करे भारत सरकार वर्त्तमान परिस्थिति में सर्वोच्च न्यायलय में ये अपील किया हैं की रोहिंग्या मुस्लमान अब अपने अपने घर लौट जाये भारत को छोड़कर और रोहिंग्या मुस्लमान अब भारत छोड़ना नहीं चाहते हैं शायद अराकान का इतिहास भारत में दोहराना चाहता हैं पहली सवाल भारत सरकार ने इन्हें आने की अनुमति दिया ही क्यों ??? उसके बाद भारत सरकार बांग्लादेश में भी शरण लिए गए रोहिंग्या मुसलमानों को राहत सामग्री भिजवा रहे हैं भारतीय वायु सेना की सहयाता से ????? ये सब भारत सरकार इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उप्पर से संयुक्त राष्ट्र (UN) का दबाव हैं तो क्या भारत को भारत सरकार चला रहा हैं या संयुक्त राष्ट्र ???????

Courtesy: Manisha Singh Baisa, https://m.facebook.com/photo.php?fbid=1914652668856573&id=100009355754237&set=a.1394056137582898.1073741827.100009355754237

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