Saturday 23 September 2017

धनपशु_समाज और द्वार_पर_खड़ी_मौत

#धनपशु_समाज और #द्वार_पर_खड़ी_मौत

#सामान्य_मध्यमवर्गीय_हिन्दू को जो बात समझ में आती है वह है तात्कालिक लाभ-हानि. एक औसत हिन्दू का नब्बे प्रतिशत उद्यम अपने बच्चों के आसपास केंद्रित होता है...बच्चे को अंग्रेज़ी पोएम सिखानी है, बच्चे को अच्छी नर्सरी में भेजना है, बच्चे को अच्छे स्कूल में एडमिशन कराना है, बच्चे को आईआईटी की तैयारी करानी है, बच्चे की शादी करानी है, बच्चों के बच्चे को संभालना है क्योंकि बहु को नौकरी करनी है...etc

       मूल में देखिए तो यह बच्चों की भी शुद्ध चिंता नहीं है, इसके मूल में भौतिक आर्थिक समीकरण ही अधिक हैं. बच्चा कमाए, ज्यादा पैसे वाली नौकरी करे, नौकरी करने वाली बहु लाये.......
दोनों मिलकर और ज्यादा कमाएँ.........।

     इसके पीछे भविष्य की प्लानिंग नहीं है. यह चिंता नहीं है कि हमारे बच्चे कैसा जीवन जियेंगे, किस तरह के समाज में रहना चाहेंगे. अपनी संततियों को कैसे संस्कार देंगे, कैसे देश समाज से जुड़ेंगे कि उनकी संचित आर्थिक समृद्धि सुरक्षित रह सके.   !
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      इसलिए ऐसे हिंदुओं से जब आसन्न सामाजिक संकट की चर्चा करें तो उसे स्पष्ट शार्ट टर्म इफ़ेक्ट तक सीमित रखें. आपकी जान पर खतरा है, और आपकी सोसाइटी का सिक्योरिटी गार्ड आपकी रक्षा नहीं कर पायेगा. आपके बच्चों को आपकी आँख के आगे काट डाला जाएगा और तब आईआईटी की अग्रवाल क्लासेज का स्कोर उसकी जान नहीं बचाएगा ।

अगर आपकी आंखों के आगे आपकी बेटी का बलात्कार होगा तो यह विचार आपको कोई सुख नहीं देगा कि आप सेक्युलरिज्म की जड़ें मजबूत कर रहे हैं क्योंकि बलात्कारी मुसलमान है. आपकी नौकरी, आपका रोजगार सुरक्षित नहीं है...।

     ...सामने वाला इसे आपके दिमाग में भरे ज़हर की उपज बताता है यह कहकर कि,,,,,...ऐसा कुछ नहीं होने वाला...???

लेकिन यह कराची, लाहौर, रावलपिंडी जैसे हिन्दू बहुल शहरों में हुआ है, आज़ाद भारत में काश्मीर में हुआ है, या आज बंगाल में हो रहा है, इससे वह इम्प्रेस्ड नहीं है...??
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     ऐसा हो ही जायेगा तो क्या कर लेंगे? कन्वर्ट हो जाएंगे...हर धर्म तो एक समान ही है, क्या फर्क पड़ता है...
हिंदुओं का एक वर्ग कन्वर्शन या धर्मपरिवर्तन    को आखिरी इलाज माने बैठा है. ........उसे यह नहीं पता कि दुनिया में मुस्लिम मुसलमानों की संख्या बढ़ाने में उतने इंटरेस्टेड नहीं हैं...।

वह बढ़ाने के लिए उन्हें अल्लाह के दिये अपने औज़ार का इस्तेमाल करना है, और अपनी या काफिरों की स्त्रियों की योनियाँ और गर्भाशय किस दिन काम आएंगे. .....???

       वे आपको कन्वर्ट करने में इंटरेस्टेड नहीं हैं. उन्हें आपकी जमीन, आपका फ्लैट, आपका रोजगार चाहिए...संभवतः आपकी बेटी भी, अगर बोनस में मिल रही हो....... !
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काश्मीर से हिंदुओं को जब भगाया गया तो उन्हें दीन की दावत नहीं दी गई. उन्हें अल्लाह के संदेश के बारे में नहीं बताया गया. मोहल्ले के लड़कों ने उनके दरवाजे पर निशान लगा रखे थे कि,,,,, उन्हें भगाने के बाद उसपर किसका कब्ज़ा होगा.....

उन्होंने नारे लगाए, हिंदुओं, कश्मीर छोड़ दो...और अपनी औरतों को पीछे छोड़ जाओ... कराची या लाहौर में हिंदुओं को दीन कि दावत नहीं दी गई. उन्हें काटा गया, लूटा गया...अगर कन्वर्ट ही कर लिया जाता तो कब्ज़ा किसके मकान पर करते।   ? बलात्कार किसका करते   ?

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        आप आज लड़ने को तैयार नहीं हैं. आपको लगता है, बिना लड़े दीन हीन बनकर या धर्म बदल कर सी तरह काम चल जाएगा...तो भूल जायें...आप कल को लड़ेंगे...!

        क्योंकि इस्लाम की सबसे संक्षिप्त और स्पष्ट व्याख्या है - इस्लाम एक फौज है. और अगर आप फौज में भर्ती हुए हैं तो लड़े बिना क्या उपाय है...सोच लीजिये...किसके लिए लड़ेंगे   ?

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Post of    #Rajeev_Mishra

साभार: https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=519973485010336&id=100009930676208

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