विश्वनाथ मंदिर के विध्वंस का झूठ
मुल्लों और इतिहासकारों का अल-तकिया
सनातन संस्कृति द्रोही इतिहासकार मुल्लों से पैसे लेकर यही लिकहते हैं कि >>>>>
सन 1669 ईस्वी में औरंगजेब अपनी सेना एवं हिन्दू राजा मित्रों के साथ वाराणसी के रास्ते बंगाल जा रहा था.
रास्ते में बनारस आने पर हिन्दू राजाओं की पत्नियों ने गंगा में डुबकी लगा कर काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा करने की इच्छा व्यक्त की, जिसे औरंगजेब सहर्ष मान गया, और, उसने अपनी सेना का पड़ाव बनारस से पांच किलोमीटर दूर ही रोक दिया...
(सूअर के बच्चे औरंगजेब को यहाँ बड़ा दयालु दिखने की कोशिस की गई है-इसे ही अल-तकिया कहते हैं)
फिर उस स्थान से हिन्दू राजाओं की रानियां पालकी एवं अपने अंगरक्षकों के साथ गंगाघाट जाकर गंगा में स्नान कर विश्वनाथ मंदिर में पूजा करने चली गई...
पूजा के उपरांत सभी रानियां तो लौटी लेकिन कच्छ की रानी नहीं लौटी, जिससे औरंगजेब के सेना में खलबली गयी और, उसने अपने सेनानायक को रानी को खोज कर लाने का हुक्म दिया…
औरंगजेब का सेनानायक अपने सैनिकों के साथ रानी को खोजने मंदिर पहुंचा… जहाँ, काफी खोजबीन के उपरांत “”भगवान गणेश की प्रतिमा के पीछे”” से नीचे की ओर जाती सीढ़ी से मंदिर के तहखाने में उन्हें रानी रोती हुई मिली….
जिसकी अस्मिता (बलात्कार) और गहने मंदिर के पुजारी द्वारा लुट चुके थे…
इसके बाद औरंगजेब के लश्कर के साथ मौजूद हिन्दू राजाओ ने मंदिर के पुजारी एवं प्रबंधन के खिलाफ कठोरतम करवाई की मांग की...
जिससे विवश होकर औरंगजेब ने सभी पुजारियों को दण्डित करने एवं उस “”विश्वनाथ मंदिर”” को ध्वस्त करने के आदेश देकर मंदिर को तोड़वा दिया उसी जगह ज्ञानवापी मस्जिद बना दी...(बकैती की पराकाष्ठा)
हिन्दू विरोधी इन इतिहासकारों कि कहानी का झूठ >>>>>
झूठ न.1-
सूअर का बच्चा औरंगजेब कभी भी बनारस और बंगाल नहीं गया था...उसकी जीवनी में भी यह नहीं लिखा है.
किसी भी इतिहास कि किताब में यह नहीं लिखा है. उसकी इन यात्राओ का जिक्र नही...
झूठ न.2-
इस लुटेरे हत्यारे ऐयाश औरंगजेब ने हजारो मंदिरों को तोड़ा था...इसलिए इन इतिहासकारों की लिखे हुए इतिहास कूड़ा में फेकने के लायक है...और ये वामपंथी इतिहासकार इस्लाम से पैसे लेकर ''हिन्दुओ के विरोध ''में आज भी बोलते है लिखते है...किन्तु ये इतिहासकार मुसलमानों को अत्याचारी नहीं कहते है...क्योंकि इनकी माँ बहन मुग़लों की रखैल थीं.
मुग़ल इस देश के युद्ध अपराधी है...यह भी कहने और लिखने की हिम्मत इन इतिहासकारों में नहीं है...
झूठ न.3-
युद्ध पर जाते मुस्लिम शासक के साथ हिन्दू राजा अपनी पत्नियों को साथ नहीं ले जा सकते है,
क्योकि मुस्लिम शासक लूट पाट में औरतो को बंदी बनाते थे.
झूठ न.4-
जब कच्छ की रानी तथा अन्य रानिया अपने अंगरक्षकों के साथ मंदिर गयी थी...तब किसी पुजारी या महंत द्वारा उसका अपहरण कैसे संभव हुआ.
पुजारी द्वारा ऐसा करते हुए किसी ने क्यों नहीं देखा.…
झूठ न.5-
अगर, किसी तरह ये न हो सकने वाला जादू हो भी गया था तो साथ के हिन्दू राजाओं ने पुजारी को दंड देने एवं मंदिर को तोड़ने का आदेश देने के लिए औरंगजेब को क्यों कहा.
हिन्दू राजाओं के पास इतनी ताकत थी कि वो खुद ही उन पुजारियों और मंदिर प्रबंधन को दंड दे देते...
झूठ न.6 -
क्या मंदिरों को तोड़कर वहां पर मस्जिद बनाने की प्रार्थना भी साथ गए हिन्दू राजाओं ने ही की थी.
झूठ न.7 -
मंदिर तोड़ने के बाद और पहले के इतिहास में उस तथाकथित कच्छ की रानी का जिक्र क्यों नहीं है…
इन सब सवालों के जबाब किसी भी लोल वामपंथी (हिन्दू विरोधी) इतिहासकार के पास नहीं है क्योंकि यह एक पूरी तरह से मनगढंत कहानी है….
जो लोल वामपंथी (हिन्दू विरोधी) इतिहासकारों ने इतिहास की किताबो में अपने निजी स्वार्थ और लालच के लिए लिखी......
हकीकत बात ये है कि औरंगजेब मदरसे में पढ़ा हुआ एक कट्टर मुसलमान और जेहादी था,
लुटेरा हत्यारा अरबी मजहब का औरंगजेब ने हिन्दुओं को अपमानित करने के लिए, हिन्दू धर्म को समाप्त करने के लिए ना सिर्फ काशी विश्वनाथ बल्कि, कृष्णजन्म भूमि मथुरा के मंदिर अन्य सभी लगभग 10000 प्रसिद्द मंदिरों को ध्वस्त कर वहां मस्जिदों का निर्माण करवा दिया था…..
जिसे ये मनहूस वामपंथी सेक्युलर इतिहासकार किसी भी तरह से न्यायोचित ठहराने में लगे हुए हैं….
और अपने पुराने विश्वनाथ मंदिर की स्थिति ये है की वहां औरंगजेब द्वारा बनवाया गया ज्ञानवापी मस्जिद आज भी हम हिन्दुओं का मुंह चिढ़ा रहा है… और, मुल्ले उसमे नियमित नमाज अदा करते हैं...
जबकि आज भी ज्ञानवापी मस्जिद के दीवारों पर हिन्दू देवी -देवताओं के मूर्ति अंकित हैं,
ज्ञानवापी मस्जिद के दीवार में ही श्रृंगार गौरी की पूजा हिन्दू लोग वर्ष में 1 बार करने जाते है, और मस्जिद के ठीक सामने भगवान विश्वनाथ की नंदी विराजमान है….!
आपको बता दूं कि काशी विश्वनाथ मंदिर का मुकदमा मुस्लमान हार चुके है , फिर भी ज्ञानवापी मंडप पुराना विश्वनाथ मंदिर का निर्माण आज तक नहीं हो सका तो राम मंदिर का चुनाव जीतने के बाद हम क्या उखाड़ लेंगे...
चारों तरफ से हर कोई चाहे कोई भी राजनीतिक दल हो, हिंदूवादी संगठन हो, बड़े बड़े मठाधीश हिन्दू धर्म का डॉलर में व्यापार करने वाले सब मिल के हमें चुटिया बना रहे हैं...
अपने आत्मसम्मान की रक्षा स्वयं करनी पड़ती है कोई और ये नहीं करेगा...
इसलिये बीजेपी मोदी आरएसएस विहिप का मोह छोड़ो स्वयं हथियार उठा लो...
इस बार जब सावन में कावंड़िये कांवर उठाये तो इस लक्ष्य के साथ उठायें की ज्ञानवापी मस्ज़िद को जमीन में मिला देने के बाद ही हम महादेव को जल चढ़ायेंगे...
हर हर महादेव...
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