Thursday, 1 June 2017

मिशनरी हो या मुसल्ले,जहाँ भी गए अपने धर्म प्रसार-प्रचार हेतु ही गए

मिशनरी हो या मुसल्ले,जहाँ भी गए अपने धर्म प्रसार-प्रचार हेतु ही गए।

जब ये विदेशी आक्रांता भारत आये तो यहाँ के हर चीज पे वार किए.. धन और सत्ता तो केंद्र में थी ही थी साथ ही साथ आस्था,विश्वास,धर्म पे भी खूब कुठाराघात किये।.. हमारा मनोबल तोड़ने, हमें नीचा दिखाने,हमारा मखौल उड़ाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़े। जब यहाँ आये तो देखा कि मिट्टी,पत्थर, सोने,चांदियों से बने मूर्तियों के प्रति बहुत गहरी आस्था है.. तो वे हमें दिखा-दिखा कर ही लूटे-खसोटे और तोड़-फोड़ कर खण्डित-खण्डित किये.. देखो रे अपने भगवान को जिसकी तुम पूजा करते हो.. टूट रहा है खण्डित हो रहा है फिर भी नहीं आ रहा है.. इनके भक्त कट रहे हैं फिर भी प्रकट नहीं हो रहा हैं.. कैसा है रे तेरा भगवान!? हमारे सामने ही मूर्तियों को पैरों से रौंद डालते... दिखा-दिखा कर रौंदते और हम कुछ न कर पाते। मंदिरों को जमींदोज कर कर मस्जिदें खड़ी कर दी गई!!  किसलिए? तुम्हें अपने धर्म से विमुख करने के लिए.. तुम्हारे मनोबल को चूर-चूर करने के लिए.... तुम्हें लज्जित करने के लिए.. ताकि तुम उनके समधर्मी बन सको।

बाद में वे अगला चरण चलते हुए बौद्धिक हमला करेंगे.. मूर्ति पूजा कहीं से भी ठीक नहीं है.. तुम्हारे वेदों में भी इसकी निंदा की गई है।.. पत्थर को पूजने से कुछ नही हासिल होने वाला.. वगेरह वगेरह..
और पढ़े-लिखे भोले हिन्दू इस सुर में सुर मिलाते नज़र आएंगे।

अब मन्दिर से उठे तो दूसरी आस्था पे टूट पड़े.. "गाय" तुम्हारे सामने गाय काटेंगे.. सरेआम काटेंगे.. खाएंगे भी सरेआम .. तुम क्या कबाड़ लोगे.. तेरी माँ का हम कीमा बना के खाएंगे,घण्टा उखाड़ लोगे तुम हमारा।

अब बौद्धिक हमला झेलो...
अरे मांस तो मांस होता है चाहे वो गाय का हो या बकरे का.. साइंटिस्ट बताते है कि गाय का मांस सबसे उपयुक्त मांस होता है खाने के लिहाज से.. अगर गाय तुम्हारी माता है तो फिर तुम्हारी माता कौन है!?.. गाय तुम्हारी माता हो सकती है तो भैंस,बकरी को चाची-मौसी तो हो ही सकती है।.. जीव आखिर जीव ही होता है.. चाहे गाय मरे,बकरी मरे, भैंस मरे या ऊंट मरे.. जान तो सबके होते है न! तो फिर गाय पे इतनी हाय-तौबा क्यों??
अब इसमें पढ़े-लिखे भोले हिन्दू अपना पिछवाड़ा उठा समर्थन करते मिलेंगे.. बीफ पार्टी आयोजन करेंगे.. सरेआम गाय काटेंगे... तुमको जो उखाड़ना है उखाड़ लो।

कल चलते-चलते तुलसी का पौधा को पकड़ेंगे.. कुछ लेना-देना तो रहेगा नहीं.. लेकिन तुम्हें नीचा दिखाने के लिए कुछ भी करेंगे.. तुम्हारे सामने उसके ऊपर मुतेंगे.. क्या कर लोगे तुम उसका?

उसके बाद बौद्धिक तर्क झेलो..
अबे पौधा पौधा होता है.. चाहे वो तुलसी का हो या किसी और का.. तुम भी कहीं बाहर मूतते होगे तो किसी घास-फूंस के ऊपर ही जाता होगा..  तो तुलसी के ऊपर हम मूत दिए तो क्या हो गया!? .. अगर तुलसी 24 घण्टे ऑक्सीजन देती है तो अन्य पौधे क्या कार्बनडाईऑक्साइड छोड़ते है!?
अब इसमें पढ़े-लिखे भोले हिन्दू हलेलुइया हलेलुइया करेंगे।

इसके बाद फिर "सिंदूर" को कुछ ऐसे ही अपमानित करेंगे मखौल उड़ाएंगे।
अबे हिन्दू के अलावे दुनिया के किसी भी धर्म की औरतें सिंदूर नहीं लगाती हैं.. तो क्या वो सुहागन नहीं होती हैं.. बच्चे पैदा नहीं करती हैं.. उनके खोपड़ियों को ठंडक नही मिलती हैं ??
इसमें भी पढ़े-लिखे भोले हिन्दू लोग सियार की भांति  हुंआ-हुँआ करने लगेंगे।

और भी ऐसे ही अन्य चीजें पकड़ लीजिये जिसपे हमारी आस्था है व पहचान है उसपे इसी तरह से हमला करेंगे और मखौल उड़ाएंगे। और इसमें हमारे पढ़े-लिखे भोले हिन्दू लोग जिंदाबाद जिंदाबाद करेंगे।

इसके उलट क्या होंगा..

एक पढ़ा-लिखा भोला टाइप का हिन्दू क्या प्रश्न उठाएगा..

"भाई वो आप अपने औरतों को बुरके में क्यों रखते हो?"
उ० - "भाई आला-ताला ने हमारी ख़्वातीनों को बड़े प्यार से बनाया है.. इसलिए हम उन्हें बुरके अंदर रखते हैं.. हमारे धर्म में बिना परदे के स्त्रियों का रहना हराम माना गया है।"

"भाई वो तीन तलाक का क्या लफड़ा है!?"
"भाई वो हमारा अपना मजहबी मामला है उसमें बीच में पड़ने का नहीं।"

"भाई वो लुल्ली काटना क्यों जरूरी होता है!?"
"इसके पीछे साइंटिफिक रीजन है.. इससे ये नहीं होता इससे वो नहीं होता.. फलाना बीमारी नहीं होता.. वगेरह वगेरह।"

"भाई वो काबा में जा के काले पत्थर को क्यों चूमते हो!!"
"भाई वो हमारे लिए सबसे पवित्र जगह है.. हर मुसलमान का फर्ज है कि उस पत्थर को चुम्मे.. उसको हमारे अब्राहम को देवदूत गैब्रिएल ने दिया था।"

और इन सब चीजों के जवाब में पढ़े-लिखे भोले हिन्दू लोग आमीन-आमीन करते नजर आएंगे।

वे तुम्हारी आस्थाओं का तुम्हारे सामने ही मट्टी-पलीद करते हुए तुम्हारी वाट लगा रहे हैं और तुम बुद्धिजीवी नामक नपुंसकता का लबादा ओढ़े पिछवाड़ा उठाये जा रहे हो और उनकी चूतियापा भरी आस्थाओं के ऊपर चूं तक नहीं करते हो।

एक बात कान खोल कर सुन लो हिंदुओं.. वे गाय खाने के लिए नहीं काट रहे बल्कि तुम्हारी औकात नापने के लिए काट रहे हैं.... और भविष्य में ऐसे ही और भी चीजों में औकात नापते रहेंगे... तुम पकड़ के घण्टा हिलाते रहना।

Courtesy: https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10155362547199680&id=671199679

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.

मानव_का_आदि_देश_भारत, पुरानी_दुनिया_का_केंद्र – भारत

#आरम्भम - #मानव_का_आदि_देश_भारत - ------------------------------------------------------------------              #पुरानी_दुनिया_का_केंद्र...