#इस्लामिक आतंकवाद की फंडिंग - भाग -2
कल की पोस्ट में आपको सरकारी तंत्र की नाक के नीचे से आतंकवाद की फंडिंग का जो गंदा खेल खेला जा रहा है उसकी जानकारी दी थी आज आपको आतंकवाद की मुख्य फंडिंग कहा से होती है वो बताऊंगा ।
#मुस्लिम कोई हो (72 फिरका) भले ही आपको लगता है कि ये फिरका शांतिपसन्द है लेकिन वो क़ुरान के अनुसार ही चलता है या यूं कह ले कि मुस्लिम संबिधान से भी ऊपर शरिया लॉ को मानता है -
#क़ुरआने-पाक के पहले पारे (प्रथम अध्याय) अलिफ़-लाम-मीम की सूरह अल बकरह की आयत नंबर तिरालीस (आयत-43) में अल्लाह का इरशाद (आदेश) है 'और नमाज कायम रखो और जकात दो और रुकूअ करने वालों के साथ रुकूअ (दोनों हाथ घुटनों पर रखकर, सिर झुकाए हुए अल्लाह की बढ़ाई/महिमा का स्मरण करना) करो।'
#जकात_क्या है - अल्लाह के लिये माल का एक हिस्सा जो शरियत ने तय किया उसको इस्लाम के नाम पे निकालना शरीयत में जकात कहलाता है।
जकात देने के 7 तरीके बताए गए है जिनमे से किसी मदरसे और स्कूल को देना मुख्य है।
#अब आइये जरा आकड़ो पे नजर डालते है -
#अबू सालेह शरीफ: ह्यूमन डेवलपमेंट रिपोर्ट (1999) के अनुसार ''मुसलमानों के प्रति परिवार वार्षिक आय 22807 रुपये हैं
#मुस्लिम समाज का अधिकांश हिस्सा आमतौर पर या तो छोटे मौटे काम-धंधे करके, असंगठित क्षेत्रों में नौकरी करके अपनी रोजी रोटी का जुगाड़ करता है या मजदूरी, रिक्शा-टैक्सी और ट्रक की ड्राइवरी, कुली, नाई, बढ़ई इत्यादि का काम करता है, कुछ हालत ठीक हुई तो वह इलेक्ट्रिशियन, प्लम्बर, फिटर या वेल्डर इत्यादि का काम कर लेते हैं।
#मुस्लिम समाज की अधिकांश आबादी स्वरोजगार पर भरोसा करती है। स्वरोजगार के संदर्भ में सच्चर कमेटी की रिपोर्ट चौंकाने वाले आंकड़े देती है, ''स्वरोजगार में मुसलमानों की कार्य क्षमता का करीब 61 प्रतिशत हिस्सा लगा हुआ है, शहरी क्षेत्रों में 57 प्रतिशत मुसलमान स्वरोजगार में लगे हैं। महिलाओं की बात की जाए तो मुस्लिम महिलाओं के लिये यह आंकड़ा 73 प्रतिशत का है। मुस्लिम समुदाय में स्वरोजगार की निर्भरता सामान्य मुसलमानों (59 प्रतिशत) की तुलना में अन्य पिछड़ी जाति (64 प्रतिशत) के मुसलमानों में अधिक है।''एक कर्मचारी के रूप में मुसलमान आमतौर पर एक सामयिक मजदूर के रूप में काम करते हैं।
अब जनसंख्या आकड़ो पे आते है -
2001 के जनगणना के अनुसार मुस्लिम आबादी 172,200,000 (सत्रह करोड़ बाईस लाख )
#जकात का खेल - 17.22 cr की जनसंख्या लगभग हर सदस्य के हिसाब से 2000 जकात निकालता है अब जरा यही आंकड़ा देखे तो आपको विश्वास नही होगा ।
172,200,000×2000= 344,400,000,000
(चौतीस हजार चालीस करोड़ रुपए)
और इन पैसों का सीधा इस्तेमाल फंडिंग में किया जाता है
क्योंकि शरिया के अनुसार जकात का सही इस्तेमाल सिर्फ सिर्फ धर्म के लिए करना ठीक है।
ये आंकड़े 16 साल पुराने है अभी मौजूदा आंकड़े आ अनुसार ये रकम 58 हजार करोड़ के ऊपर है।
(आंकड़े ऊपर हो सकते हैं )
#समाधान - इसमे gov कुछ नही कर सकती है इसमें आपको ही करना होगा 61 % इनका मुख्य source कार्य छेत्र है आपको बस इतना करना है कि आप अपने सभी काम जैसे मजदूरी, रिक्शा-टैक्सी और ट्रक की ड्राइवरी, कुली, नाई, बढ़ई ,इलेक्ट्रिशियन, प्लम्बर, फिटर या वेल्डर इत्यादि का काम करने वाले कामगारों को हिन्दू रखे सिख रखे पारसी रखे जहाँ तक हो सके मुस्लिम कामगारों से बचे । इनकी कमर अपने आप टूट जाएगी, जहाँ तक हो सके हिन्दू व्यापारियों से ही समान ले और अपनी भागीदारी भी आतंकवाद की फंडिंग में होने से रोकिए
#विशेष -
जकात के खेल में हम आप भी सम्मिलित है और हम भी जिम्मेदार है पोस्ट लंबी हो रही है बाकी कल की पोस्ट में।
कल मेन सोर्स ऑफ टेरर फंडिंग
साभार: अजेष्ठ त्रिपाठी, https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=283630242103388&id=100013692425716
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