Friday 15 September 2017

महाभारत_की_माधवी

#खण्डन --
              ----- #महाभारत_की_माधवी -----

#आज बात करते  है नहुष कुल में उत्पन्न चन्द्रवंश के पांचवें राजा ययाति की पुत्री ‘माधवी की। इस कथा का वर्णन महाभारत के उद्योगपर्व के 106वें अध्याय से 123वें अध्याय में आता है। माधवी थी तो राज पुत्री पर उसके पिता ‘ययाति’ ने उसे इसलिए गालव ऋषि को सौप दिया था ताकि वो उसे अन्य राजाओं को सौप कर अपने गुरु विश्वामित्र को गुरु दक्षिणा में देने के लिए 800 श्वेतवर्णी अश्व प्राप्त कर सके। गालव ऋषि ने उसे तीन राजाओं और अंत में अपने गुरु विशवमित्र को सौपा।

#इसपे_एक_जाने माने लेखक भीष्म साहनी ने एक नाटक लिखा है "माधवी" भीष्म साहनी के नाटकों में शायद “माधवी” ही है जिसकी चर्चा सबसे कम हुई है बावजूद इसके कि वह पौराणिक कथा पर आधारित होते हुए भी एक फेमिनिस्ट नाटक है। एक बेहद नाटकीय और सम्भावनाओं से भरे इस कथानक में  सिर्फ स्त्री के शोषण और समाज मे उसके दोयम दर्जे के बारे में बताया गया कि किस तरह उस समय एक नारी के ऊपर अत्याचार किया जाता था ।।

#कुछ_महान_फेमिनिस्म से पीड़ित महान ज्ञानी ये तक बताने से नही चूकते की वैदिक काल से ही सनातन में नारियों का शोषण होता आया है लेकिन इन अल्पबुद्धि जीवो पे गुस्सा नही तरस आता है जो इस प्रसंग को सनातन पे कुठार की तरह इस्तेमाल करते है और वैदिक बुद्धिजीवी जवाब न देकर उनका मनोबल बढ़ाते है , याद रखे प्रतिरोध अगर सही समय पे हो तो भविष्य में होने वाली बहोत सी परेशानियां नही उठानी पड़ती है
इन बातों पे फिर कभी चर्चा कर लेंगे आज महाभारत के माधवी की चर्चा करते है ।।

#ऋषि_गालव अपने गुरु विश्वामित्र से शिक्षा ग्रहण कर रहे होते है शिक्षा समाप्त होने पे गुरु से गुरुदक्षिणा देने की इक्षा प्रकट करते है गुरु विश्वामित्र शिष्य के गरीब होने की वजह से गुरुदक्षिणा लेने से मना कर देते है शिष्य के बार बार हठधर्मिता से मांग करने पे 800 अश्वो की मांग करते है जिसे लाकर देने के लिए गालव के मित्र गरुण उनकी मदद करने को कहते है और उन्हें राजा ययाति के पास ले जाते है जो उस समय धन अभाव में अपनी पुत्री को गालव को दे देते है कि इससे आप अन्य राजाओं के पास देकर अश्व प्राप्त कर लीजिए जिसे गालव 3 राजाओं के पास ले जाते है और 600 अश्व प्राप्त करते है और फिर 200 अश्व कम होने पे माधवी को विश्वामित्र को सौप के अपनी गुरुदक्षिणा पूरी करते है

उपरोक्त कहानी ही आपने सुनी होगी अब जो सत्य है उसकी विवेचना करते है --

#माधवी_कौन - 

#यदि_किसी_सामान्य व्यक्ति से कहा जाए कि धन के बदले या वस्तु के बदले अपनी बेटी को दे दो तो शायद कहने वालों को अपनी जान बचानी पड़े फिर एक ऐसा राजा जिसके कुल में खुद प्रभु कृष्ण ने जन्म लिया हो वो ऐसा करेगा ऐसा सोचना ही मूर्खता है ।।
महाराजा ययाति की दो पत्नियां थीं देवयानी और शर्मिष्ठा जिनसे देवयानी के दो पुत्र - यदु (यदुवंश इनसे ही चला)और तुर्वसु और शर्मिष्ठा से तीन पुत्र - द्रुह्यु ,पुरु और अनु हुए यही वर्णन भागवत पुराण में मिलता है तो माधवी के पुत्री होने का कोई प्रमाण न होने पे माधवी का पुत्री होना प्रामाणिक नही है ।।

#अब_प्रश्न_आता है कि फिर माधवी कौन थी जिसका वर्णन आता है कि राजा ययाति ने ऋषि गालव को दिया ।।
किसी भी उपजाऊ यज्ञ करने योग्य भूमि को ही माधवी कहा जाता और राजा ययाति ने धन और अश्व न होने पे ऋषि गालव को माधवी(भूमि) ही दिया था

भूमि (जमीन)को ही माधवी कहा जाता है इसका प्रमाण देखिए --

यथाहम राघवादंयम मनसपि न चिन्तये ।तथा में माधवी देवी विवरं दतुर्रमहती
(वाल्मीकि रामायण उत्तरकांड 97/14)

मनसा  कर्मणा वाचा यथा रामं समर्चये ।तथा में माधवी देवी विवरं दतुर्रमहती
(वाल्मीकि रामायण उत्तरकांड 97/15)

यथैतत सत्यामुक्तम में वेद्धि रामात परम् न च।तथा में माधवी देवी विवरं दतुर्रमहती
(वाल्मीकि रामायण उत्तरकांड 97/16)

इसमे माता सीता कह रही है कि हे धरती माँ यदि मैंने मन कर्म वचन से प्रभु श्री राम के अतिरिक्त किसी को मन मे लाया हो तो मुझे अपनी गोद मे शरण दो।।

#इसका_सीधा_सा_मतलब है कि माधवी कोई कन्या न होकर एक भूमि का टुकड़ा था जिसे राजा ययाति ने ऋषि गालव को दिया था अब सवाल ये आता है कि यदि माधवी का मतलब भूमि का टुकड़ा होता है तो विभिन्न राजाओं को उनका पति क्यों कहा गया है  --
भूमि का स्वामी होने के कारण ही राजाओं को भूपति भी कहा जाता है। और यही पृथ्विस्वरूपा माधवी और उनके 4 पतियों अर्थात भूपतियों का उल्लेख महाभारत के माधवी प्रसंग का रहस्य भी है  ।।

#ये_प्रसंग_देखिए --

दीप दीप के भूपति नाना। आये सुनि हम जो पनु ठाना।
देव दनुज धर मनुज शरीरा। विपुल वीर आये रनधीरा ।।
(रामचरित मानस - बालकाण्ड 251/7,8)

माधवी से 4 पुत्र होने से तात्पर्य - धर्म ,अर्थ ,काम और मोक्ष का प्राप्त करना है ।।

#विशेष - माधवी (पृथ्वी या भूमि) को कभी भी व्यभिचारिणी नही कहा गया है राज्याभिषेक ही भूपति बनना है अर्थात पृथ्वी से विवाह (माधवी से विवाह)
और माधवी को मानवी कन्या बता कर सनातन पे जो प्रहार किया जा रहा है वो सिर्फ कल्पना है और कोई यदि ऐसा करता है तो सिर्फ मूर्खता है ।।

साभार: अजेष्ठ त्रिपाठी, https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=305404936592585&id=100013692425716

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