Sunday, 12 February 2017

विश्वविजेता सिकंदर नहीं सम्राट शालिवाहन थे।

विश्वविजेता सिकंदर नहीं सम्राट शालिवाहन थे।

मित्रों मैकॉले ने तो इतिहास को बर्बाद किया हैं पर मैकॉले के मानसपुत्र काले अंग्रेज़ो ने इस परंपरा को आगे ज़ारी रखते हुए इस राष्ट्र के वीरों को गुमनाम कर दिया गया और लूटेरों को इस भारत भूमि के शासक बना दिया जैसे अंगिनत बार हारनेवाला मैसिडोनिया सिकंदर को विश्व विजयी बना दिया सिकंदर १२८ राज्यों से पराजित हुआ था सिकंदर को विश्वविजयेता घोषित करनेवाले मैकॉले के मानसपुत्र इतिहासकार थे आप सोच भी नहीं सकते इन्होंने इतिहास में कितनी गंदी मिलावट की प्रियदर्शिनी नाम का राजा हुआ करता था|

जो विश्वविजयता था उनको मिटा कर राजा अशोक का नाम प्रियदर्शिनी कर दिया गया सातवाहन राजा सातकर्णि राजा कोई और था पर इतिहासकारों ने विक्रमादित्य के परपौत्र के नाम को मिटाने के लिए शालिवाहन को सातकर्णि बना दिया। हमारे भारत के १२ ऐसे राजा हुये जिन्होंने विश्वविजय किया उनमे से एक का इतिहास आपके समक्ष रखूंगा सम्राट विक्रमादित्य के परपौत्र शालिवाहन ७७-१३७ (ई.) इन्होंने अफ्रीका, रोम , यूरोप को पूरी तरह से जीत लिया था कश्मीर भ्रमण करने आये अंग्रेज़ो के मसीहा ईसा से इनकी मुलाकात हुई थी। हिन्दू कुश पर्वत पर सन ७८ में मुलाकात हुआ था ऐसी लिपियों को भारत सरकार द्वारा हटा दिया गया था सन १९५० में अब बात करते हैं विश्वविजयी सम्राट शालिवाहन के बारे में।

प्रथम युद्ध टाइटस ग्रीक-रोम के शासक थे त्रिविष्टप पर आक्रमण किया था सन ८०(ई.) ग्रीक-रोम (पुराणों में इन्हें गुरुंड कहा गया हैं) ३०० घुड़सवार सैनिक ६०,००० पैदल सैनिको के साथ आक्रमण किया था त्रिविष्टप पर सम्राट शालिवाहन ने मात्र १२००० की सेना में साथ जय महाकाल की शंखनाद के साथ टूट पड़ा रोम आक्रमणकारियों पर। सन ८० (ई.) से रोम आक्रमणकारियों का भारत पर आक्रमण लगातार होता रहा पर कभी भारतवर्ष को ग़ुलाम नहीं बना पाया तो यह केवल इसलिए संभव हो पाया क्यों की भारतगण राज्य में शालिवाहन जैसे १२ ऐसे राजा हुए जिन्होंने सम्पूर्ण विश्व को जीत लिया था।

शालिवाहन से हारने के बाद रोम साम्राज्य की ५२% भाग शालिवाहन ने हिन्दू राज्य में सम्मिलित कर लिया। इस युद्ध की शानदार वर्णन Cassius Dio, Roman History LXV.15 में किया गया हैं।

द्वितीय युद्ध सम्राट शालिवाहन परमार ने दोमिटियन (Domitian) के विरुद्ध लड़ा था सन ८२(ई.) में जिसमे सम्राट शालिवाहन ने दोमिटियन को परास्त किया था जो की रोम एवं फ्रैंको (वर्तमान में फ्रांस) का राजा था जिसने स्पेन तक अपनी साम्राज्य विस्तार किया था इस युद्ध का वर्णन Heinrich Friedrich Theodor ने अपनी पुस्तक “A history of German” में लिखा था एवं Previte Orton द्वारा लिखा गया पुस्तक “The Shorter Medieval History” vol:1 पृष्ठ-: १५१ एवं Suetonius, The Lives of Twelve Caesars, Life of Vespasian 9 में आपको मिलेगा सम्राट शालिवाहन परमार के साथ कुल तीन युद्ध हुए थे प्रथम दो युद्ध भारतवर्ष पर आक्रमण करने हेतु शालिवाहन परमार के हाथों हार कर वापस लौटना पड़ा|

तीसरे युद्ध में शालिवाहन ने फ्रैंको पर आक्रमण कर दोमिटियन (Domitian) को हराकर पूर्वी फ्रान्किया (जो वर्तमान में जर्मन कहलाता हैं ) और स्पेन पे अधिकार कर लिया था । दोमिटियन (Domitian) ने शालिवाहन शासित राज्य परतंगण पर आक्रमण किया था (यह राज्य मानसरोवर के पास उपस्थित हैं भारत चीन सीमांत में) दोमिटियन (Domitian) की सेना ८०,००० की थी घुड़सवार और पैदल सैनिक २५-२७,००० थे शालिवाहन की सेना ३०००० से ४० हज़ार की थी शालिवाहन की युद्धकौशल रणनीति कौशल के सामने यवन पीछे हटने पर मजबूर होगये थे दोमिटियन (Domitian) की लाखों की सेना के साथ आये थे पर इस ऐतिहासिक युद्ध की जिक्र विदेश इतिहासकारों ने “war of blood”घोषित किया क्यों की यह भयंकर युद्ध इतिहास में सायद ही दोबारा हुआ होगा १लाख से अधिक सेना के साथ आक्रमण करनेवाले दोमिटियन (Domitian) रोम में मात्र १२०० सैनिक के साथ वापस लौटा था । इसके बाद शालिवाहन ने स्पेन पर आक्रमण कर दिया मात्र ४५,००० सेना के साथ स्पेन के राजा दोमिटियन (Domitian) युद्ध करने की हिम्मत नहीं किया और समझौता कर स्पेन का आधा राज्य और पूर्वी फ्रान्किया पर भी शालिवाहन ने भगवा ध्वज लहरा दिया था।

ट्राजन (Trojan) मेसोपोटामिया एवं अर्मेनिया के ज़ार (राजा) थे जिन्होंने भारतवर्ष पर सन ११४(ई.) में आक्रमण किया स्वीडिश एवं स्कॅन्डिनेवियन (Scandinavian)जर्नल में लिखा गया हैं शालिवाहन शासित राज्य विदेह जो नेपाल की राजधानी जनकपुर का हिस्सा हैं वहा आक्रमण किया था ज़ार को मुह की खानी पड़ी थी शालिवाहन के पास ६७ रणनीति में कुशल शस्त्र विद्या में पारंगत युद्ध व्यू रचने में भी पारंगत सेनापतियों की टोली थी, सेनापति अह्वान परमार के साथ शालिवाहन १५००० की सेना के साथ ज़ार ट्राजन को परास्त कर स्कॅन्डिनेवियन पर शालिवाहन ने सनातन वैदिक राज की स्थापना किया था ज़ार के साथ लड़े गए युद्ध मेरु युद्ध जो मेसोपोटामिया में लड़ा गया था शालिवाहन ने मेसोपोटामिया की ३ चौथाई राज्य जीत लिया था।

सन १२५(ई.) पर्शिया के राजा हद्रियन की नज़र भारतवर्ष की धन दौलत पर पड़ी थी हद्रियन ने सम्राट शालिवाहन को अपनी ग़ुलाम बना कर भारतवर्ष पर अपना राजसत्ता कायम करना चाहता था सम्राट शालिवाहन को गुप्तचर शिव सिंह से सुचना मिली की हद्रियन अपने लश्कर के साथ निकल चूका है सिंघल्द्वीप (श्रीलंका)पर आक्रमण किया था तीस से चालीस हज़ार पैदल लश्कर ९,००० घुड़सवार और ग्यारह से बारह हज़ार की तादात पर धनुर्धारी लश्कर की फ़ौज थी सम्राट शालिवाहन ने बाज़ व्यूह का उपयोग किया था सम्राट शालिवाहन ने २१नये युद्ध व्यूह की रचना किया था जिससे पलक जपकते ही दुश्मन दल को नेस्तनाबूद कर सकते थे इसलिए सम्राट शालिवाहन की सात से नौ हज़ार की घुड़सवार फ़ौज और विश्व के श्रेष्ठ धनुर्धरों सैनिको ने हद्रियन को धूल चटा दिया था।

और भी अनंत हैं पर अफ़सोस हम भारतीयों को ग़ुलामी की दास्ताँ पढ़ाया जाता हैं सम्राट शालिवाहन जैसे ११ दिग्विजयी सम्राट और हुए थे सम्राट शालिवाहन परमार को वामपंथी इतिहासकार ने सम्राट विक्रमादित्य का हत्यारा बना दिया जब की सम्राट विक्रमादित्य के परपौत्र थे सम्राट शालिवाहन। सम्राट शालिवाहन का राज्य मध्य यूरोप, दक्षिणी इंग्लैंड, फ्रान्किया (फ़्रान्स), कैपेटियान्स, रोम, और भी कई देशो पर सनातन धर्मध्वजा को सात समुन्दर पार फैराया था सम्राट शालिवाहन ने।

हर हर महादेव

वंदे मातरम्

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