Tuesday 14 February 2017

खप्पर

।।खप्पर।।

।।आदेश।।

साधना पथ में  प्रमुख चार प्रकार के  खप्पर होते हे ।

1.मिटटी खप्पर:
प्रथम खप्पर मिटटी का बना कटोरे आकार का होता हे ।साधक प्रथम चरण में इस खप्पर का प्रयोग करते हे ।ये शुद्ध और सात्विक होता हे ।

2.नारियल खप्पर :
सामान्य नारियल का जो कटोरा होता हे ।उसको साधक अछि तरह से साफ करके ।खान पान में प्रयोग करता हे ।ये भी शुद्ध सात्विक और सामान्य खप्पर होता हे ।कोई भी साधक इसका प्रयोग कर सकता हे ।

3:जहरी नारियल खप्पर :
यह एक खास प्रकार के नारियल का प्रकार होता हे ।जो समंदर में पाया  जाता हे ।कहा जाता हे की जब समंदर मंथन हुवा तब जो विष निकला उसे भगवान शिव ने इसी पात्र में  पान किया था । इस लिए इसका बहुत ज्यादा महत्व हे ।यहाँ एक दुर्लभ जाती का नारियल होता हे ।जो समंदर के घर्भ में पलता हे .जब ये पुरन परिपकव  हो जाता हे तब अपनी जड़ से टूट कर समंदर के ऊपर तैरता हे ।ये अक्सर मछुआरों की जाल में फस कर आता हे ।पर मछुआरे इसे हाथ नहीं लगाते .क्यों की इसे  छूने मात्र से पुरे शरीर में खुजली होने लगाती हे  तो उतने हिस्से  को जाल समेत काट कर फेक देते हे ।कुछ समजदार मछुआरे इसे जाल समेत एक तरफ रखकर ले आते हे ।पर ज्यादातर ये लहरो के साथ बहता हुवा किनारे आजाता हे ।इसका आकर ह्रदय  के सामान होता हे ।पर पूर्ण सुख जाने के बाद इसे छिल कर खप्पर को निकाला जाता हे तब भी ये दो खप्पर के जोड़े में हृदय आकर का ही होता हे ।बाद में इसे काटकर  दो अलग अलग खप्पर बनाये जाते हे  जिससे एक राइट साइड एक लेफ्टसाइड खप्पर  बन जाता हे । राइट साइड खप्पर मूल्यवान होता हे ।काटने के बाद में इस खपर में अंदर कांटे ही होते हे जो बहुत ही जहरीले होते हे ।इसे सावधानी पूर्वक घीस कर दुर किया जाता हे  .अब हो गया खप्पर तैयार अब शुरू होती है इसके शुद्धि करन की प्रक्रिया वो बहुत ही जटिल हे .वो पूर्ण यहाँ समाजा पाना संभव नहीं हे ।क्यों की खप्पर साधना अपने आप में एक पूर्ण साधना हे जो 12 साल की हे जिसने ये साधना करली उसका खप्पर कभी खाली नहीं होता ,जो इसी एक मात्र खप्पर से संभव हे ।ये एक गोपनीय साधना हे इस लिए में पोस्ट नहीं कर सकता। ये भी शुद्ध और सात्विक साधना हे ।

4:मुंड खप्पर:
ये वो खप्पर हे जिसका प्रयोग तंत्र से जुड़े लोग करते हे खासकर अघोरी। आज कल  कोई भी इसे दिखाता हे और लोगो को भ्रमित करता हे ।पर इसका भी एक पूर्ण विधान होता हे ।इस काम में आने वाला खप्पर कोई सामान्य इन्शान के मुंड का बना ,या टुटा फूटा किसी भी तरह से खंडित या जला हुवा न हो.और वो एक समाधी लिए हुवे साधक का ही होता हे ।उसे अमावश्या को आमंत्रित करके दूसरी अमावश्या को निकल जाता हे ।फिर शुरुआत होती हे मुंड को घिसकर खप्पर बनाने की ।जब पूरा खप्पर घिस कर तैयार होजाये ।तब एक पूरा विधान होता हे ।उसके शुद्धि करन से लेकर उसका प्रयोग करने का वेसे एक मुंड खप्पर पूर्ण  बनने में 35 दिन का प्रावधान होता हे ।बाद मे  इसका प्रयोग किया जाता हे ।इस में भोग, खान, पान करने का एक विशिष्ठ महत्व होता हे .कहत्ते हे की इन्शान का सब से महत्व पूर्ण अंग मुंड ही होता हे सब विचारो की उत्पति ही ब्रह्म हे ।बिना ब्रमांड के कुछ उत्पति नहीं होती ,मतलब मुंड से होती हे ।जब एक साधक ब्रह्म को जित लेता हे या ये कहे की उसका सहस्त्रार जाग जाता हे । अघोर में इसको लेकर कई गुप्त साधनाए हे  जो गोपनिय हे ये भी एक पूरा प्रकरण हे जो यहाँ सब को बताया नहीं जाता ।गुरु परंपरा से ही चलता हे ।

( जेसे  हमने अघोर पेज की शुरुआत की ।बाद में इसे देखकर कई व्यापारी ओ ने अघोर पेज या उसके मिलते जुलते पेज बनाये और कुछ यहाँ से पढ़कर कुछ अपनी तरफ से ऐड करके या नेट से मसाला लेकर पोस्ट डालते हे , वो इसकी भी नक़ल करेंगे  हमें कोई दुःख नहीं हे इसका ज्ञान जितना  फेले उतना अच्छा ही होता हे ।पर किसी को भ्रमित न करे ऐसी आशा करता हु  ।हमने आज तक जहा लगा वहा गोपनीयता बनाने की कोशिस की हे ।)

।।अलख आदेश।।
#अघोर #आर्यवत #आदेश

Copied from
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1852430955034811&substory_index=0&id=1852119528399287

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.

विश्वगुरु_भारत_से_विकासशील_भारत_का_सफर

-- #विश्वगुरु_भारत_से_विकासशील_भारत_का_सफर -- -------------------------------------------------------------------- इतिहास में भारतीय इस्पा...