#वेद_vs_विज्ञान भाग - 25
#ज्यामिति या रेखागणित
(Geometry)
#परिचय - ज्यामिति या रेखागणित (en:Geometry) गणित की तीन विशाल शाखाओं में से एक है। इसमें बिन्दुओं, रेखाओं, तलों और ठोस चीज़ों के गुणस्वभाव, मापन और उनके अन्तरिक्ष में सापेक्षिक स्थिति का अध्ययन किया जाता है। ज्यामिति, ज्ञान की सबसे प्राचीन शाखाओं में से एक है।
ज्यामिति गणित की वह शाखा है जिसमें बिंदुओं, रेखाओं, वक्रों, समतलों इत्यादि का अध्ययन होता है। भूमि के नाप संबंधी कार्यों से इस विज्ञान की उत्पत्ति हुई, इसलिये इस गणित को भूमिति भी कहते हैं। आरंभ में यह अध्ययन रेखाओं तथा रेखाओं से घिरे क्षेत्रों के गुणों तक ही सीमित रहा, जिसके कारण ज्यामिति का नाम रेखागणित भी है।
#वैदिक_भारत_ही_इसकी_जन्मस्थली -
रेखा गणित-रेखा गणित की जन्मस्थली भी भारत ही है। प्राचीन काल से यज्ञों के लिए वेदियां बनती थीं। इनका आधार ज्यामिति या रेखागणित रहता था। पूर्व में बोधायन एवं आपस्तम्ब ने ईसा से हजारो वर्ष पूर्व अपने शुल्ब सूत्रों में वैदिक यज्ञ हेतु विविध वेदियों के निर्माण हेतु आवश्यक स्थापत्यमान दिए हैं।
किसी त्रिकोण के बराबर वर्ग खींचना, ऐसा वर्ग खींचना जो किसी वर्ग का द्विगुण, त्रिगुण अथवा एक तृतीयांश हो। ऐसा वृत्त बनाना, जिसका क्षेत्र उपस्थित वर्ग के क्षेत्र के बराबर हो। उपर्युक्त विधियां शुल्ब सूत्र में बताई गई हैं।
किसी त्रिकोण का क्षेत्रफल उसकी भुजाओं से जानने की रीति चौथी शताब्दी के ‘सूर्य सिद्धान्त‘ ग्रंथ में बताई गई है। इसका ज्ञान यूरोप को क्लोबियस द्वारा सोलहवीं शताब्दी में हुआ।
#विशेष -
वैदिक साहित्य बहोत ही गूढ़ रहस्यों से भरा एक अथाह ज्ञान का सागर है जिसमें बहोत सी ऐसी वैज्ञानिक खोज निहित है जिन्हें decode करने पे मानव जाति के विकास में मील का पत्थर सिद्ध होगा। लेकिन लोगों की उदासीनता ऐसी है कि वैदिक साहित्यो को सिर्फ पूजा पाठ की सामग्री मान लिया गया है।
#नोट - pic ब्रम्हगुप्त का प्रमेय जिसमे AF =FD सिद्ध किया गया है।
साभार: अजेष्ठ त्रिपाठी, https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=279962925803453&id=100013692425716
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