Wednesday 30 August 2017

मूलाधार पर हमले-2

मूलाधार पर हमले-2
खुद की जड़ो में मट्ठा डालते मूर्ख।

इस लेख से मैं यहां यह नहीं कह रहा कि कोई आरोपी,अपराधी सही है या किसी बलात्कारी के पक्ष में समर्थन दे रहा।मैं यह भी मान रहा हूँ कि इससे सनातन समाज मे ठगी,धूर्तता,गलतियों की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।परन्तु यह मैं जानता हूँ जब राज व्यवस्था प्रथम सुरक्षा प्रणाली परकियो(शत्रुओं)से आमने-सामने के युद्ध मे हार कर नष्ट हो चुकी थी उस एक हजार साल के गुलामी काल मे इन योगियों,महात्माओं,साधुओं, सन्तो,सन्यासियों,त्यागियों, ज्ञानियो, अघोरियों,शाक्तों,तांत्रिकों,कापालिकों,कीर्तनियियो,घुमक्कडों,इकतारो,जोगियों,जोगड़ो ने देश भर में घूम-घूम कर सनातन धर्म की रक्षा की,शक्तियाँ प्रदान की।उनके त्याग,बलिदान प्रेरणा की वजह से दुश्मनो के शासन कॉल में हम बचे रह सके(पढ़े मूलाधार की शक्ति,मूलाधार पर हमले)।इन दिनों मैं एक डर महसूस कर रहा हूं जो प्रथम सुरक्षा प्रणाली नष्ट होने पर महसूस होता है। पिछले कई हजारों सालों के अध्ययन के बाद दुश्मन समाज हिंदू समाज में प्रतिष्ठाओ पर हमले कर रहा है,व्यवस्थाओं और सुरक्षा प्रणाली पर आक्रमण कर रहा है।

  मुझे लगता है यह बड़े शातिर और साजिशी तरीके से हो रहा है।मूल मान-बिंदुओं को बदनाम कर दो और पूरी प्रणाली पर ही प्रश्नचिह्न बनाओ।एक आंतरिक अविश्वास खड़ा करो।आत्मविश्वास हिलते ही शिकार आसान हो जाएगा।पिछले 15 सालों से जिस तरह से हिंदू संतों,सन्यासियों,त्याग प्रणालियों भगवा वस्त्रधारियों,साधुओं,योगियों, ज्ञानियों के चरित्रहनन हो रहे हैं,मान-बिंदुओं को नीचा दिखाने का प्रयत्न हो रहा है।इस समय की मीडिया के लिए हिंदू साधु सबसे बड़ा स्कूप है।वे कभी मुल्ले या पादरी पर खबर नही केंद्रीत करते।सूची तैयार करिये आप देखेंगे उनके हजारो मामले दबा दिए गए।ऐसा नही है बाजार की दृष्टि से वह टीआरपी नही बढ़ाती,खूब बढ़ाती है।चौगुना कमाई होती है।पर कोई शक्ति है जो इन विषयों को दबा देती है।उसे भारत मे केवल सनातनी परम्परा के साधुओं के चरित्र हनन में दिलचस्पी है।उसे भगवा वस्त्रधारियों से नफरत है।वह भारत मे पिछले सत्तर साल से एक निश्चित योजना से काम कर रहा है।मीडिया,लेखन,सिनेमा और साहित्य द्वारा छविभंजन किया जा रहा है वह कतई उचित नहीं है।मुझे डर है इसके पीछे सोची-समझी अंतरराष्ट्रीय साजिश काम कर रही है। वह एक तरह से गन्दी साजिश है कि किस तरह से भारतीय सनातन समाज को नष्ट किया जाए।हालांकि आज हममें से बहुतायत यह बात आज समझने को तैयार नहीं होंगे लेकिन यह भविष्य में सामने आएगा। आप शायद यह बात नहीं समझ पा रहे कि युगों से सम्मान केंद्र रहे संतत्व, को हल्का किया जा रहा है, प्रतिष्ठानों को भंग किया जा रहा है और उसके बाद उसको सहज हलका करके एक आवरण को ही नष्ट करने का प्रयत्न किया जा रहा है।देश में एक ऐसा माहौल बनाने का प्रयत्न हो रहा है साधु,सन्त,सन्यासी,मठ व्यवस्था,योगी यह सब बेकार है जबकि दूसरी तरफ चर्च और मस्जिदों का नेटवर्क और प्रतिस्ठा और मजबूत की जा रही है।जिंदगी भर धर्मान्तरण करवाने वाली मदर को महिमामण्डित किया जाता है,तरह तरह के विदेशी पुरष्कारो से मिशनरियों,कम्युनिष्टों को ऊंची छवि बनाई जाती है,बड़े-बड़े लेख मंच दिये जाते हैं।किंतु लाखों सेवा कार्य,हजारो स्कूलों,हाष्पिटल,ट्रेनिंग सेंटर चलाने,सिंचाई केंद्र चलाने वाले सन्तो,आश्रमो,मठो की चर्चा तक नही होती।नोबल पुरस्कार कौन कहे।कुछ न कुछ गोलमाल है।

  पिछले 70 साल से कि किस तरह से वह सामाजिक संतत्व का आवरण समाप्त किया जा रहा और पूरा देश या तो इसाई या इस्लामी अवधारणा में जकड़ जाए इसका प्रयत्न हो रहा है इसको मैं सहज दृष्टि से नहीं देख रहा हूँ।इसको मैं उस दृष्टि से देख रहा हूं कि हमारा समाज नष्ट ना हो जाए।       

किसी के भी व्यक्तित्व,आचरण,समाज पर पकड़,त्याग,तपस्या,ज्ञान,वक्तृत्व-क्षमता, विद्या-गुण,कलात्मकता,नाम, उत्कृट सेवा-चरित्र,कठोर मेहनत,प्रेम,करुणा और सहृदयता भरी जीवन शैली को अगर नष्ट करना है तो उसका चरित्र हनन कर दो।
बड़ा आसान है।आप कहीं से भी एक लड़की को पकड़िए,उसको  दो-चार लाख या कुछ ज्यादा रुपए दीजिए और उस पर आरोप लगा दीजिए कि मेरे साथ बलात्कार किया है।कोर्ट केस करवा दीजिए।ऐसे कई लोग मिल ही जायेंगे जो साधु के साथी रहे होंगे वे किसी न किसी कारण से नाराज होंगे।खुलकर साथ देंगे।आगे का काम मीडिया सम्भाल ही लेगी।चटखारे दार विषय है न।टीआरपी,रीडरशिप दोनों बढ़ती है।वर्जनाओं वाले विषयो में लोगो का बहुत इंटरेस्ट होता है।

  अपने आप उस बेचारे साधु का व्यक्तित्व नष्ट हो जाएगा।फिर हिंदू समाज पर आरोप लगाना आसान हो जाएगा।वह सन्त केवल व्यक्ति नही है।युग-युगीन सनातन परंपरा और शैली का प्रतीक है।तो फिर सम्पूर्ण पर ही प्रश्न खड़ा होगा न?

आशाराम जी ने कुछ समय पहले ही युवराज और राजमाता पर एक प्रवचन में कुछ कहा था।फिर वह कांग्रेस के इतिहास पर ही बोलने लगे।साधुओ का बड़ा होता कद बहुतो को अखर रहा था।फिर कई वनवासी इलाको में धर्मांतरण घटने लगा,साथ ही घर वापसी भी होने लगी। बाकायदे योजना बनाकर केस फोर्स किया गया।वह भी उस समय कांग्रेस शासित राज्य के जोधपुर नगर में।वैसे राजवंश का इतिहास है।उसे हिँड्यू सन्त बहुत अखरते थे।स्पेशली वह जो राष्ट्र की सनातन परांपरा पर बोलते।जो हिंदुत्वत्व की बात करते। चूंकि उसमे कही भी सेकुलरिया ढोंग नही आता था।हिंदूत्व की बात उभर कर आती थी।इसलिए उसे खत्म करने की हर सम्भव कोशिश होती।मीडिया,इजुकेधन,लेखन,सिनेमा अपने कम्युनिष्ट लाबी,एनजीओ सबका साथ लिया जाता।सन्तों को बदनाम, बर्बाद करने के लिए।

उन्होंने ऐसे चार बड़े संतो को फंसाया है उनमे एक वह भी थे।जिन्होंने भी वंश के लिए आवाज उठाई बड़ी साजिश करके  उनको खत्म किया गया।उनमें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती,आसाराम बापू,श्रद्धानन्द,परमानन्द और करपात्री जी भी ऐसे ही फँसाये गये।तीन अन्य बड़े संतो को बड़ी चतुराई से फंसाया है।बाकायदे कांग्रेसियों ने परमानंद जी को मरवा दिया था।उन्नीसवीं सदी के प्रारंभ में ही कांग्रेस की दयानंद सरस्वती के आर्य समाज के इतने बड़े शत्रु थे जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते।उन्होंने विवेकानंद के आश्रमों रामकृष्ण मिशन के कुछेक ट्रस्टियों को फंसा कर नष्ट करने का हर तरह का प्रयास किया।बाद में बहला-फुसला कर एक मुकदमा करवा दिया कि वे कोर्ट जाकर कहने लगे रामकृष्णएट्स हैं और अल्पसंख्यक है।भला हो बाद में सद्बुद्धि आ गई।वह तब जब सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगा दी।

  केवल यही नहीं ऐसे जितने बड़े संत थे जो सनातन धर्म पर चलने वाले थे उन को मारने की, समाप्त करने की, बदनाम करने की, अपराधी बनाने की, उनके विचारों को ध्वस्त करने की ऐसी कोई कोशिश नहीं थी जो कांग्रेसियों ने ना की हो।और तो और छोड़िए उन्होंने गोवंश के रक्षकों के लिए 24000 संतों के धरना प्रदर्शन दिल्ली में था उनमें गोली चलवा दी।बहुत से मारे गए और रातों-रात लाशे गायब करा दी गई।करपात्री जी महाराज को मारने की पूरी कोशिश की। जो भी सनातन धर्म की बात करता था कांग्रेसियों ने उसे खत्म करने की तरह-तरह की साजिश की।
  मैं बहुत साफ-साफ कहता हूं आसाराम बापू और ऐसे कई संत हैं जिनके खिलाफ गहरी साजिश की गई बहूत दिनों बाद पता चलेगा कि वह निरपराध थे।....और हां मै न आशाराम का भक्त हूँ न चेला,न ही दूर-दूर तक मेरा वैचारिक सम्बन्ध ही निकलेगा।

  मूर्ख हिन्दू बिना-समझे खुद ही अपने को बौद्धिक समझते हुए शुचिता का इतना शोर मचाने लगेंगे कि शत्रु का काम और आसान हो जाएगा।उसका त्याग,ज्ञान,परिश्रम,लम्बे समय की सेवा भूलते देर न लगेगी।फिर गिद्ध की तरह नजर लगाए धर्मान्तरण को तैयार दुश्मनो को घुसपैठ करने का नया रास्ता उसको मिल ही जाएगा।मजे वे ले रहे होंगे जो रोज हलाला भोगते हैं, जो ननों को जैसे चाहते है वह करते हैं। उनके यहां खुलेआम यह सब मान्य है।उनके यहां संयम,ब्रहमचर्य,आश्रम प्रणाली का कोई चिन्ह मौजूद नहीं है,शराब,मांस,और जीवहत्या सहज मान्य है।गैर-मजहबी दूसरे मनुष्यो तक मे आत्मा नही मानी जाती।बल्कि गैर मजहबियो को मारना/नष्ट करना धार्मिक कार्य है।न मानवीय नियमो को मानने की बाध्यता है। वह सनातन शुचिता,आदर्श का जबरदस्त लाभ उठाते हैं।त्याग,तपस्या,संयम, सिद्धियों के बल पर,अपने लंबे काल के अध्ययन,परिश्रम के बल पर समाज पर पकड़ बनाने वाले योगी, संत,त्यागियो का सब कुछ 1 मिनट में नष्ट किया जा सकता है। उनकी हंसी वह उड़ाते हैं जो खुलेआम जगह-जगह ऐसे कुकृत्यों में,लोलुपता में, चरित्रहीनता के साथ, वैभव विलासिता के साथ,नंगई में लिप्त रहते हैं।वह संतों का मजाक उड़ाते हैं।सार्वजनिक किस करवाकर,जगह-जगह नंगई का प्रदर्शन करते,वे कामभूत को हजारो- हजार साल साल पुरानी परंपराओं का मजाक उड़ाते हैं।जब हम बड़े आश्रमों की पकड़ को कमजोर करते हैं तो एक तरह से भारतीय हिंदू समाज में ईसाइयों और इस्लामियों के धर्मांतरण की मौजूदगी और उनके आक्रमण को मजबूत करते है।उनके लगातार घुसपैठ को मजबूती देते हैं।वे हमारे गरीबों के बीच,दलितों-वंचितों के बीच में घुसपैठ करके हमारा ही दुश्मन बनाने लगते है।इस आक्रमण को हम नहीं पढ़-समझ नही पाते हैं।उनको हम एक अवसर देते हैं।एक जमीन और माहौल अवेलेबल करा देते हैं।यह देखो यह कमजोर कड़ी है इधर से घुसो। बेसिकली अपने सन्तो,प्रतिष्ठितो को कमजोर करके,अपना सुरक्षात्मक आवरण कमजोर कर रहे होते है जो कि उनका मूल टारगेट होता हैं।वे तो हजार साल से हिंदू समाज को भारतीय समाज को नष्ट करने के लिए ताक में हैं, प्रयत्नशील है और लगातार   उनके आक्रमण भारतीय समाज पर चल रहे हैं। गरीब,शोषित,पीड़ित अभाव से ग्रसित,अशिक्षित,गांव में रहने वाले लोग मिशनरियों एवम मस्जिदों और मुल्लों,पादरियों के टारगेट है।आप समझ नहीं पाते कि हमारे समाज के बाबा,संत-समाज आश्रम,गीत वाले,भजन-कीर्तन मंडली,अपनी संरचनाओं के बल पर पिछले हजार साल से सनातन समाज को बचाये हुए है।छोटे-छोटे समाजों में,इन दलितों गरीबों तमाम लोगों को सनातन समाज में बने रहने का कारण बने हुए हैं।आज वे सन्त ही उनके टारगेट पर हैं।उनके यहां,उनकी संस्कृति हलाला,खुला सेक्स आम बात है।भाई-बहनो तक के रिश्ते आम बात है।नजदीकी रिश्तों के सेक्स की सहज अनुमति है किंतु सनातन समाज मे इन विषयों को लेकर बड़ी कठोर वर्जनाएं है।उन्हें हमारे क़ानून कि बारीकियों की समझ है।उनके पास मीडिया है।जिसका स्वाभाविक आर्थिक हित और प्रशिक्षण उनके साथ मिला हुआ है।वे खुलकर हमारे आवरण पर हमले कर रहे।

(री-पोस्ट)
Courtesy: Pawan Tripathi, https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10155555189536768&id=705621767

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