Wednesday, 5 April 2017

समाज का कृतज्ञ रहिए

समाज का कृतज्ञ रहिए।
वैसे तो समाज एक अमूर्त अवधारणा है, जिसकी साधारण सी परिभाषा है "संबंधों का जाल ही समाज है,।अगर आप कहीं गलत समाज में फंस गए तो बिल्कुल बंदर हो जाएंगे, या भेड़िया हो जाएंगे या जानवर बन जाएंगे,आपका बर्ताव,स्वभाव,हाव-भाव सब सब पशुवत ससमाज के आचरण में तब्दील हो जाएगा।वैसा ही बन जाएंगे जैसा समाज आपको बनाएगा।हमने बचपन में रामू भेड़िया की घटनाएं सुनी होंगी,लेकिन अब यह नीचे लीजिए एक और खबर पढ़िए।इस अखबार की कतरन से।यह आज दिनांक 6 अप्रैल 2017 को  दैनिक जागरण,पृष्ठ 15 पर छपा है।यह छोटी बच्ची बंदरो के बीच में न जाने की रह गई और उन्हीं के हाव-भाव,बोलचाल,जीने-खाने के तरीके में बदल गई।उन्हीं की संस्कृति सीख लिया। तो आप जिस संस्कृति, जिस समाज,जिस जीवनशैली में रहते हैं वही बन जाते हैं।वैसा ही सोचने लगते हैं,वैसा ही करने लगते हैं।आप थोड़ा और गहरे सोचिए और अंदर जाइए।हमें हमारे मानव समाज ने क्या दिया है उस पर कृतज्ञ रहिए।क्योंकि जो जी खा रहे हैं, बोल रहे हैं, बतिया रहे हैं,चल फिर रहे हैं या आप सोच रहे हैं उसकी 90 परसेंट से अधिक चीजें समाज की देन है।आपके सामूहिक जीवन ने आपको बोलने से लेकर लाखो चीजे दी है।अगर आप समाज द्रोही हैं तो यह और खतरनाक है।अगर समाज ही खराब है तो फिर वह खुद खत्म हो जाएगा।समाज के प्रभाव से ही आप मनुष्य जैसा कुछ सीखते-बनते है।सोशलाइजेशन के दौरान समाज जैसा सोचता है वैसे ही आप सोचने-करने लगते हैं।ऐसे समाजों से बचकर रहिए जो इतिहास से,पितरो से,मातृभूमि के प्रति आस्था से,इसके लिए लड़-कटने वाले स्वाभिमानी भाव से रोकता है।उसे आप त्याग दीजिये। कुल मिला कर के आप वही पैदा कर लेते हैं जो आपका समाज देता है।उन समाजों पर भी चिंतन करते रहिए। आप का परम कर्तव्य है कि ऐसे समाजों से बचे और दुनिया को बचाइए जो समस्त दुनिया के लिए खतरनाक है। अहंकार युक्त समाज दूसरे के अस्तित्व को खतरे में डालता है। चलते-चलते मैं एक बात जरुर कहना चाहूंगा कि हिन्दू समाज के प्रति उसकी देनो,प्रव्रृत्तियो,गुण,धर्म के प्रति हमेशा कृतज्ञ रहिए क्योंक़ि वह एकमात्र समाज है जो पूर्ण लोकतांत्रिक,और सेकंड-इक्झिस्टेंट को भी सम्मान देता है।

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