Thursday, 4 May 2017

विश्व विजेता शालिवाहन परमार भाग-२

©Copyright इतिहासकार मनिषा सिंह की कलम से मेरे द्वारा लिखे गए किताब विश्व विजेता शालिवाहन परमार भाग-2 ।
एक अनुरोध हैं इस पोस्ट को पढने के बाद कृपया कुतर्क ना दे मैं प्रमाण सहित लिखी हूँ और कुतर्क देना हैं तो राष्ट्रीय इतिहास मंच पर मुझसे बहस कर लीजियेगा बहस के लिए सादर आमंत्रित हैं ।
भाग-1 का लिंक -: https://www.facebook.com/photo.php?fbid=1829228347399006&set=a.1415367162118462.1073741828.100009355754237&type=3&theater  , and on this blog http://parichaydharmabharat.blogspot.in/2017/04/blog-post_56.html?m=1

जय श्री राम मित्रों मैंने पिछले भाग में सम्राट शालिवाहन परमार के इतिहासों के साथ जो छेड़खानी किया गया था मिटाने के लिए उसको उजागर की थी एवं साथ ही में ये भी तथ्य संग्रह कर के आप सबके सामने प्रस्तुत की थी की शालिवाहन परमार आखिर थे कौन उनका राज्य कहा से कहा तक था । आज मैं पुनरहा सम्राट शालिवाहन परमार की गाथा लिखूंगी आज के पोस्ट में ये तथ्य रखुँगी उनकी युद्ध कब कहा और किसके साथ हुआ था ।     

एक महान सभ्यता पर तब तक विजय प्राप्त नहीं किया जा सकता है जब तक कि वो स्वयं अंदर से नष्ट नहीं हो जाता" भारतीय सभ्यता को छोड़कर सभी सभ्यताओं का यही हस्र हुआ । इस ऐतिहासिक घटना ने उन विलुप्त सभ्यताओं के सामाजिक संरचना, स्तरीकरण और कार्यात्मक पहलुओं के उद्देश्य विश्लेषण के लिए कहा गया है । दुनियाभर के तमाम वृहत्तम सभ्यताओं का नाश होगया जैसे मिस्र, ग्रीक और रोमानियाई सभ्यताओं को गेर्मानिया (वर्त्तमान जर्मन) क्षेत्र में शासन करनेवाले “बर्बर हूण के कबीलों" (Germanian Barbarians) ने रातो रात रोमन सभ्यता का समूल नाश कर दिया था रोमन विजय के बाद इन अश्शूरों ने रोमानियों को परास्त कर कोलिज़ीयम का क्षेत्र निर्दोष ग्लेडियेटर्स (रोम के योद्धाओ को ग्लेडियेटर्स कहा गया हैं) के रक्त से भिगोया गया था 64 दिन तक उत्सव मनाया जहा रोज अश्शूरों के विरुद्ध लड़ने वाले रोम सैनिको के परिवारों के औरतों के साथ सामूहिक बलात्कार किया जाता था और उस परिवार के मर्दों को चाहे बुजुर्ग हो अथवा जवान उन्हें नर्क यातना दिया जाता था जिससे धीरे धीरे मृत्यु हो रोम का क्षेत्र मानो पृथ्वीलोक का यमलोक बन गया था । वही दूसरी और भारतीय संस्कृति जहाँ धरती को माँ का दर्जा दिया जाता था जहाँ दूध की नदियाँ बहती थी उपनिषद मानवता को प्रोत्साहित करता था ।
इस देश की महान संस्कृति ब्रह्म-क्षात्र बल पे टीका था वामपंथ इतिहासकारों के जन्मदात्री पिता Early History of India V.A.Smith ने भी माना हैं: ”The most systematic record of Indian historical tradition is that preserved in the dynastic lists of the puranas. In Kshatriya varna two most valiant and courageous Kings Vikramaditya and Salivahana Kings of Parmara Dynasty protect India from invaders, protect Dharma and culture of the India.” अर्थात भारतीय समाज को आक्रमणकारियों से रक्षा करने हेतु, धर्म और भारतीय संस्कृति की रक्षा करने के लिए क्षत्रिय वर्ण में दो अवतार जन्म लिए सम्राट विक्रमादित्य एवं शालिवाहन परमार (परमार राजवंशीय शासक) जिनकी वीरता की कोई परिकाष्ठा नही थी ।

परमार सम्राट विक्रमादित्य के ५९ वर्ष (59 Year Later) बाद सम्राट शालिवाहन परमार का राज्याभिषेक ७८ (इ.) (78 A.D)  हुआ था एवं वे सम्राट विक्रमादित्य परमार के परपौत्र थे । अम्बावती (वर्त्तमान उज्जैन) के राजा सम्राट शालिवाहन परमार ने ७८ ईस्वी (78 A.D) में राजगद्दी पर आसीन हुए युग प्रतिष्ठापक शालिवाहन की राजधानी-धार सेलरा मोलेरा पहाडीयों थी एवं भारतवर्ष के सम्पूर्ण भूमंडल पर अपना आधिपत्य स्थापित किया हिमालय से लेकर कन्याकुमारी तक अपने परदादा सम्राट विक्रमादित्य जैसे शूरवीर द्वितीय विश्व विजयेता शालिवाहन परमार बने । सम्राट शालिवाहन परमार के आधीन 2000 दरबारी राजा थे मूर्धाभिषिक्त राजा उनके दरवार में रहते थे । शस्त्र विद्या के महाग्यता ऐसे १०.५ करोड़ (10.5Crore) सैनिक थे ।

युद्ध अभियान भाग-एक-:
सन (78 A.D) ७८ ईस्वी प्रथम युद्ध अभियान किये थे जहाँग हैन (Emperor Zhang) जहाँग राज्वंवंश के सम्राट थे ये मूलरूप से चीन के सम्राट थे जिनका आधिपत्य तार्तर भूभाग तार्तर ( तार्तर चीनी अश्शूरों का वृहत्तम भूभाग राज्य था जहा चीनी अश्शूरों का कब्ज़ा था इस भूभाग का टुकड़े होकर वर्त्तमान में कई देश बने रूस, उज़्बेकिस्तान, युक्रेन, क़ज़ाख़स्तान, यूरेशिया , तुर्क, तुर्कमेनिस्तान ,किर्ग़िज़स्तान, बुल्गारिया, रोमानिया, इत्यादि अन्य 18 देश मिलाकर तार्तर राज्य बना था) पर था ये नृशंस क्रूर थे इनकी आक्रमण कितने क्रूर होते थे इसके बारे में यूक्रेन की लिपि फ्रॉम प्री-हिस्ट्री यूक्रेन-रूस जिसके लेखक हैं दिमनिक मार्टिन में लिपिबद्ध हैं इस राजवंश के सम्राट ने यूक्रेन के शासक एलाख को परास्त कर उनके परिवार अथवा ये भी कह सकते हैं पूरी पीढ़ी को ख़त्म कर दिया राजा एलाख की गर्भवती पत्नी को मगरमच्छ से भड़े तलाब में फ़ेंक दिया उक्रेन के 4 लाख प्रजाओ की हत्या कर दिया कर ना चुका पाने की वजह से क्रूरतम दण्ड से दण्डित किया गया जिससे प्रजाओ की मृत्यु होगयी । इस राजवंश के राजा जहाँग हैन की मलेच्छ कदम चीन और भारतवर्ष की सीमारेखा आराकानयोमा पर रखने की दुसाहस किया था जिससे शालिवाहन परमार ने जहाँग हैन को परास्त कर दिया जहाँग हैन की मृत्यु होगयी रणभूमि एवं चीन के क्रूर राजवंश के हाथो से तार्तर के सम्पूर्ण भूभाग स्वतंत्र होगया । चीन से लेकर तार्तर ( तार्तर वृहत्तम भूभाग राज्य इस भूभाग का टुकड़े होकर वर्त्तमान में कई देश बने रूस, उज़्बेकिस्तान, युक्रेन, क़ज़ाख़स्तान, यूरेशिया , तुर्क, तुर्कमेनिस्तान ,किर्ग़िज़स्तान, बुल्गारिया, रोमानिया, इत्यादि अन्य 18 देश मिलाकर तार्तर राज्य बना था) तक सम्राट शालिवाहन परमार ने केसरिया ध्वज लहराया था । (Reference-: The History of Vikrama and Salivahana vol IV, Dr.S.D.Kulkarni)     
  
सम्राट शालिवाहन परमार के समय में विलुप्त हो चुकी रोम राज्य को अपनी खोयी हुयी पहचान दोबारा मिल गया शालिवाहन परमार रोम राज्य की प्रजाओ के हालत से दुखी थे रोम राज्य में ग्लेडियेटर्स उत्सव के नाम पर हूण निर्दोष मनुष्य को मारते थे नारियों की शील भंग करते थे रोम की धरती त्राहि त्राहि मच गयी थी आर्यवर्त के सम्राट शालिवाहन परमार ने 1 करोड़ 43 लाख सैन्यबल के साथ ८१ ईस्वी (81A.D) रोम पर आक्रमण किया बर्बर हूण कबीलों के साथ युद्ध हुआ। हूणों की सैन्य संख्या 2 करोड़ 78 लाख थी । सम्राट शालिवाहन परमार ने हूणों को परास्त कर खदेड़ा नही बल्कि मृत्यु दण्ड दे दिया अश्शुरों को जीवन दान देने का अर्थ क्या होता हैं ये दुर्दार्शीय सम्राट भलिभाँति जानते थे इसलिए जर्मन से लेकर रोम तक शासन करनेवाले हूणों का समूल विनाश कर दिया रोम से लेकर गेर्मानिया (वर्त्तमान जर्मन) तक बर्बर हूण के कबीलों को ध्वस्त कर भारतीय संस्कृति एवं विकशित राष्ट्र चिकित्सालय, विद्यालय , रस्ता, नगर निर्माण इत्यादि कई तरह के उन्नत कार्य किये रोम से लेकर गेर्मानिया (वर्त्तमान जर्मन) तक अत्याचार के काले बादल हट चुके थे एवं भारतीय राजपूत सम्राट के हाथो नवयुग का आरंभ हुआ । (Refer: Bharatiya Eras, The kings of Agni Vamsa, by Kota Venkatachalam Chapter 12 )

सम्राट शालिवाहन परमार की यश्गाथाओ की विशाल समुद्र में से कुछ बूँद पानी पानी के समान ये जानकारियां हैं इसलिए कई भागो में पोस्ट करुँगी । इस पोस्ट की तृतीय भाग जल्द प्रस्तुत करुँगी आपलोगों के समक्ष । 

जय क्षात्र धर्म  🚩 🚩
जय एकलिंग जी  🙏 🙏 🚩 🚩

Courtesy:
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1833523276969513&id=100009355754237

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