Friday, 5 May 2017

शिवाजी द्वारा औरंगजेब के सिपहसालार आमेर के राजा मिर्जा जय सिंह को लिखा पत्र

#Official_सप्तर्षि_Saptarshi

शिवाजी द्वारा औरंगजेब के सिपहसालार आमेर के राजा मिर्जा जय सिंह को लिखा पत्र
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विकीपीडिया में एक पत्र प्राप्त हुआ है, जिसे शिवाजी ने आमेर के राजा जयसिंह को भेजा था जिसे राजा जयसिंह ने  3 मार्च 1665 को प्राप्त किया था

शिवाजी का पत्र बरसों तक पटना साहेब के गुरुद्वारे के ग्रंथागार में रखा रहा,.बाद में उसे “बाबू जगन्नाथ रत्नाकर “ने सन 1909 अप्रेल में काशी में काशी नागरी प्रचारिणी सभा से प्रकाशित किया, फिर सन 1985 में अमरज्योति प्रकाशन गाजियाबाद ने पुनः प्रकाशित किया था

राजा जयसिंह आमेर का राजा एवं राजा मानसिंह का नाती था, जिसने अपनी बहिन अकबर से ब्याही थी .जयसिंह सन 1627 में गद्दी पर बैठा था .और औरंगजेब का मित्र था .औरंगजेब ने उसे 4000 घुड सवारों का सेनापति बना कर “मिर्जा राजा “की पदवी दी थी .

औरंगजेब पूरे भारत में अपना इस्लामी शासन फैलाना चाहता था.लेकिन शिवाजी के कारण वह सफल नही हो रहा था उसने पाहिले तो शिवाजी से से मित्रता करनी चाही .और दोस्ती के बदले शिवाजी से 23 किले मांगे .लेकिन शिवाजी ने उसका प्रस्ताव ठुकराते हुए 1664 में सूरत पर हमला कर दिया .और मुगलों की वह सारी संपत्ति लूट ली जो उनहोंने हिन्दुओं से लूटी थी

फिर औरंगजेब ने अपने मामा शाईश्ता खान को 40,000 की फ़ौज लेकर शिवाजी पर हमला करावा दिया, किंतु शिवाजी ने पूना के लाल महल में उसकी उंगलियाँ काट दीं.और वह भाग गया

फिर औरंगजेब ने जयसिंह को कहा की वह शिवाजी को परास्त कर दे .जयसिंह खुद को राम का वंशज मानता था .उसने युद्ध में जीत हासिल करने के लिए एक  चंडी यज्ञ भी कराया .शिवाजी को इसकी खबर मिल गयी थी जब उन्हें पता चला की औरंगजेब हिन्दुओं को हिन्दुओं से लड़ाना चाहता है .जिस से दोनों तरफ से हिन्दू ही मरेंगे .तब शिवाजी ने जयसिंह को समझाने के लिए जो पत्र भेजा था ,उसके कुछ अंश हम आपके सामने प्रस्तुत कर रहे है –

1 -जिगरबंद फर्जानाये रामचंद -ज़ि तो गर्दने राजापूतां बुलंद .

हे रामचंद्र के वंशज ,तुमसे तो क्ष त्रिओं की इज्जत उंची हो रही है .

2 -शुनीदम कि बर कस्दे मन आमदी -ब फ़तहे दयारे दकन आमदी .

सूना है तुम दखन कि तरफ हमले के लिए आ रहे हो

3 -न दानी मगर कि ईं सियाही शवद-कज ईं मुल्को दीं रा तबाही शवद ..

तुम क्या यह नही जानते कि इस से देश और धर्म बर्बाद हो जाएगा.

4 -बगर चारा साजम ब तेगोतबर -दो जानिब रसद हिंदुआं रा जरर.

अगर मैं अपनी तलवार का प्रयोग करूंगा तो दोनों तरफ से हिन्दू ही मरेंगे

5 -बि बायद कि बर दुश्मने दीं ज़नी-बुनी बेख इस्लाम रा बर कुनी .

उचित तो यह होता कि आप धर्म दे दुश्मन इस्लाम की जड़ उखाड़ देते

6 -बिदानी कि बर हिन्दुआने दीगर -न यामद चि अज दस्त आं कीनावर .

आपको पता नहीं कि इस कपटी ने हिन्सुओं पर क्या क्या अत्याचार किये है

7 -ज़ि पासे वफ़ा गर बिदानी सखुन -चि कर्दी ब शाहे जहां याद कुन

इस आदमी की वफादारी से क्या फ़ायदा .तुम्हें पता नही कि इसने बाप शाहजहाँ के साथ क्या किया

8 -मिरा ज़हद बायद फरावां नमूद -पये हिन्दियो हिंद दीने हिनूद

हमें मिल कर हिंद देश हिन्दू धर्म और हिन्दुओं के लिए लड़ाना चाहिए

9 -ब शमशीरो तदबीर आबे दहम -ब तुर्की बतुर्की जवाबे दहम .

हमें अपनी तलवार और तदबीर से दुश्मन को जैसे को तैसा जवाब देना चाहिए

10 -तराज़ेम राहे सुए काम ख्वेश -फरोज़ेम दर दोजहाँ नाम ख्वेश

अगर आप मेरी सलाह मामेंगे तो आपका लोक परलोक नाम होगा

Courtesy: https://m.facebook.com/groups/241741922903017?view=permalink&id=271493699927839

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