बाहुबली फिल्म "हैहय वंश" के क्षत्रियों पर आधारित है, डरा हुआ है हिन्दू संस्कृति और इतिहास देखकर पाकिस्तान परस्त बॉलीवुड
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बाहूबली फिल्म मे जिस "महिष्मति राज्य" की बात हुई है उस पर "हैहय वंश" के क्षत्रियो का राज था
बाहूबली फिल्म मे जिस महिष्मति रियासत की बात हुई है उस पर "हैहय वंश" के क्षत्रियो का राज था ।
चेदि जनपद की राजधानी 'माहिष्मति', जो नर्मदा के तट पर स्थित थी, इसका अभिज्ञान ज़िला इंदौर, मध्य प्रदेश में स्थित 'महेश्वर' नामक स्थान से किया गया है, जो पश्चिम रेलवे के अजमेर-खंडवा मार्ग पर बड़वाहा स्टेशन से 35 मील दूर है।
महाभारत के समय यहाँ राजा नील का राज्य था, जिसे सहदेव ने युद्ध में परास्त किया था ।
'ततो रत्नान्युपादाय पुरीं माहिष्मतीं ययौ।
तत्र नीलेन राज्ञा स चक्रे युद्धं नरर्षभ:।।
राजा नील महाभारत के युद्ध में कौरवों की ओर से लड़ता हुआ मारा गया था। बौद्ध साहित्य में माहिष्मति को दक्षिण अवंति जनपद का मुख्य नगर बताया गया है। बुद्ध काल में यह नगरी समृद्धिशाली थी तथा व्यापारिक केंद्र के रूप में विख्यात थी। तत्पश्चात उज्जयिनी की प्रतिष्ठा बढ़ने के साथ-साथ इस नगरी का गौरव कम होता गया।
गुप्त काल में 5वीं शती तक माहिष्मति का बराबर उल्लेख मिलता है। कालिदास ने 'रघुवंश' में इंदुमती के स्वयंवर के प्रसंग में नर्मदा तट पर स्थित #माहिष्मति का वर्णन किया है और यहाँ के राजा का नाम 'प्रतीप' बताया है।
'अस्यांकलक्ष्मीभवदीर्घबाहो
माहिष्मतीवप्रनितंबकांचीम् प्रासाद-जालैर्ज
लवेणि रम्यां रेवा यदि प्रेक्षितुमस्तिकाम:।'
इस उल्लेख में माहिष्मती नगरी के परकोटे के नीचे कांची या मेखला की भाति सुशोभित नर्मदा का सुंदर वर्णन है।
कालिदास का उल्लेख माहिष्मति नरेश को कालिदास ने अनूपराज भी कहा है जिससे ज्ञात होता है कि कालिदास के समय में माहिष्मति का प्रदेश "नर्मदा" नदीके तट के निकट होने के कारण अनूप कहलाता था। पौराणिक कथाओं में माहिष्मति को हैहय वंशीय कार्तवीर्य अर्जुन अथवा सहस्त्रबाहु की राजधानी बताया गया है। किंवदंती है कि इसने अपनी सहस्त्र भुजाओं से नर्मदा का प्रवाह रोक दिया था।
महेश्वर में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई ने नर्मदा के उत्तरी तट पर अनेक घाट बनवाए थे, जो आज भी वर्तमान हैं। यह धर्मप्राणरानी 1767 के पश्चात इंदौर छोड़कर प्राय: इसी पवित्र स्थल पर रहने लगी थीं। नर्मदा के तट पर अहिल्याबाई तथा होल्कर वंश के नरेशों की कई छतरियां बनी हैं। ये वास्तुकला की दृष्टि से प्राचीन हिन्दू मंदिरों के स्थापत्य की अनुकृति हैं। भूतपूर्व इंदौर रियासत की आद्य राजधानी यहीं थी।
एक पौराणिक अनुश्रुति में कहा गया है कि माहिष्मति का बसाने वाला 'महिष्मानस' नामक चंद्रवंशी नरेश था। सहस्त्रबाहु इन्हीं के वंश में हुआ था। महेश्वरी नामक नदी जो माहिष्मति अथवा महिष्मान के नाम पर प्रसिद्ध है, महेश्वर से कुछ ही दूर पर नर्मदा में मिलती है।
हरिवंश पुराण की टीका में नीलकंठ ने माहिष्मति की स्थिति विंध्य और ऋक्ष पर्वतों के बीच में विंध्य के उत्तर में और ऋक्ष के दक्षिण में बताई है।
मुम्बई फ़िल्म इंडस्ट्री वाले तिलमिला गए हैं। सारी इंडस्ट्री चिन्ता में है। और क्यों न हों? प्रतिस्पर्धा कोई एरे गेरे से थोड़ी ना है??
आजतक मद्रास ने कोई अधिक हानि नही पहुचाई थी परन्तु आंध्र फ़िल्म इंडस्ट्री मद्रास थोड़ी ना है?? यह मुम्बई बॉलीवुड को खा जायेगी और डकार भी नही लेगी। बॉलीवुड ने कभी योग्य व्यक्ति को उचित कार्य नही दीया है। बॉलीवुड में दाउद जैसे मुस्लीमों का राज चलता होने के कारण सभी फ़िल्म में अकारण मुस्लीम पात्र घुसेड़ा है। नायक-नायिका हिन्दू होने पर भी गीतों में खुदा और अल्ला-अल्ला गाना पड़ता था।
सारी फिल्मों में मुस्लीम सभ्यता को महान दिखाना और मुस्लिम पात्र को वीरत्व भरा ही दिखाना पड़ता था क्योंकि बॉलीवुड मुस्लीम साम्राज्य पर ही खड़ा था। परन्तु अब उनके पाप का घड़ा भर चूका है। सामने उनका बाप बाहुबली खड़ा है।
उस दौर में बर्बर यवनो, शकों, हुणों हमारे वैभव को देखकर खिंचे चले आते थे, उन बर्बरों के लगातार आक्रमणों को नकारते हुए, इस पुण्यभूमि के गौरव की गाथा को वही भव्यता के साथ प्रस्तुत किया गया जो उस समय होगा, इसे कल्मनिक मानकर नही अपितु इस पुण्यभूमि भारत का गौरव और वैभव को सजीव मान इस सबसे बहतरीन फिल्म बाहुबली को देखे और अपने पुरखों का स्वाभिमान मान गर्वित हो ।
#बाहूबली जिस फिल्म मे #क्षत्रियो की वीरता, युद्ध की रणनीती और मातृभूमि के लिए मर मिट जाने वाला शौर्य दिखाया गया है, जो हम इतिहास की किताबो मे पढते आए वो ही इस फिल्म मे दर्शाया है l
#साभार: https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=454665294874489&id=100009930676208
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