Thursday 18 May 2017

जातिवाद के विष को बढ़ाने में आरक्षण की भूमिका

स्वाधीनता के समय तक जातिवाद समाप्त हो रहा था पर आरक्षण की अस्थायी 10 वर्ष की व्यवस्था को स्थायी कर दिया तथा उसे 25% से बढ़ाकर 50% से अधिक कर दिया। इसके कारण जातिवाद का संघर्ष तेज होता जा रहा है तथा कई राज्यों में 10-10 दिनों तक पूरा जनजीवन ठप रहा। पिछले 5000 वर्षों में जो जातियां सबसे शक्तिशाली तथा धनी थीं वही आरक्षण का अधिक लाभ उठा रहे हैं। शासन के अलावा राजनीति तथा व्यवसाय में उनका प्रभुत्व है पर वे इसके लिए सबसे अधिक हिंसक हैं-यादव, जाट, पटेल, मीना आदि। हर क्षेत्र में विकास रुक गया है तथा जिसे मौका मिलता है वह विदेश भाग जाता है। फिर उनके काम को 10 गुने दाम पर आयात किया जाता है। आरक्षण के समर्थक अपना इलाज विदेश में कराते हैं क्योंकि अपनी व्यवस्था में चुने गए डाक्टरों पर उनका विश्वास नहीं है।
तीन तलाक़ की व्यवस्था हर समाज में एक ही है, अर्थात् तीन बार सोचना है। कुरान में यह कहाँ लिखा है कि तीन तलाक़ कहने के बीच 5-5 सेकण्ड का अन्तर होगा। यह अन्तर परिस्थिति के अनुसार 6 मास का भी हो सकता है ~ श्री Arun Upadhyay जी

साभार:
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=738403749666266&id=100004899430216

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