Sunday, 23 April 2017

The Great Game - 1

--------------- " The Great Game - 1 " ----------
अगर आप  इतिहास को गौर से देखेंगे तो पायेंगे कि वर्तमान में विश्व की महाशक्तियों में एक उसी प्रकार की आपाधापी और लेनदेन का खेल चल रहा है जैसा कि 15वीं - 16वीं शताब्दी में यूरोपीय शक्तियों में उपनिवेशीकरण को लेकर विश्व की बंदरबांटको लेकर चला था । उपनिवेशीकरण ने औद्यौगिक क्रांति को सफल बनाकर पश्चिम को आर्थिक रूप से तो शक्तिशाली बना दिया परंतु  औद्योगिक क्रांति और पूँजीवाद के फलस्वरूप ' बाजार और मांग ' की आवश्यकता ने एक ऐसे भस्मासुर को जन्म दिया जिसके कारण पृथ्वी के असीम संसाधन भी कम पड़ने लगे हैं । इस भस्मासुर का नाम है ' उपभोक्तावाद ' और ये एक ऐसा असुर भी है जिसकी भूख अगर शांत ना की जाये तो यह मानव सभ्यता को ही निगल लेगा और सबसे बुरी बात ये है कि इसके उदर में जितना भोजन डाला जाता है , इसकी भूख उतनी ही बढती जाती है जिसके कारण पृथ्वी के संसाधन चुकते जा रहे हैं और पृथ्वी एक गंभीर ' Ecological crisis ' से गुजर रही है जिसका नाम है ' Decline Carrying Capacity ' जिसे सरल शब्दों में कहूँ तो अपने अपने क्षेत्र ( देशों ) में जनसंख्या को जिंदा बनाये रखने के लिये आवश्यक संसाधनों की क्षमता में कमी ।

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार रूस के पास ' साइबेरिया ' के रूप में अगले 150 सालों के लिये पर्याप्त खनिज संसाधन है और साथ ही उसने अंटार्कटिका  पर अपना दावा ठोक दिया है जिसमें भारी मात्रा में खनिज संसाधन दबे हुए हैं ।

इसी तरह अमेरिका ने भी अगले 150 - 200 साल के लिये खनिजों और तेल का तो बंदोबस्त किया हुआ है और फिलहाल वह ' दूसरों के माल ' पर डाका डालकर एश कर रहा है ।

विश्व की तीसरी सबसे बड़ी शक्ति चीन ने भी तनिक बदले हुये रूप में यह पॉलिसी बना रखी है कि वह भारत जैसे बेवकूफ और कई भ्रष्ट देशों से भारी मात्रा में अयस्क खरीदकर खनिजों के सुरक्षित भंडार बना रहा है ।

अब रहा 'भोजन ' जिसके लिये अमेरिका बिल्कुल चिंतित नहीं क्योंकि उसके पास पर्याप्त से भी कई गुना भूमि व कृषि संसाधन हैं और ऑस्ट्रेलिया व कनाडा के रूप में विश्वस्त मित्र हैं और सच कहा जाये तो ये अमेरिका की परछांई हैं जिनके द्वारा अपार मात्रा में दूध ,मछली व मांस की आपूर्ति की गारंटी है ।
दूसरी तरफ रूस के लिये भोजन व गर्म पानी के बंदरगाह  उसकी सबसे बड़ी कमजोरी है इसी कारण रूस यूक्रेन जिसे यूरोप का ' अन्न भंडार ' कहा जाता है , को किसी भी हालात में अपने शिकंजे में बनाये रखना चाहता है  और " क्रीमिया विवाद " की जड़ यही है ।
चीन के सामने भी भोजन के लिये कृषिभूमि की कमी व समुद्र में कमजोरी मुख्य संकट है जिसके लिये उसने अजीब हल निकाला है । उसने एक ओर तो हिंद महासागर में " पर्ल स्ट्रिंग " का निर्माण शुरू किया है और दूसरी ओर अफ्रीका में हजारों एकड़ जमीन को लीज पर लेना शुरू किया है ताकि वहां वह व्यापारिक फसलों को उगा सके और खुद अपनी भूमि पर खाद्यान्न फसलों को ।

विशेषज्ञों की मानें तो पृथ्वी के संसाधन अब चुक रहे हैं  जिसमें फिलहाल दो चीजें सबसे मुख्य हैं --

.............." पैट्रोल और पानी  "...............

वर्तमान जंग पैट्रोल की है और भविष्य का संघर्ष  पानी को लेकर होगा और इसमें दो धड़े होंगे --

----------- चीन  v / s  अमेरिका ---------

-अब इसमें शेष विश्व और भारत की क्या स्थिति है ? -विश्व राजनीति की शतरंज में महाशक्तियां अपने -क्या क्या मोहरे चल रहीं हैं ?
-भारत की स्थिति क्या है ?
-क्यों मोदी ताबड़तोड़ विदेश दौरे कर रहे हैं ?

Read in -- " The Great Game - 2 "

Courtesy: https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=377473032646886&id=100011525774150

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.

मानव_का_आदि_देश_भारत, पुरानी_दुनिया_का_केंद्र – भारत

#आरम्भम - #मानव_का_आदि_देश_भारत - ------------------------------------------------------------------              #पुरानी_दुनिया_का_केंद्र...