Saturday, 25 February 2017

महान युगदृष्टा वीर विनायक दमोदर सावरकर

26फरवरी 1966 हिँदूओ को हिँदूत्व का पाठ पढाने वाले महान युगदृष्टा वीर विनायक दमोदर सावरकर जी भारत विभाजन की पीडा से आहत और बीमार होकर शरीर त्याग दिया। आज हमारे पास सावरकर जी का चिँतन है उनकी सोच है उनके बताये रास्ते है तभी तो देश मे पुनः जय हिँदू राष्टृ गूँजने लगा, हिँदू स्वाराज्य हम सबका उददेश्य बन गया। बाल गँगाधर तिलक, और महान क्रँतिकारी मैजिनी से प्रभावित सावरकर जी ने कलम और बँदूक दोनो का अँग्रेजो के खिलाफ इस्तेमाल किया। भयभीत अँग्रेजो ने दो जन्म कारावास की सजा सुनाकर पूर्नजन्म को स्वीकार किया हिँदू सभ्यता को , ऐसे महान पुरूष को 28साल करीब जेल व नजर बँदी , के तौर पर जीवन जीना पडा, हिँदूत्व की क्षीण होती परम्परा को पुनः स्थापित करने के लिये बाल गँगाधर जी के साथ गणेश महोत्सव , मित्र मेला शुरू करना आदि हिँदू शक्ति को मजबूत किया। शिवाजी महराज, बाजीराव पेशवा को अपना आदर्श मानने वाले सावरकर जी ने हिँदू समाज मे एकता लाने के लिये भेदभाव खत्म करने के लिये रत्नागिरी मे पतित पावन मँदिर का निर्माण कराया ,अन्दोलन चलाया। उस समय के हिँदू यदि गाँधी जैसे धूर्त के छलावा मे न आते और सावरकर जी की बात माना होता तो 36लाख हिँदू न मरा होता न भारत विभाजन होता और न आज हिँदू .......आप खुद समझे..विचार करे....
शत शत नमन

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