नाथूराम गोडसे और नाना आप्टे के मृत्यु दंड की तिथि निश्चित हो जाने पर दोनों मृत्युदंड प्राप्त व्यक्तियो के संबंधियो के अंतिम बार मिल लेने की दृष्टि से उनके घर वालो को अधिकारियो की ओर से पात्र भेजे गए थे ।
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जो संबंधी और नातेदार मिलने के लिए अम्बाला आ सकते थे , वे सब दिनांक 13 - 11 - 1949 को अम्बाला पहुच गए थे , किन्तु उनकी भेंट दिनांक 14 - 11 - 1949 को कराई गई ।
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हमसे भेंट करने के लिए आने वाले व्यक्तियो ने भी इस विषय में अपने अनेक अनुभव सुनाये । दिल्ली से अम्बाला वाली गाडी में अधिक भीड़ का उनको सामना करना पड़ा था , रात्रि गाडी में खड़े - खड़े ही बितानी पड़ी थी । अन्य यात्रियों ने अनुभव किया की वे कुछ लोग देश के इस भाग से नही है , अपितु किसी अन्य भाग के है और जब उन लोगो को ये विदित हुआ की ये लोग महाराष्ट्र के है तथा गांधी - वध काण्ड में मृत्यदंड प्राप्त नाथूराम गोडसे एवं नाना आप्टे से मिलने के लिए जा रहे है तो उन लोगो ने अपनी सीट इन लोगो को दे दी तथा व स्वयं खड़े हो गए ।
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कुछ यात्री उनके साथ अम्बाला स्टेशन पर उतरे । यात्रियों ने टाँगे आदि की व्यवस्था कर दी । उन्होंने टाँगे वालो को भी समझा दिया की वे परदेशी यात्री की विशेष कारण से अम्बाला आये है । परिणामस्वरूप जब ये लोग निश्चित स्थान पर उतरे तो टाँगे वालो ने भाड़ा लेने से इंकार कर दिया । उनका कहना था की हमारे लिए आपके लोग , जिनसे आप भेंट करने के लिए आए है , प्राणों पर खेले है ।
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अम्बाला के भोजनालय अथवा उपहारग्रह में जाने पर प्रथम अपरिचित से लगने वाले इन व्यक्तियो से साधारण पूछताछ की जाती थी , किन्तु जब उनको अनेक आने का कारण विदित होता था तो वे लोग भोजन आदि का मूल्य नही लेते थे । ऐसे भावनापूर्ण दृश्य , उन लोगो को देखने को मिले ।
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फांसी लगने से दूसरे दिन जब ये भेंटकर्ता अपने स्थान को लौट रहे थे , उस दिन अम्बाला स्टेशन पर स्थानीय लोगो की भारी भीड़ उपस्थित थी । उन लोगो ने स्टेशन को " नाथूराम गोडसे की जय " के उद्घोषोंसे गुँज कर अपनी भावनाओ की अभिव्यक्ति की ।
( साभार : - गोपाल गोडसे की पुस्तक , पृ. 97 - 98 , गांधी वध और मैं । )
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इन बातो से पता चलता है की देश के लोग ( कांग्रेसी चरखा चैंपियन कार्यकर्त्ता को छोड़कर ) खुस थे गांधी वध से क्योंकि गांधी के महान बनने के चक्कर में करोड़ो का घर उजड़ गया , लाखो हिन्दुओ और सीखो की हत्या हुई , लाखो महिलाओ का बलात्कार हुआ और कई माता - बहनो का अपहरण हुआ था । गांधी , जिन्नाह , नेहरू जिम्मेदार है अखंड भारत के विभाजन के । गांधी ने कहा की पाकिस्तान उनकी लाश पर बनेगा पर पाकिस्तान गांधी के मर्जी से बना और गांधी के कारण भारत सरकार को पाकिस्तान को 55 करोड़ देने पड़े । बाद में इसी पैसे से पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला किया था ।
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फांसी लगने से पहले गोडसे और आप्टे के पास 1) अखंड भारत का मानचित्र , 2) भगवा ध्वज और 3) भगवद् गीता , ये वस्तुए दोनों ही व्यक्तियो के हाथो में थी । फांसी के बरामदे में पहुचकर दोनों ने ' अखंड भारत अमर रहे ' और ' वंदे मातरम् ' का घोष किया और ऊँचे स्वर में यह प्राथना की ----
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" नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम्।
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते । "
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एक बार कारागार के वायुमंडल में यह स्वर गुंजायमान हुआ और फिर फांसी देने वालो ने फांसी का फंडा खिंचा की दो प्राण पंचतत्व में विलीन हो गए ।
शत शत नमन 🙏🙏🙏
🚩🚩🚩जय श्री राम 🚩🚩🚩
Courtesy: https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1902456069972555&id=100006245406521
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