Monday 12 June 2017

वेद_vs_विज्ञान भाग-1, Introduction

#वेद_vs_विज्ञान पार्ट-1
कल की पोस्ट के बाद बहोत मित्रो ने कहा कि वेद और विज्ञान की तुलनात्मक अध्धयन पे आप कुछ लिखे तो आइए आप सभी को वेद और विज्ञान के तुलनात्मक अध्धयन पे ले चलते है और ये सिद्ध करते है कि हमारा आज का विज्ञान बहोत पिछड़ा है जबकि सनतान धर्म आज के हजारों सालों पहले इनके बारे में जनता था।
Energy cannot be created or destroyed, it can only be changed from one form to another -Albert Einstein
उर्जा न ही पैदा की जा सकती है और न ही नष्ट की जा सकती है केवल एक रूप से दुसरे रूप में बदली जा सकती है ।
उदहारण के लिए विद्वत उर्जा को प्रकाश उर्जा में :- बल्ब द्वारा
विधुत उर्जा को गतिज उर्जा में :- पंखा, पानी की मोटर आदि । 
हमारे भोतिक शरीर को चलाने वाली शक्ति उर्जा ही तो है जिसे आत्मा भी कहते है जो एक रूप से दुसरे रूप में प्रवेश करती है ।
उपरोक्त सिधांत Einstein ने पूरा का पूरा गीता से चोरी। किया था :
न जायते म्रियते वा कदाचिन्-
नायं भूत्वा भविता वा न भूय: ।
अजो नित्य: शाश्वतोऽयं पुराणो
न हन्यते हन्यमाने शरीरे ।। ... गीता २ /२ ०
यह आत्मा किसी काल में भी न तो जन्मता है और न मरता ही है तथा न यह उत्पन्न होकर फिर होने वाला ही है; क्योंकि यह अजन्मा, नित्य, सनातन और पुरातन है, शरीर के मारे जाने पर भी यह नहीं मारा जाता ।
The soul is never born nor dies; nor does it become only after being born. For it is unborn, eternal, everlasting and ancient; even though the body is slain, the soul is not. - Bhagavad-Gita 2.20
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि ।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा न्यन्यानि संयाति नवानि देही ।। ...गीता २ /२ २
जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर दूसरे नये वस्त्रों को ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरों को त्याग कर दूसरे नये शरीरों को प्राप्त होता है
As a man shedding worn- out garments, takes other new ones, likewise the embodied soul, casting off worn-out bodies, enters into others which are new. - Bhagavad-Gita 2.22
Einstein ने उपरोक्त दोनों श्लोकों को मिला दिया तथा Soul को energy कहा बाकि सारा ज्यों का त्यों चेप दिया और अपना सिधांत कह कर जगत में ढंढ़ोंरा पिटा  ।
“When I read the Bhagavad-Gita and reflect about how God created this universe everything else seems so superfluous.”
― Albert Einstein
Courtesy: अजेष्ठ त्रिपाठी, https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=266564053810007&id=100013692425716

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