Monday 12 June 2017

रणवीर सेना... एक ऐसा (बद)नाम जो आज अपनी सार्थकता जता रहा ह

रणवीर सेना... एक ऐसा (बद)नाम जो आज अपनी सार्थकता जता रहा है....

साभार..... Gaurav Vatsa

मैं बार बार रणवीर सेना के इतिहास के बारे में बताता हूँ जो आज हिंदुओं की जरुरत है। 90 के दशक में जब नक्सलियों ने याने दलितों और मुल्लों ने चुन चुन कर भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण जैसे अगड़ी जातियों का सामूहिक नरसंहार शुरू कर दिया था। बिहार में हाहाकार मचा था। जो सवर्ण अपने गाँव जाता वो लौट कर नहीं आता था। जो गाँव में थे सब भाग कर शहर आ गए थे। पूरा बिहार कश्मीर और कैराना बन चुका था। अपनों की लाश जलाने के लिए भी गाँव में जाने की हिम्मत नहीं थी। लाखों एकड़ जमीन परती पड़ी थी। प्रशासन लालू की थी इसलिए सुनने वाला कोई नहीं था। ये वर्ग लालू का वोटर नहीं था इसलिए लालू वामपंथियों के साथ मिलकर इसका नामोनिशान मिटा देना चाहता था।

लेकिन सवर्णों में एक बुजुर्ग ने सीना ठोंका, एक छोटी सी जगह पर कुछ लोगों के साथ बैठक की, और हाथों में हथियार उठाने का संकल्प लिया। इतना अपमान बर्दाश्त ना था। सबसे पहले कुछ सवर्णों ने अपने लाइसेंसी हथियार आगे किये और सहायता दी। इसके बाद जो हुआ वो इतिहास बन गया। खून की नदी बाह चली। नक्सलियों की क्रूरता भी इनकी क्रूरता के सामने बौनी पड़ गयी। उस वक़्त बिहार सरकार में हाशिये पर गए कई बीजेपी नेताओ का समर्थन मिलना शुरू हो गया। रणवीर सेना का नाम सुनकर बड़े बड़े पुलिस अधिकारीयों के हाथ पाँव फूल जाते थे। मंत्री विधायक सांसदों में खौफ समा गया था।

नक्सली जो कल तक कहीं भी किसी सवर्ण को मारकर निश्चिन्त रहते थे, वो अब एक भी सवर्ण को मारने के पहले दस बार सोचते थे, क्योंकी एक के बदले दस अपने मारे जाएंगे ये तय था। पुरे बिहार में अमन चैन लौट आया। नक्सली वापिस भाग कर बंगाल में घुस गए। लाखों सवर्ण अपने गाँव लौट कर खेती करने लगे। सभी के अंदर गर्व का भाव था, सभी निर्भय हो चुके थे। वह बुजुर्ग आदमी ब्रह्मेश्वर मुखिया लोगों के लिए अवतार बन कर आये।
यहाँ चुन्नु शर्मा के जिक्र के बिना ये पोस्ट अधूरा माना जायेगा
चुन्नु शर्मा गया के बेला का रहनेवाला था और उसका खौफ का आलम ये था कि बेला विधायक उसके डर से उसके जिंदा रहते बेला नहीं गये उसन एलान कर रखा था कि विधायक बेला आयेगा तो मार देगे.
वो विधायक MCC का supporter था
और हाँ ब्रह्मेश्वर मुखिया जी को 2बार पुलिस गिरफ्तार करने के बाद उनके घर पहुँचाकर आयी थी और वो भी लालू के कहने पे मतलब लालू भी डरता था मुखिया दा से,
बिहार में ब्रह्मेश्वर मुखिया का नाम आज भी लोग इज्जत से #मुखिया_दादा कह के लेते है
आज का कोई भी हिन्दू संगठन रणवीर सेना जैसा नहीं। ये भी सच है कि यहां रणवीर सेना की स्थापना तब हुयी जब पानी सर से ऊपर गुजर चूका था और जीने का रास्ता सिर्फ हथियारों से होकर जाता था।

यही एकमात्र तरीका है, कोई पार्टी कोई नेता साथ नहीं देगा। लेकिन जब खड़े होंगे तो मैं आस्वस्त हूँ पूरी दुनिया से समर्थन मिलेगा। हिंसा का जवाब अहिंसा पहले भी कभी नहीं था, ना आज है।

साभार: https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=473734602967558&id=100009930676208

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