Saturday 25 March 2017

ब्राह्मणों के श्राप से आज भी शापित है गांधी -नेहरू खानदान

ब्राह्मणों के श्राप से आज भी शापित है गांधी -नेहरू खानदान l

बात  सन् 1962 के विधान सभा चुनावों की है।

इंदिरा गांधी के लिये उस समय चुनाव जीतना बहुत मुश्किल था ,करपात्री जी महाराज के आशीर्वाद से इंदिरा गांधी चुनाव जीती ।
इंदिरा ग़ांधी ने उनसे वादा किया था चुनाव जीतने के बाद गाय के सारे कत्ल खाने बंद हो जायेगें . जो अंग्रेजो के समय से चल रहे हैं .लेकिन इंदिरा गांधी मुसलमानों और कम्यूनिस्टों के दवाब में आकर अपने वादे से मुकर गयी य .
-गौ हत्या निषेध आंदोलन
और जब तत्कालीन प्रधानमंत्री ने संतों इस मांग को ठुकरा दिया , जिसमे सविधान में संशोधन करके देश में गौ वंश की हत्या पर पाबन्दी लगाने की मांग की गयी थी ,तो संतों ने 7 नवम्बर 1966 को संसद भवन के सामने धरना शुरू कर दिया , हिन्दू पंचांग के अनुसार उस दिन विक्रमी संवत 2012 कार्तिक शुक्ल की अष्टमी थी , जिसे ” गोपाष्टमी ” भी कहा जाता है .
इस धरने में मुख्य संतों के नाम इस प्रकार हैं , शंकराचार्य निरंजन देव तीर्थ , स्वामी करपात्री महाराज और रामचन्द्र वीर है . राम चन्द्र वीर तो आमरण अनशन पर बैठ गए थे , लेकिन इंदिरा गांधी ने उन निहत्ते और शांत संतों पर पुलिस के द्वारा गोली चलवा दी , जिस से कई साधू मारे गए . इस ह्त्या कांड से क्षुब्ध होकर तत्कालीन गृहमंत्री ” गुलजारी लाल नंदा ” ने अपना त्याग पत्र दे दिया , और इस कांड के लिए खुद को सरकार को जिम्मेदार बताया था . लेकिन संत ” राम चन्द्र वीर ” अनशन पर डटे रहे जो 166 दिनों के बाद उनकी मौत के बाद ही समाप्त हुआ था . राम चन्द्र वीर के इस अद्वितीय और इतने लम्बे अनशन ने दुनिया के सभी रिकार्ड तोड़ दिए है . यह दुनिया की पहली ऎसी घटना थी जिसमे एक हिन्दू संत ने गौ माता की रक्षा के लिए 166 दिनों तक भूखे रह कर अपना बलिदान दिया था .
-इंदिरा के वंश पर श्राप
लेकिन खुद को निष्पक्ष बताने वाले किसी भी अखबार ने इंदिरा के डर से साधुओं पर गोली चलने और रामचंद्र वीर के बलिदान की खबर छापने की हिम्मत नहीं दिखायी , सिर्फ मासिक पत्रिका “आर्यावर्त ” और “केसरी ” ने इस खबर को छापा था . और कुछ दिन बाद गोरखपुर से छपने वाली मासिक पत्रिका “ कल्याण ” ने ” गौ अंक में एक विशेषांक ” प्रकाशित किया था , जिसमे विस्तार सहित यह घटना दी गयी थी . और जब मीडिया वालों ने अपने मुहों पर ताले लगा लिए थे तो करपात्री जी ने कल्याण के उसी अंक में इंदिरा को सम्बोधित करके कहा था “यद्यपि तूने निर्दोष साधुओं की हत्या करवाई है . फिर भी मुझे इसका दुःख नही है . लेकिन तूने गौ हत्यारों को गायों की हत्या करने की छूट देकर जो पाप किया है वह क्षमा के योग्य नहीं है , इसलिये मैं आज तुझे श्राप देता हूँ कि
” गोपाष्टमी ” के दिन ही तेरे वंश का नाश होगा ”

“आज मैं कहे देता हूँ कि गोपाष्टमी के दिन ही तेरे वंश का भी नाश होगा “
श्राप सच हो गया
जब करपात्री जी ने यह श्राप दिया था तो वहाँ “प्रभुदत्त ब्रह्मचारी “ भी मौजूद थे , करपात्री जी ने जो भी कहा था वह आगे चल कर अक्षरशः सत्य हो गया . इंदिरा का का वंश गोपाष्टमी के दिन ही नाश हो गया , सबुत के लिए इन मौतों की
तिथियों पर ध्यान दीजिये ,
1-संजय गांधी की मौत आकाश में हुई उस दिन हिन्दू पंचांग के अनुसार “ गोपाष्टमी ” थी .
2-इंदिरा की मौत घर में हुई उस दिन भी ” गोपाष्टमी थी
.
3-राजीव गांधी तमिलनाडू में मरे उस दिन भी “ गोपाष्टमी ” ही थी .
उस दिन करपात्री जी महाराज ने उपस्थित लोगों के सामने गरज कर कहा था .कि लोग भले इस घटना को भूल जाएँ लेकिन मैं इसे कभी नहीं भूल सकता . गौ हत्यारे के वंशज नहीं बचेंगे चाहे वह आकाश में हो या पाताल में हों , और चाहे घर में हो या बाहर हो यह श्राप इंदिरा के वंशजों का पीछा करता रहेगा l
जय श्री राम l

साभार: https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1496076743745594&id=100000298489903

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