Thursday, 23 March 2017

हिन्दू था ग्रीक सिंकन्दर?

बहन मनीषा सिंह की कलम से

हिन्दू था ग्रीक सिंकन्दर

- आधुनिक इतिहासकार मानते हैं यूरोप में सर्वप्रथम ग्रीक में सभ्यता का विकास हुआ था ! और यूरोपीय लोग आदिकाल से यहूदी धर्म के ही अनुयायी थे किन्तु ये पूर्ण रूप से ग़लत है । भारतीय मानते हैं कि सम्पूर्ण विश्व वैदिक ही था किन्तु महाभारत युद्ध के बाद जब अन्य देशों से रिश्तों की श्रृंखला टूटी तब से अलग अलग धर्म अस्तित्व में आये किंतु ये भी पूर्ण सत्य नहीं ।।

सन् 312 ई तक यूरोप को क्रिश्चियनिटी जबरन थौंपने तक सम्पूर्ण विश्व वैदिक ही था । यूरोप सहित सम्पूर्ण विश्व में वैदिक धर्म के प्रमाण मिलते हैं ।।

#ग्रीक (Greece) शब्द भी वैदिक गिरीश का अपभ्रंश है जिसका अर्थ है पर्वतों के ईश्वर । Greece शब्द में 'C' का प्रयोग 'क' और 'स' दोनों में ही प्रयोग होता है जो पहले गिरीश से ग्रीस हुआ फिर ग्रीक । प्राचीन ग्रीक में वानप्रस्थ लेने पर पर्वतों पर लोग शिवजी का तप करते थे इसलिए गिरीश उस पर्वत को ग्रीक कहने लगे ।

फ्रांस के दार्शनिक प्रो० जकोलिअट (Jacolliat) लिखते हैं "ग्रीक लोगों में देवताओं का निवास था ओलम्पस पर्वत कैलाश पर्वत की नकल थी "

#यूनान - प्राचीन समय में ग्रीक् एक अरण्य प्रदेश था भारतीयों का जब देश निकाला होता था तब उन्हें ग्रीक् भेज दिया जाता था जैसे आधुनिक समय में यूरोप के लोग देश निकाला होने पर ऑस्ट्रेलिया में भेजते थे और भारतीय अंडमान निकोबार द्वीपो पर । इसलिए देश से निष्कासित करते समय उन्हें वन भेजा जाता था । ' जा वन ' शब्द से ही 'यावन' शब्द बना जैसे 'जमुना ' को 'यमुना' और 'जम' को 'यम' कहा जाता है उसी प्रकार 'जावन ' को 'यावन' कहते थे जो बाद में 'यवन ' हो गया । मिश्र के लोग इन्हें 'यूनानी' कहने लगे ।
Mecedonia - मैसोडोनिया या मकदुनियाँ प्राचीन भारत के महासदनीय शब्द से बना है । mecedonia में 'C' से क और स दोनों ही शब्द प्रयोग होते हैं जो महासदनीय से महासोदोनि और फिर मैकोडोनीया शब्द बन गया । यूनानी इतिहासकारों द्वारा उल्लखित हिरकेनिया की प्राचीन राजधानी कैशपियन क्षेत्र में बसी हुईथी । हिरकेनिया पर शासन करने वाले एक काश्यप का नाम हिरण्यकश्यप (कश्यप का पुत्र ) के रूप से भारतीय पुराणों में आया है ।

एक यूरोपीय विद्वान् Eurobias लिखते हैं

- "सुकारात के समय में ग्रीक् देश के एथेंस नगर में भी ब्राह्मण होते थे ।"
बाल्टेयर कहते हैं - "ग्रीक् लोग ज्ञानार्जन के लिये गङ्गा के किनारे (वाराणसी ) जाया करते थे । "
ग्रीक् और रोमन लोगों में श्राद्ध ,पितृयज्ञ हिन्दुओ की भाँती पूर्वजों के सम्मान पूर्ण स्मरण की प्रथा थी । वृद्धतन व्यक्ति के वे भी हिन्दुओं की तरह कुटुम्ब प्रमुख मानते थे । यज्ञ प्रथा ग्रीक् -रोमन लोगों में होती थी ।। - आयरलैंड में १२ सदी तक अश्वमेध यज्ञ होते रहे हैं । -- जैकोलियट

कर्नल Elwood की पत्नी अपनी इंग्लैंड से भारत यात्रा प्रसङ्ग में लिखती हैं - "ग्रीक् तथा भारतीय पौराणिक कथाओ की गहरी समानता देखकर ऐसा लगता है की ग्रीक् लोगों और हिन्दुओं में किसी समय अतीत में घनिष्ठ सम्बन्ध रहा होगा और पाइथागोरस ने आत्मा के विविध जन्मों का जो उल्लेख किया है वह भारतीय देवी देवताओं की कथा से सीखकर ग्रीक् देवी देवताओं में जोड़ दिया ।" - Narrative of a journey overland from England to india

- ग्रीक् लोग Trinity ( त्रिदेवों ब्रह्मा विष्णु रूद्र ) में विश्वास करते थे । भारतीय देवता त्रियम्बकेश्वर (तीन नेत्रों वाले शिव ) की तरह Bacchus (बॉकस ) की पूजा करते थे यही नहीं वाम मार्गी भारतीयों की तरह ये भी बॉकस की पूजा में नशा करते थे जैसे वाम मार्गी शिवजी के नाम पर भाँग पीते हैं ।। ग्रीक् सभ्यता, , संस्कृति देखकर एड्वर्ड पोकाँक लिखते हैं - ग्रीक इतिहास में जो वीरकाल माना गया है उसमें कला ,निपुणता ,सुवर्ण की विपुलता ,सोने के बर्तनों की भरमार ,कारीगिरी ,कसीदे से भरी शालें ,बक्शीस दी जाने वाली मालाएं जो कभी देवताओं से प्राप्त की जाती थीं । विभिन्न प्रकार के विपुल आकर्षण वस्त्र , गहने ,हस्तिदन्त ,धातुपात्र ,पीतल की तिपाइयाँ ,डेकची और कढ़ाइयां ,सामाजिक सुबिधायें Alcinous और Menelaus के वैभवशाही महल ,ट्रॉय नगर की महान् स्पर्धाएं ,युद्ध में लगने वाले रथ आदि सारी नागरिकी और सैनिकी रहन-सहन की प्राच्य पद्धति की भारतीय सी जान पड़ती है । इस प्रमाणों से जान पड़ता है वहाँ भारतीयों की ही बस्ती रही होगी और उन्ही की धर्म भाषा भी । Posidon or Zeus नाम के देवताओं के यानों के अवतरणों के समय ट्रोजनयुद्ध के अंत तक ग्रीक् लोगों की सारी कथाएँ समाज ,भाषा,रहन-सहन ,विचारधारा ,धर्म,युद्ध-नीति और जीवन प्रणाली भारतीय ढाँचे की ही थी । " India in Greece or truth in mythology .

शिव ,विष्णु, भवानी के साथ साथ रामायण के श्रीराम -हनुमान् आदि की भी पूजा प्रचलित थी । सबसे लोकप्रिय हरिकुलिस थे । हरिकुलिस शब्द का अर्थ है हरिके अवतार श्रीकृष्ण या हरिके कुल के (वंशज) श्रीकृष्ण हैं । सेल्युकस निकेटर का राजदूत मेगास्थनीज ने श्रीकृष्ण को हरिकुलिस कहा है । मथुरा की सूरसेनी क्षत्रिय जाती के योद्धा अपने मुखिया हरिकुलिस की पूजा करते थे जिसने अनेको विवाह किये और अनेकों सन्तानें उत्पन्न की । उसने क्लीसोबरा और पालिबोथरा आदि अनेक नगर बसाये "

हरिकुलिस के अनेकों चमत्कारों की पूजा ग्रीक् लोग करते थे जिनमें प्रमुख हैं (१) ओखली से दो वृक्षों का उद्धार ,(२) कंस का महायुद्ध में वध ,(३) कालिया नाग का दमन ,(४) गोवर्धन धारण आदि । ग्रीक् के करिंथ नगर में श्रीकृष्ण का शीला चित्र प्राप्त हुआ था जिसमें श्रीकृष्ण ग्वाले के रूप में गो चारा रहे हैं ।
#Alexander (सिकन्दर ) अलेक्जेण्डर शब्द संस्कृतके अलक्षेन्द्र शब्द का अपभ्रंश है जिसका अर्थ है
#वह_ईश्वर_जिसपर_दृष्टि_न_पहुँचती_है

२१०० वर्ष पहले हुए ग्रीक् विद्वान् स्ट्रैबो ने लिखा है - " हरिकुलिस (श्रीकृष्ण ) तथा बॉकस (शिव ) का अनुसरण करते हुए अलेक्जेण्डर ने भी भारत में (विजित ) निजी सीमाओं पर देवमन्दिर उर्फ़ वेदियां स्थापित की ।" पृष्ठ २५७ "१२ देवों के मन्दिर शिव,विष्णु ,गणेश भवानी और अन्नपूर्णा आदि के थे थे प्रत्येक मन्दिर ५० हाथ लम्बा चौड़ा था ।" स्ट्रैबो लिखित भूगोल पृष्ठ २५७
यही नहीं सिकन्दर के वाद होने वाले यवन राजा भी हिन्दू ही थे । ई पू दूसरी सदी में Agathaclose नामके राजा के सिक्कों पर श्रीकृष्ण बलराम की छबि अंकित है । यही नहीं दुसरी शताब्दी ई पू के ग्रीक् होरिडोलस ने भारत में एक विष्णु मन्दिर की स्थापना की थी और उसमें स्वर्ण के गरुड़ के स्तम्भ की स्थापना की थी ।

साभार:
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=431934767152987&id=100010094027252

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