Monday, 20 March 2017

Rig Veda on How to deal with external & internal enemies of Bharat

Rig Veda on How to deal with external & internal enemies of Bharat

21. इन्द्रोतिभिर्बहुलाभिर्नो अद्य याच्छे्रष्ठाभिर्मघवञ्छूर जिन्व ।
यो नो द्वेष्ट्धर: सस्पदीष्ट यमु द्विष्मस्तमु प्राणो जहातु  ।। RV3.53.21
(शूर, मघवन्‌ इंद्र: ) शूरवीर, आर्थिक दृष्टि से अस्त्र शस्त्रों सम्पन्न सेनाध्यक्ष, तू (अद्य) आज (बहुलाभि: श्रेष्ठाभि: ऊतिभि: ) अनेक श्रेष्ठ शस्त्रों के साधनों से सम्पन्न (न: द्वेष्टि) हम से  द्वेष करने वाले और (यं उ द्विष्म: ) जिन से हम द्वेष करते हैं ( तं अधर: सरप्दीष्ठ) उन्हें नीची गिरा कर  (उ प्राणो जहात्‌ ) जिस से उन के प्राण निकल जावें (यात्‌ ) इस प्रकार सब शत्रुओं को नष्ट करो |
Internal Enemies

22. परशु चिध्दि तपति शिम्बलं चिद् वि वृश्चति  ।
उखा चिदिन्द्र येषन्ती प्रयस्ता फेनमस्यति  ।। RV3.53.22
(परशु वि तपति) वह सेनाध्यक्ष अपने शस्त्रों तैयार रखता है ( फेनं अस्यति) क्रोध से अपने मुख से झाग गिराताहै ( ये षन्ति उखा चित्‌ प्रयस्ता )घर की थाली में छेद से चूने वाले आंतरिक हिंसक शत्रुओं को (शिम्बलं चित्‌ वि वृश्चति) अप सुविधाओं और  बल का दुरुपयोग करने वाले दुष्टों को काट गिराता है |
No Human Rights Apply 

23. न सायकस्य चिकिते जनासो लोधं नयन्ति पशु मन्यमाना:  ।
नावाजिनं वाजिना हासयन्ति न गर्दभं पुरो अश्वान्नयन्ति  ।।RV 3.53.23
(जनास: ) वे शरवीर सैनिक  (सायकस्य न चिकिते) बाणों शस्त्रास्त्रों के अपने दु:ख को कुछ भी नहीं समझते , वे (लोधं) नीच लोभी शत्रु को( पशु मन्यमाना) पशु मान कर (नयन्ति ) जहां चाहें ले जाते हैं , वे (वाजिन: ) अपने बल सामर्थ्य  के अभिमान से (अवाजिन: न हासयन्ति ) निर्बल की हंसी नहीं उड़ाते ( गर्दभं पुर: अश्वान्‌ न नयन्ति) और गधों के सामने घोड़ों को नहीं ले जाते |
Valour in Battle Field

24. इम इन्द्र भरतस्य पुत्रा अपपित्व चिकितुर्न प्रप्रित्वम् ।
हिन्वन्त्यश्वमरणं न नित्यं ज्यावाजं परि णयन्त्याजौ  ।। RV 3.53.24
       ( इम इन्द्र भरतस्य पुत्रा: ) इस  भारत के सपूत सैनिक ( नित्यं आजौ अश्वं अरणं न
        हिन्वति ) सदैव युद्ध में अपने घोड़ों  शस्र वाहनों को ऐसे युद्ध क्षेत्र में ऐसे दौड़ाते है कि
        जैसे साफ मैदान है और (ज्यावाजं परि नयन्ति ) अपने धनुष की डोरी की ध्वनि से सब
        को कम्पित कर देते हैं

साभार:
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10211828985977271&id=1148666046

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.

मानव_का_आदि_देश_भारत, पुरानी_दुनिया_का_केंद्र – भारत

#आरम्भम - #मानव_का_आदि_देश_भारत - ------------------------------------------------------------------              #पुरानी_दुनिया_का_केंद्र...